Vivo ने भारतीय स्मार्टफोन बाजार में बढ़त बनाई बदलते उपभोक्ता रुझानों की झलक

Vivo ने भारतीय स्मार्टफोन बाजार में बढ़त बनाई बदलते उपभोक्ता रुझानों की झलक

प्रेषित समय :20:16:48 PM / Sat, Jul 26th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

2025 की पहली तिमाही में Vivo ने भारत के मोबाइल बाजार में एक बड़ा उलटफेर करते हुए शीर्ष स्मार्टफोन ब्रांड का स्थान हासिल कर लिया है. Counterpoint Research की रिपोर्ट के अनुसार, Vivo ने लगभग 18% बाज़ार हिस्सेदारी के साथ Xiaomi, Samsung और Apple जैसे ब्रांडों को पीछे छोड़ दिया है. इसकी मुख्य वजह रही—Vivo की आक्रामक ऑफलाइन रणनीति, किफायती लेकिन फीचर-सम्पन्न मॉडल्स की रेंज और मिड-सेगमेंट उपभोक्ताओं पर केंद्रित मार्केटिंग.

Vivo Y29 5G और Vivo V50 जैसे मॉडलों की सफलता इस बात का प्रमाण है कि भारतीय उपभोक्ता अब केवल ब्रांड वैल्यू नहीं, बल्कि "कीमत बनाम प्रदर्शन" के समीकरण को अधिक महत्व दे रहे हैं. खासकर Vivo V50, जो Zeiss कैमरा सपोर्ट, 8GB रैम और स्लिम डिज़ाइन के साथ लगभग ₹36,999 की कीमत में आया, मिड-रेंज प्रीमियम सेगमेंट को स्पष्ट संदेश देता है कि Vivo केवल बजट ब्रांड नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी-ड्रिवन ब्रांड बनने की ओर अग्रसर है.

Vivo की सबसे बड़ी ताकत रही है उसका मजबूत ऑफलाइन नेटवर्क. जहाँ Xiaomi और Realme जैसे ब्रांड्स प्रमुख रूप से ऑनलाइन फोकस्ड हैं, वहीं Vivo ने रिटेल चैनलों, ट्रेड-इन ऑफर्स और EMI विकल्पों के सहारे गांव-कस्बों तक अपनी पहुँच बनाई. Y-सीरीज़ के माध्यम से कंपनी ने बजट ग्राहकों को जोड़ा, जबकि V और X-सीरीज़ के ज़रिए उच्च तकनीकी अनुभव देने का प्रयास किया गया.

तकनीकी पहलू की बात करें तो Vivo ने MediaTek Dimensity सीरीज़ के प्रोसेसर, 120Hz कर्व्ड डिस्प्ले, Zeiss-ट्यून कैमरा और 5G कनेक्टिविटी जैसे फीचर्स के साथ स्पष्ट संकेत दिया है कि वह वैश्विक ब्रांड्स के साथ प्रतिस्पर्धा में पीछे नहीं रहना चाहता. हाल ही में लॉन्च हुए Vivo X200 Pro को लेकर समीक्षकों का मानना है कि यह गेमिंग, फोटोग्राफी और मल्टीटास्किंग में अपने से कहीं महंगे फोन को टक्कर देता है.

हालाँकि चुनौतियाँ कम नहीं हैं. OnePlus, Samsung और Apple जैसी कंपनियाँ प्रीमियम सेगमेंट में लगातार नवाचार कर रही हैं. फोल्डेबल फोन, AI‑इंटीग्रेटेड कैमरा और क्लाउड‑सिंक्ड प्रोसेसिंग जैसे फीचर्स अब फ्लैगशिप श्रेणी में आम हो रहे हैं. ऐसे में Vivo को न केवल अपने हाई-एंड मॉडल्स में गुणवत्ता बनाए रखनी होगी, बल्कि सॉफ्टवेयर अपडेट्स, UI अनुभव और डेटा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी गंभीरता दिखानी होगी.

Vivo की मौजूदा सफलता केवल एक तात्कालिक उपलब्धि नहीं, बल्कि भारतीय बाजार की बदलती प्राथमिकताओं का संकेत है—जहाँ ग्राहक समझदार हो गए हैं, और उन्हें मूल्य के अनुपात में श्रेष्ठ प्रदर्शन चाहिए. अगर Vivo अपनी रणनीति को यूँ ही बनाए रखता है और तकनीकी नवाचारों को समय पर अपनाता है, तो यह ब्रांड न सिर्फ भारत में बल्कि वैश्विक मंच पर भी Apple और Samsung जैसी कंपनियों के लिए एक गंभीर प्रतियोगी बन सकता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-