ज्योतिष से समझिए मुकदमे का कारण कौन से ग्रह फँसाते हैं, कोर्ट-कचहरी में और कौन दिलाते न्याय

ज्योतिष से समझिए मुकदमे का कारण कौन से ग्रह फँसाते हैं

प्रेषित समय :19:15:27 PM / Sat, Aug 2nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के जीवन में आने वाले विवाद, झगड़े, कोर्ट-कचहरी के मामले केवल सांसारिक घटनाएं नहीं माने जाते, बल्कि इनके पीछे ग्रहों और भावों का गहन संबंध होता है. जन्मकुंडली में जब कुछ विशेष ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं या कुछ विशिष्ट योग बनते हैं, तब व्यक्ति को कानून से जुड़ी समस्याओं, मुकदमेबाज़ी या यहां तक कि कारावास तक का सामना करना पड़ सकता है.यदि किसी व्यक्ति के जीवन में मुकदमा, कोर्ट का चक्कर या कानून से जुड़े संकट आ रहे हों, तो मात्र वकील और दस्तावेज़ ही नहीं, बल्कि कुंडली का भी विश्लेषण आवश्यक है. यह केवल एक आध्यात्मिक उपाय नहीं, बल्कि जीवन की दिशा बदलने वाला मार्गदर्शन हो सकता है.

मुकदमे के कारक ग्रह कौन से होते हैं
1. राहु
राहु न्याय व्यवस्था में भ्रम, छल, झूठ और गुप्त शत्रुता को दर्शाता है. जब राहु छठे, आठवें या बारहवें भाव में आता है, तो यह व्यक्ति को झूठे आरोपों या झगड़ों में फंसा सकता है.

2. शनि
शनि मूलतः न्याय का ग्रह माना जाता है, परंतु जब यह पाप ग्रहों से युक्त हो, या स्वयं नीच राशि में चला जाए, तो व्यक्ति को लंबी कानूनी लड़ाई और विलंबित न्याय के चक्र में डाल सकता है.

3. मंगल
मंगल संघर्ष, आक्रामकता और झगड़ों का कारक है. जब यह 6वें, 8वें या 12वें भाव में स्थित होता है और विशेषकर शत्रु भाव में उग्र हो, तो मुकदमेबाज़ी के प्रबल योग बनते हैं.

4. केतु
केतु भ्रम और अचानक उत्पन्न होने वाली समस्याओं का प्रतीक है. जब राहु–केतु अशुभ भावों में आते हैं या राहु के साथ शनि की युति होती है, तो गुप्त शत्रु या अदालती संकट पैदा कर सकते हैं.

मुकदमे से जुड़े मुख्य भाव
छठा भाव (6th House)
यह भाव शत्रु, ऋण, विवाद और रोगों से जुड़ा होता है. यहां अशुभ ग्रहों की उपस्थिति मुकदमेबाज़ी के संकेत देती है.

अष्टम भाव (8th House)
रहस्यमयी संकट, लंबी अवधि के संघर्ष और कानून से जुड़ी बाधाएं इस भाव से देखी जाती हैं.

बारहवां भाव (12th House)
हानि, पराजय, खर्च और कारावास से जुड़ा यह भाव व्यक्ति को न्याय व्यवस्था में हार या आर्थिक नुकसान दे सकता है.

जन्मकुंडली में मुकदमेबाज़ी के संभावित योग
छठे भाव में राहु या मंगल का स्थित होना

छठे भाव का स्वामी अष्टम या द्वादश भाव में चला जाना

शनि और राहु की युति या शनि की राहु पर दृष्टि

चंद्र-राहु की युति (ग्रहण योग) यदि 6, 8 या 12 भाव में हो

शनि, राहु, मंगल या केतु की दशा या अंतर्दशा का प्रभाव जब अशुभ भावों पर हो

इन स्थितियों में व्यक्ति को झूठे आरोप, कोर्ट केस, संपत्ति विवाद, या पारिवारिक झगड़े जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.

क्या हर मुकदमा दुर्भाग्य होता है
नहीं. यदि वही शनि शुभ दृष्टि में हो या उच्च भावों में स्थित हो, तो वही व्यक्ति को न्याय दिलाने वाला भी बन सकता है. यह भी देखा जाता है कि यदि नवमेश (धर्म भाव) और भाग्य भाव मजबूत हों, तो व्यक्ति को अंततः जीत भी मिल सकती है.

उपाय जो कोर्ट-कचहरी से राहत दिला सकते हैं
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ

मंगल और राहु की शांति हेतु विशेष वैदिक पूजा या हवन

सप्ताह में मंगलवार को हनुमान मंदिर में सिंदूर चढ़ाना

राहु-केतु दोष निवारण के लिए नीलम, गोमेद या उपयुक्त रत्न धारण (कुंडली परीक्षण के बाद ही)

सात शनिवार शनि मंदिर में तिल का दान और तेल का दीपक प्रज्वलित करना

पंडित चंद्रशेखर नेमा हिमांशु*(9893280184)
मां कामाख्या साधक जन्म कुंडली विशेषज्ञ वास्तु शास्त्री

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-