हाल के वर्षों में भारत की सबसे महत्वपूर्ण परीक्षाओं – CBSE बोर्ड और NEET PG – को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाहों का अजीबोगरीब और खतरनाक चलन तेजी से उभर रहा है. ये अफवाहें कभी पेपर लीक के रूप में सामने आती हैं, तो कभी परीक्षा रद्द होने या परिणाम में बड़े फेरबदल जैसे दावों के साथ. चिंता की बात यह है कि इन अफवाहों का प्रभाव सिर्फ छात्रों के मानसिक संतुलन तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह उनकी तैयारी, विश्वास और परीक्षा व्यवस्था के प्रति भरोसे को भी चोट पहुंचाता है.CBSE और NEET PG जैसी परीक्षाएं देश के लाखों छात्रों के भविष्य से जुड़ी होती हैं, और उन्हें लेकर कोई भी अफवाह सिर्फ एक मज़ाक नहीं, बल्कि एक गंभीर अपराध है. सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली बातें अगर भ्रामक हैं, तो वे विद्यार्थियों के मानसिक और शैक्षिक जीवन को नुकसान पहुंचा सकती हैं. ऐसे में छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे सूचना का विवेकपूर्ण उपभोग करें और दूसरों को भी उसी दिशा में प्रेरित करें. एक जागरूक छात्र ही अपनी मेहनत को सुरक्षित रख सकता है. याद रखें—सत्य वही है जो सत्यापित है. बाकी सब शोर है.
सोशल मीडिया पर अफवाहों का चरित्र
बीते कुछ दिनों में, CBSE की पूरक परीक्षा और NEET PG 2025 को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की झूठी खबरें वायरल हुईं—जैसे कि कुछ चुनिंदा केंद्रों पर पेपर लीक हो गया है, या परीक्षा में प्रश्न पूर्व निर्धारित छात्रों को दिए गए हैं, अथवा परीक्षा रद्द की जाएगी और दोबारा कराई जाएगी. ऐसी अफवाहें WhatsApp ग्रुप्स, Telegram चैनल्स, Instagram reels, और YouTube shorts के माध्यम से तेजी से फैलाई जाती हैं, जो छात्र-समुदाय में भ्रम, भय और असंतोष को बढ़ावा देती हैं.
CBSE और NBEMS (National Board of Examinations in Medical Sciences) ने ऐसे मामलों पर गंभीर प्रतिक्रिया दी है. दोनों संस्थानों ने अपने-अपने आधिकारिक पोर्टल और सोशल मीडिया अकाउंट्स के माध्यम से स्पष्ट किया है कि "कोई पेपर लीक नहीं हुआ है," और जो भी इस प्रकार की झूठी सूचना फैला रहा है, उसके खिलाफ साइबर क़ानूनों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी. NBEMS ने तो यहां तक कहा कि NEET PG की परीक्षा सामग्री पर नॉन-डिस्क्लोज़र एग्रीमेंट लागू है और उसे किसी भी रूप में साझा करना परीक्षा संहिता का उल्लंघन है.
छात्रों के लिए वास्तविक खतरा क्या है
अफवाहें सिर्फ झूठी नहीं होतीं, वे खतरनाक भी होती हैं. एक अभ्यर्थी जो महीने भर की मेहनत के बाद परीक्षा देने गया हो, वह यदि परीक्षा से पहले यह सुन ले कि पेपर लीक हो गया है या परीक्षा रद्द होगी, तो उसका मानसिक संतुलन बिगड़ना स्वाभाविक है. यह स्थिति कुछ छात्रों को निराशा में, कुछ को आक्रोश में और कई को अवसाद की ओर धकेल सकती है. अनेक बार छात्रों ने सोशल मीडिया पर गुस्से में आकर वीडियो डाले, आत्मविश्वास खोया, और कुछ ने तो सोशल मीडिया के ही आधार पर परीक्षा छोड़ने तक का निर्णय ले लिया.
आधिकारिक और अनाधिकारिक जानकारी में भेद करना जरूरी
यह समझना जरूरी है कि परीक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर केवल आधिकारिक स्रोतों से प्राप्त जानकारी को ही सही माना जाना चाहिए. CBSE की वेबसाइट (cbse.gov.in), NBEMS की वेबसाइट (natboard.edu.in), और NTA (nta.ac.in) जैसे पोर्टल्स ही वे प्लेटफ़ॉर्म हैं जहां से विश्वसनीय सूचना मिलती है. इसके अलावा, प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB), शिक्षा मंत्रालय, और स्वयं इन संस्थाओं के आधिकारिक ट्विटर/X हैंडल्स पर भी तात्कालिक अपडेट डाले जाते हैं.
छात्रों को यह सिखाया जाना चाहिए कि किसी भी सूचना को तब तक न मानें, जब तक वह किसी आधिकारिक स्रोत से प्रमाणित न हो. इसके लिए उन्हें यह प्रशिक्षण देना आवश्यक है कि वे फॉरवर्डेड मैसेज, बिना स्रोत के वायरल वीडियो, और clickbait thumbnails को सूचना का स्रोत न मानें.
क्या करें और क्या न करें
परीक्षा से संबंधित किसी भी सूचना को बिना जांचे दूसरों तक न पहुँचाएं.
व्हाट्सऐप ग्रुप्स या टेलीग्राम चैनलों में फैली बातों को अंतिम सत्य न मानें.
यदि कोई जानकारी भ्रमित कर रही हो तो बोर्ड की वेबसाइट या हेल्पलाइन पर जाकर सत्यापन करें.
परीक्षा के समय स्वयं को मानसिक रूप से स्थिर और एकाग्र रखें.
तैयारी के समय सोशल मीडिया पर सीमित समय ही दें, विशेषकर परीक्षा से 10–15 दिन पहले.
यदि किसी को ऐसी अफवाहें फैलाते देखें तो स्क्रीनशॉट या लिंक के साथ संबंधित संस्था को रिपोर्ट करें.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

