ठाकुर कुमार सालवी, चित्तौड़गढ़
राजस्थान के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने मंगलवार दोपहर अचानक चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार स्थित मेवाड़ विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया, जिससे विश्वविद्यालय परिसर में हड़कंप मच गया. यह दौरा पूर्व सूचना के बिना किया गया था और इसका मुख्य कारण विश्वविद्यालय में कृषि पाठ्यक्रमों को लेकर मिल रही गंभीर शिकायतें थीं.
निरीक्षण के दौरान मंत्री मीणा ने प्रशासनिक कक्षों में दस्तावेजों की जांच की और स्टाफ से सीधे सवाल-जवाब किए. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि विश्वविद्यालय कृषि डिप्लोमा के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभा रहा है. "एक साल के डिप्लोमा कोर्स में छात्रों को मुश्किल से दो घंटे की पढ़ाई कराई जाती है और उन्हें फर्स्ट डिवीजन में पास कर डिग्रियां थमा दी जाती हैं," उन्होंने कहा.
"फर्जी डिग्रियों पर एफआईआर होगी"
मंत्री ने चेतावनी दी कि इस पूरे मामले में कृषि विभाग के माध्यम से एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. उन्होंने एसओजी से भी जवाब मांगा कि अब तक इस फर्जीवाड़े की सख्त जांच क्यों नहीं की गई. उन्होंने इसे "फर्जी डिग्री स्कैम" करार दिया और कहा कि ऐसी डिग्रियों से छात्र न तो RPSC की परीक्षा दे सकते हैं और न ही UPSC की.
बिना परीक्षा लिखे पास, छात्र ने सुनाई आपबीती
शिकायतकर्ता स्वतंत्र विश्नोई ने मंत्री को बताया कि उसे एक दलाल ने 50 हजार रुपए लेकर इस विश्वविद्यालय भेजा था. “न कोई क्लास, न ऑनलाइन न ऑफलाइन पढ़ाई हुई. सीधे एग्जाम में बैठा दिया गया, और कॉपियां हाथों-हाथ जांचकर पास कर दिया गया,” उसने कहा. “मैंने कुछ भी नहीं लिखा फिर भी मुझे फर्स्ट डिवीजन में पास कर दिया गया.”
मान्यता भी संदेह के घेरे में
निरीक्षण के दौरान मंत्री ने यह भी खुलासा किया कि विश्वविद्यालय ने एक साल पहले सरकार को हलफनामा दिया था कि वह ICAR से मान्यता ले लेगा, लेकिन अब तक कोई मान्यता नहीं ली गई. “यह संस्थान न सिर्फ कृषि डिप्लोमा बल्कि B.Sc., हॉर्टिकल्चर जैसे अन्य कोर्सों में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां कर रहा है,” मंत्री ने कहा.
शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल
मंत्री मीणा ने कहा कि मेवाड़ जैसे निजी विश्वविद्यालय राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था को कलंकित कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय दोगुनी करने में लगे हैं, वहीं ऐसे फर्जी संस्थान युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं.”
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विश्वविद्यालय की डिग्रियों, परीक्षा प्रक्रिया, कर्मचारियों की नियुक्ति और शैक्षणिक गतिविधियों की पूरी तरह जांच की जाए. साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि राज्य सरकार अब निजी विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली पर विशेष निगरानी रखेगी.
अगली कार्रवाई की प्रतीक्षा
फिलहाल विश्वविद्यालय की जांच जारी है. कृषि विभाग, प्रशासन और अन्य एजेंसियां रिपोर्ट तैयार कर रही हैं. दस्तावेज़ों और पूछताछ के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
यह मामला न सिर्फ मेवाड़ यूनिवर्सिटी तक सीमित है, बल्कि पूरे प्रदेश में शिक्षा के नाम पर चल रहे फर्जीवाड़ों की गहराई को उजागर करता है. अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस पर क्या ठोस कार्रवाई करती है या मामला सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

