सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 65 लाख नामों की सूची वेबसाइट पर डालें, चुनाव आयोग मंगलवार तक बताएं क्या कर रहे हैं, आधार को वैध दस्तावेज माना

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 65 लाख नामों की सूची वेबसाइट पर डालें

प्रेषित समय :16:52:18 PM / Thu, Aug 14th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली/पटना. सुप्रीम कोर्ट में बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) पर तीसरे दिन भी सुनवाई हुई. जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच में ये सुनवाई चली. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा श्मंगलवार तक चुनाव आयोग यह बताए कि वह पारदर्शिता के लिए क्या कदम उठाने जा रहा है. अदालत ने स्पष्ट किया कि जिन लोगों ने फॉर्म जमा किए हैं, वे फिलहाल मतदाता सूची में शामिल हैं.

जस्टिस सूर्यकांत ने वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा चूंकि  यह कार्रवाई नागरिक के मताधिकार से वंचित करने जैसे गंभीर परिणाम ला सकती है, इसलिए निष्पक्ष प्रक्रिया जरूरी है. इस दौरान जस्टिस बागची ने सवाल उठाया कि जब सभी नाम बोर्ड पर चिपकाए जा सकते हैं तो वेबसाइट पर क्यों नहीं डाले जा सकते. अधिवक्ता द्विवेदी ने दलील दी कि एक पुराने फैसले में मतदाता सूची को पूरी तरह खोज योग्य बनाने पर गोपनीयता संबंधी आपत्ति जताई गई थी.

इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि खोज योग्य रूप में जानकारी देना ठीक है. उन्होंने बताया कि बूथ लेवल ऑफिसर के मोबाइल नंबर वेबसाइट पर डाले जाएंगेए जिसे जस्टिस सूर्यकांत ने अच्छा कदम माना. वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने सुझाव दिया कि सूची मशीन-रीडेबल होनी चाहिए क्योंकि पहले एक घोटाला सामने आ चुका है. वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल एस ने बताया कि सूची का फॉर्मेट बदल दिया गया है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने दोहरायाए यह खोज योग्य होना चाहिए. अदालत ने चुनाव आयोग को इस पर 3 दिन का समय दिया.

जैसे नया ड्राफ्ट जारी हुआ वैसे ही काटे गए नाम डालिए-

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मृत, प्रवास कर चुके व डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम सार्वजनिक करने पर अहम सवाल उठाए. जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग से पूछा अगर 22 लाख लोगों को मृत पाया गया है, तो उनके नाम ब्लॉक और सब-डिवीजन स्तर पर क्यों न बताए जाएं. इस पर आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि सिर्फ बूथ लेवल ऑफिसर ही नहीं बल्कि बूथ लेवल एजेंट भी इस प्रक्रिया में शामिल हैं.

जस्टिस बागची ने सुझाव दिया कि मृत, प्रवासी या डुप्लीकेट मतदाताओं के नाम वेबसाइट पर क्यों नहीं डाले जाते. वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि राज्य सरकार की वेबसाइट पर यह संभव नहीं है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट उपलब्ध है. द्विवेदी ने बताया कि यह पंचायत चुनाव के लिए है, लेकिन राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर जानकारी डाली गई है. जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर सहमति जताई. 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-