दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों पर फिलहाल नहीं लगेगी रोक: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों पर फिलहाल नहीं लगेगी रोक: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

प्रेषित समय :18:35:18 PM / Tue, Aug 12th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय ने पुराने वाहनों को लेकर आम लोगों को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी. सर्वोच्च अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया. दिल्ली सरकार की तरफ से याचिका में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एनसीआर में ओल्ड व्हीकल्स पर लगे बैन के 2018 के आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी.

पुराने वाहनों के स्वामियों को बड़ी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ कहा कि  End of Life Vehicles यानी फाइनल स्टेज में पहुंच चुके वाहनों के मालिकों के खिलाफ जबरन या दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी. इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट चार हफ्ते बाद फिर से सुनवाई करेगी. कोर्ट के इस फैसले के बाद दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहन रखने वाले लोगों को बड़ी राहत मिली है. हालांकि अंतिम निर्णय  चार सप्ताह बाद ही आएगा.

क्या है दिल्ली सरकार की दलील

दिल्ली सरकारी की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील पेश करते हुए कहा कि इस केस में विचार करने की जरूरत है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली में एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ही 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के यूज पर बैन लगाया था. दिल्ली  सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि कई लोग सीमित रूप से अपने वाहनों का इस्तेमाल करते हैं. जैसे की घर से ऑफिस और ऑफिस से घर आने के लिए.  ऐसे वाहने शायद ही दो हजार किलोमीटर से ज्यादा नहीं चलते.

सुप्रीम कोर्ट ने कही यह बात

दरअसल, दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका  दायर करके 2018 के आदेश की समीक्षा करने का अनुरोध किया था. याचिका में दिल्ली सरकार का तर्क था कि इस पॉलिसी से उन लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिनके वाहन बहुत कम इस्तेमाल होते हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम दूसरे पक्ष को सुने बिना कोई निर्णय नहीं ले सकते हैं. 
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-