दुबई.अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे ने एक बार फिर वैश्विक विमानन क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता को सिद्ध कर दिया है. वर्ष 2025 की पहली छमाही में इस एयरपोर्ट ने रिकॉर्ड 46 मिलियन यात्रियों का आंकड़ा पार कर लिया, जो इसे दुनिया के सबसे व्यस्ततम हवाई अड्डों में लगातार बनाए रखने का प्रमाण है. यह उपलब्धि न केवल दुबई की रणनीतिक स्थिति का परिणाम है, बल्कि इसकी अत्याधुनिक अधोसंरचना और प्रबंधन दक्षता की भी मिसाल है.
वर्षों से दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट (DXB) वैश्विक यात्रियों के लिए एक केंद्रीय ट्रांजिट हब बन चुका है. 2014 से अब तक यह हवाई अड्डा दुनिया के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट्स की सूची में शीर्ष पर बना हुआ है. एक तरफ जहाँ वैश्विक स्तर पर विमानन उद्योग कोविड-19 के प्रभाव से धीरे-धीरे उबर रहा है, वहीं दुबई एयरपोर्ट ने यात्रियों की संख्या और संचालन में तेज़ी से सुधार दिखाया है.
2025 की पहली छमाही के आँकड़े बताते हैं कि जनवरी से जून तक 46 मिलियन से अधिक यात्री दुबई एयरपोर्ट से गुज़रे, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है. यह संख्या न केवल महामारी-पूर्व स्तरों के करीब पहुँच चुकी है, बल्कि कई मानकों में उसे पीछे भी छोड़ चुकी है. अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 90 मिलियन को पार कर सकता है.
इस सफलता के पीछे सबसे बड़ी वजह दुबई की रणनीतिक भौगोलिक स्थिति मानी जा रही है, जो एशिया, यूरोप और अफ्रीका के बीच एक सेतु की भूमिका निभाती है. यह एक ऐसा केंद्र बन चुका है जहाँ से विभिन्न महाद्वीपों के बीच यात्रा करना न केवल आसान है, बल्कि समय और लागत दोनों की दृष्टि से किफायती भी है. इसी कारण दुबई ट्रांजिट यात्रियों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बन गया है.
इसके अतिरिक्त दुबई एयरपोर्ट की विश्वस्तरीय सुविधाएं, स्वचालित सुरक्षा जांच प्रणालियाँ, यात्रियों के लिए डिजिटल सहायता और उत्कृष्ट सेवा गुणवत्ता इसे अन्य अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट्स से अलग बनाती हैं. यहाँ तक कि विलासिता से भरपूर लाउंज, कस्टमाइज्ड ड्यूटी-फ्री अनुभव और तेजी से पासपोर्ट नियंत्रण जैसी सेवाएँ यात्रियों को बार-बार लौटने के लिए प्रेरित करती हैं.
दुबई एयरपोर्ट को संचालित करने वाली संस्था 'दुबई एयरपोर्ट्स' के सीईओ पॉल ग्रिफिथ्स ने बताया कि यह उपलब्धि सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि पूरी टीम के अथक प्रयासों और दुबई सरकार की दूरदर्शी नीति का नतीजा है. उन्होंने यह भी कहा कि एयरपोर्ट अब तकनीकी नवाचारों और स्थायित्व–केंद्रित सुविधाओं को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रहा है.
दुबई एयरपोर्ट का यह उभार उस वक्त विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है जब वैश्विक विमानन उद्योग स्थायित्व, कार्बन उत्सर्जन में कटौती और टिकाऊ विकास जैसे नए मानकों की ओर बढ़ रहा है. दुबई ने न केवल इन चुनौतियों को स्वीकार किया है, बल्कि उन्हें अवसर में बदलने का भी प्रयास किया है. स्मार्ट टर्मिनल प्रौद्योगिकी, ग्रीन एनर्जी समाधान और डिजिटल बोर्डिंग जैसी पहलों के माध्यम से दुबई ने भविष्य के हवाई सफर की रूपरेखा तैयार करनी शुरू कर दी है.
इस साल की पहली छमाही में सबसे अधिक यात्री भारत, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका से दुबई पहुँचे हैं. खासतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप और खाड़ी क्षेत्र के यात्रियों के लिए यह एयरपोर्ट प्रवेश और प्रस्थान दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है.
एक और खास बात यह रही कि दुबई में आयोजित हुए कई वैश्विक सम्मेलनों, व्यापार मेलों और सांस्कृतिक आयोजनों ने भी पर्यटकों की आमद को बढ़ाया. वहीं एक्सपो 2025 जैसे आयोजनों की तैयारी भी यात्रियों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी की ओर संकेत करती है.
दुबई एयरपोर्ट की यह निरंतर सफलता यह दर्शाती है कि जब किसी राष्ट्र की नीतियाँ नवाचार और कुशल प्रबंधन के साथ जुड़ती हैं, तो वैश्विक मानचित्र पर एक अद्वितीय पहचान बनाना संभव हो जाता है. आने वाले वर्षों में दुबई एयरपोर्ट सिर्फ एक यात्री केंद्र नहीं, बल्कि वैश्विक गतिशीलता का प्रतीक बन कर उभरेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

