मुंबई, भारतीय अर्थव्यवस्था जिस समय निवेशकों की बढ़ती रुचि और वैश्विक अनिश्चितताओं से थोड़ी राहत की ओर बढ़ रही थी, उसी समय अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संभावित टैरिफ नीति के संकेत ने घरेलू बाजार में भूचाल ला दिया। बुधवार की सुबह जैसे ही यह खबर फैली कि ट्रंप ने अपनी चुनावी रैलियों में भारत समेत कुछ एशियाई देशों पर भारी टैरिफ लगाने की बात दोहराई है, बीएसई और एनएसई में एकाएक भारी बिकवाली शुरू हो गई। इस झटके से केवल 10 मिनट में बाजार में निवेशकों के करीब 3 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए।
सेंसेक्स और निफ्टी में तेज़ गिरावट
सुबह 9:15 बजे बाजार जैसे ही खुला, सेंसेक्स ने 450 अंकों की गिरावट के साथ व्यापार की शुरुआत की। अगले 10 मिनटों में यह गिरावट और गहरा गई और सेंसेक्स 1120 अंक तक टूट गया। निफ्टी ने भी इसी अनुपात में नीचे गोता लगाया और प्रमुख सूचकांक 320 अंकों से अधिक लुढ़क गया।
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार यह गिरावट केवल तकनीकी या मुनाफावसूली के कारण नहीं थी, बल्कि ट्रंप के द्वारा भारत पर व्यापारिक शुल्क (टैरिफ) लगाने की संभावना जताए जाने के बाद पैदा हुई एक गहरी आर्थिक अनिश्चितता के कारण थी।
सेक्टरवार असर: IT, फार्मा और ऑटो को सबसे बड़ा झटका
विश्लेषकों ने बताया कि सबसे अधिक नुकसान उन सेक्टर्स को हुआ है जो अमेरिका के साथ व्यापारिक रूप से गहरे जुड़े हुए हैं।
IT सेक्टर: इंफोसिस, टीसीएस, एचसीएल टेक्नोलॉजीज जैसे दिग्गज शेयरों में 3-5% की गिरावट देखी गई।
फार्मा: सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज़, ल्यूपिन जैसी कंपनियों के स्टॉक्स में भी गिरावट आई, क्योंकि अमेरिका इनके लिए सबसे बड़ा एक्सपोर्ट बाजार है।
ऑटोमोबाइल: भारत की कई बड़ी ऑटो कंपनियाँ जैसे टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मारुति भी अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं। इन शेयरों में औसतन 2.5% की गिरावट दर्ज की गई।
निवेशकों की संपत्ति में तेज़ गिरावट
बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण सुबह 9:15 बजे लगभग ४२७ लाख करोड़ रुपये था, जो अगले 10 मिनट में घटकर ४२४ लाख करोड़ रुपये रह गया। इसका मतलब यह हुआ कि केवल कुछ मिनटों में ही निवेशकों को 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का घाटा सहना पड़ा।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के वरिष्ठ विश्लेषक हर्षद पाटिल के अनुसार, "भले ही ट्रंप की टैरिफ नीति अभी औपचारिक रूप से लागू नहीं हुई है, लेकिन उनके बयानों से निवेशकों के मन में डर बैठ गया है।"
ट्रेडर्स और रिटेल निवेशकों में घबराहट
मुंबई के दलाल स्ट्रीट से लेकर अहमदाबाद, दिल्ली और कोलकाता तक ट्रेडिंग हॉल में सुबह से ही घबराहट देखी गई। कई रिटेल निवेशकों ने अपने म्यूचुअल फंड्स और शेयरों में आंशिक निकासी शुरू कर दी।
स्टॉक ब्रोकर संस्था एनएसबीई ट्रेडिंग के एक सदस्य ने बताया, "सुबह 9:20 से 9:40 के बीच हमें बड़े पैमाने पर सेलिंग ऑर्डर मिले। खासतौर पर छोटे और मंझले निवेशक इस बात को लेकर परेशान थे कि कहीं यह गिरावट लंबी न चल जाए।"
विशेषज्ञों की राय: डर बनाम हकीकत
हालांकि कई विश्लेषकों ने यह भी कहा कि इस तरह की गिरावट प्रतिक्रियात्मक होती है और फिलहाल ट्रंप की नीतियाँ केवल चुनावी बयान तक सीमित हैं।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के आर्थिक सलाहकार केतन मेहता ने कहा, "जब तक अमेरिका की ओर से कोई औपचारिक बयान या नीति नहीं आती, तब तक निवेशकों को घबराने की ज़रूरत नहीं है। यह गिरावट अल्पकालिक हो सकती है, मगर यह एक चेतावनी भी है कि वैश्विक राजनीति का घरेलू बाजार पर कितना गहरा असर होता है।"
आरबीआई और वित्त मंत्रालय की चुप्पी
घटना के बाद से भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) और वित्त मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि माना जा रहा है कि अगर वैश्विक तनाव के चलते बाजार में अस्थिरता बढ़ती है, तो आरबीआई डॉलर की आपूर्ति और रुपए की स्थिरता के लिए आवश्यक कदम उठा सकता है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
वित्तीय योजनाकारों की सलाह है कि निवेशकों को अभी अपने दीर्घकालिक निवेश को लेकर घबराना नहीं चाहिए।
डीआईवाई निवेशक: अपनी SIPs को जारी रखें, क्योंकि गिरते बाजार में इकाइयाँ सस्ती मिलती हैं।
ट्रेडर्स: वोलैटिलिटी के इस दौर में स्टॉप-लॉस का प्रयोग करें और हेजिंग पर ज़ोर दें।
सीनियर सिटीजन व रिटायर्ड वर्ग: रिटर्न की स्थिरता के लिए FD व डेट इंस्ट्रूमेंट्स पर थोड़ा और भरोसा किया जा सकता है।
भारत की रणनीतिक स्थिति: आत्मनिर्भर भारत बनाम टैरिफ वार
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने “आत्मनिर्भर भारत” जैसी योजनाओं के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास किया है, लेकिन आईटी, फार्मा और टेक्सटाइल जैसे सेक्टर अभी भी अमेरिकी मांग पर निर्भर हैं। यदि अमेरिका भविष्य में भारत के खिलाफ टैरिफ बढ़ाता है, तो इससे रोजगार, निर्यात और कंपनियों की कमाई पर सीधा असर पड़ेगा।
वहीं विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को अब अमेरिका पर व्यापारिक निर्भरता को संतुलित करने के लिए दक्षिण एशिया, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने की रणनीति बनानी चाहिए।
आज का दिन भारतीय बाजार के लिए एक चेतावनी है कि किस प्रकार वैश्विक राजनीति और अमेरिका की नीतियाँ घरेलू अर्थव्यवस्था को झकझोर सकती हैं। ट्रंप के एक बयान ने भारतीय निवेशकों के 3 लाख करोड़ रुपये झटके में उड़ा दिए। हालांकि दीर्घकालिक दृष्टिकोण अभी भी मजबूत माना जा रहा है, लेकिन फिलहाल बाजार में डर का माहौल बना हुआ है। आने वाले दिनों में इस पर सरकार और आरबीआई की प्रतिक्रिया निर्णायक होगी कि यह भूचाल अस्थायी था या किसी बड़े तूफान की दस्तक।