चेन्नई के उत्तर में पुलीकट झील के तट पर बर्ड-वॉचिंग की दुनिया में नया ठिकाना

चेन्नई के उत्तर में पुलीकट झील के तट पर बर्ड-वॉचिंग की दुनिया में नया ठिकाना

प्रेषित समय :21:34:26 PM / Sat, Aug 2nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सीमा पर स्थितचेन्नई के उत्तर में   पुलीकट झील, भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है. यहाँ हर साल हजारों प्रवासी पक्षी, विशेष रूप से ग्रेटर फ्लेमिंगो, साइबेरियन सारस, स्टिल्ट्स और ग्रीन शंक्स** जैसे दुर्लभ पक्षी देखने आते हैं. इस झील के पास थोनिरेवु नामक स्थल पर एक नई ईको-टूरिज्म साइट का विकास किया जा रहा है, जो विशेष रूप से बर्ड वॉचर्स, प्रकृति प्रेमियों और इको-ट्रैवलर्स को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन की गई है.

पर्यावरणीय दृष्टिकोण: क्यों ज़रूरी है ये पहल?
जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और बेतरतीब पर्यटन ने पुलीकट जैसे संवेदनशील जलक्षेत्रों पर दबाव डाला है. थोनिरेवु ईको-टूरिज्म स्थल को निम्नलिखित उद्देश्यों से विकसित किया जा रहा है:

बर्ड हैबिटैट संरक्षण
संरक्षित वातावरण में प्रवासी पक्षियों के आवास और प्रजनन स्थल की सुरक्षा.

स्थानीय समुदाय की भागीदारी
पर्यावरण मित्र गाइड, होमस्टे, हस्तशिल्प, और लोक-खाद्य के ज़रिए स्थानीय आजीविका को प्रोत्साहन.

शिक्षा एवं जागरूकता
पर्यावरणीय शिक्षा केंद्र, बर्डिंग वर्कशॉप और रिसर्च के अवसर.

पर्यटक गाइड: थोनिरेवु कैसे पहुँचे और क्या देखें
कैसे पहुँचें:

निकटतम शहर: चेन्नई (लगभग 60 किमी)

रेल मार्ग: अंबट्टूर या सुलूरपेट रेलवे स्टेशन

सड़क मार्ग: ईस्ट कोस्ट रोड (ECR) के माध्यम से निजी टैक्सी या बस सेवा

मुख्य आकर्षण:

फ्लेमिंगो पॉइंट: जहाँ हजारों फ्लेमिंगो एक साथ देखे जा सकते हैं

इंटरप्रिटेशन सेंटर: पक्षियों, जैव विविधता और ईको-टूरिज्म की जानकारी देने वाला केंद्र

वॉच टावर और वॉकिंग ट्रेल्स: शांत वातावरण में पक्षी दर्शन के लिए विशेष रास्ते

स्थानीय नाव यात्रा: गाइडेड टूर जिसमें झील की जैविक विविधता को नजदीक से देखा जा सकता है

सुझावित यात्रा अवधि:

नवम्बर से फरवरी: प्रवासी पक्षियों की अधिकतम उपस्थिति

सुबह 6 से 9 बजे या शाम 4 से 6 बजे: बर्ड वॉचिंग के लिए आदर्श समय

टूरिस्ट के लिए उपयोगी सुझाव
सुविधा    विवरण
रुकने की व्यवस्था    स्थानीय होमस्टे या सुलूरपेट में होटल
भोजन    स्थानीय मछली व्यंजन, शाकाहारी विकल्प सीमित
ज़रूरी सामान    बाइनोक्युलर, सनस्क्रीन, टोपी, रीफ़िल पानी की बोतल
नियम    पक्षियों को न छेड़ें, ज़ोर से बात न करें, प्लास्टिक निषेध

 नीतिगत महत्व और चुनौतियाँ
सकारात्मक संकेत:
पुलीकट क्षेत्र में लंबे समय से हो रहे पर्यावरणीय आंदोलनों को सरकार की इस पहल से समर्थन मिलेगा.

इससे "Slow & Responsible Tourism" को बढ़ावा मिलेगा, जो भारत में अब तक कम प्रचलित रहा है.संभावित चुनौतियाँ:

अगर पर्यटक नियंत्रण न हुआ तो शोर, कूड़ा, और जैव विविधता को नुकसान हो सकता है.

ईको-टूरिज्म केवल टैग न बन जाए, इसके लिए स्थायी निगरानी और नीति क्रियान्वयन ज़रूरी होगा.

 स्थानीय प्रभाव: आजीविका और सहभागिता
इस स्थल के विकास से आसपास के गांवों को इन क्षेत्रों में काम मिलेगा:

गाइडिंग और नाव संचालन

स्थानीय कला और हस्तशिल्प की बिक्री

स्थानीय खाद्य और पाक संस्कृति का प्रचार

महिलाओं के लिए शिल्प प्रशिक्षण और रोजगार

 भारत के ईको-टूरिज्म मानचित्र पर एक नई बिंदी
थोनिरेवु का यह प्रोजेक्ट न केवल पुलीकट क्षेत्र को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि यह सतत पर्यटन, स्थानीय भागीदारी, और प्राकृतिक धरोहर संरक्षण का एक अनुकरणीय मॉडल बन सकता है.

यह विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारत को वैश्विक मंच पर बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट और सस्टेनेबल टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में प्रस्तुत करने की आवश्यकता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-