हिमाचल प्रदेश, जिसे लोग बर्फीली चोटियों, हरे-भरे वन, और खतरनाक पहाड़ी रास्तों के लिए जानते हैं, अब एक और वजह से चर्चा में है. राज्य की महिला बस और ट्रक ड्राइवर नेहू ठाकुर ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है. उनका हाल ही में वायरल हुआ वीडियो दर्शाता है कि कैसे वह हिमाचल की चुनौतीपूर्ण और घुमावदार सड़कों पर आत्मविश्वास के साथ बस चला रही हैं.
यह सिर्फ एक वीडियो नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुका है. इसने दर्शकों को यह संदेश दिया है कि पेशे और हिम्मत का लिंग से कोई संबंध नहीं होता.
सोशल मीडिया पर छा गईं
वीडियो वायरल होने के बाद से ही नेहू ठाकुर का नाम ट्विटर (X), इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर हर तरफ चर्चा का विषय बन गया.
कई लोगों ने लिखा: “यह है असली वुमन पावर.”
कुछ ने कहा: “लिंग रूढ़ियों को तोड़ने वाली मिसाल.”
हिमाचल के स्थानीय यूज़र्स ने गर्व से लिखा: “ये हमारी बहन है, हमारा गौरव है.”
उनकी इस उपलब्धि ने केवल युवतियों को प्रेरित नहीं किया, बल्कि पुरुषों को भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि किसी के कौशल और क्षमता का माप लिंग से नहीं किया जा सकता.
एक चुनौतीपूर्ण पेशा, जिसे पुरुष-प्रधान माना जाता है
बस ड्राइविंग, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में, हमेशा ही कठिन और जोखिम भरा काम माना गया है. तेज़ चढ़ाई, गहरी ढलानें, तीखे मोड़ और अक्सर खराब मौसम—ये सब मिलकर ड्राइविंग को चुनौतीपूर्ण बनाते हैं. ऐसे में किसी महिला का इस पेशे में उतरना और उसमें दक्षता दिखाना अपने आप में साहसिक कदम है.
नेहू ठाकुर ने इस चुनौती को स्वीकार किया और साबित कर दिया कि प्रशिक्षण, धैर्य और आत्मविश्वास से कोई भी कठिन राह पार की जा सकती है.
जुनून से पेशेवर तक
नेहू ठाकुर बचपन से ही ड्राइविंग में रुचि रखती थीं. उन्होंने सबसे पहले हल्के वाहनों से शुरुआत की और धीरे-धीरे बड़े कमर्शियल वाहनों की ओर कदम बढ़ाया.
आज वह हिमाचल प्रदेश राज्य परिवहन की बसें चलाती हैं और कभी-कभी ट्रक भी. उन्होंने न केवल अपने पेशे में महारत हासिल की है, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए एक प्रेरक उदाहरण भी प्रस्तुत किया है.
“अगर आप मन से ठान लें, तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है.” — नेहू ठाकुर
उनके इस विश्वास ने सोशल मीडिया पर भी लोगों को प्रभावित किया है. युवतियां उनकी कहानी को पढ़कर अपनी सीमाओं को चुनौती देने की प्रेरणा ले रही हैं.
प्रेरणा और बदलाव का संकेत
महिला यूज़र्स की राय
सोशल मीडिया पर कई महिलाएं लिख रही हैं कि नेहू ठाकुर जैसी मिसालें उन्हें भी परंपरागत सीमाओं से बाहर निकलने की प्रेरणा देती हैं. कई ने कहा कि यह उदाहरण उन्हें अपने करियर और जीवन में साहसिक निर्णय लेने की हिम्मत देता है.
पुरुष यूज़र्स की राय
कई पुरुषों ने उनके ड्राइविंग कौशल की तारीफ करते हुए कहा कि लिंग के आधार पर किसी की क्षमता को आंकना गलत है. उनका मानना है कि नेहू ठाकुर जैसी महिलाएं पुरानी सोच को बदलने में मदद कर रही हैं.
लिंग भेद के खिलाफ एक ठोस कदम
भारत में परिवहन और भारी वाहन चलाने के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है. नेहू ठाकुर का उदाहरण इस सोच को चुनौती देता है कि “ड्राइविंग सिर्फ पुरुषों का पेशा है.”
उनकी कहानी केवल हिमाचल प्रदेश तक सीमित नहीं है. यह पूरे देश में एक सकारात्मक संदेश फैला रही है कि महिलाएं किसी भी पुरुष-प्रधान पेशे में सफलता हासिल कर सकती हैं.
सरकार और स्थानीय प्रशासन का रुख
राज्य परिवहन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने नेहू ठाकुर की सराहना की है. अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के उदाहरण युवाओं, खासकर युवतियों, को रोजगार के नए अवसरों की ओर प्रेरित करेंगे.
स्थानीय प्रशासन ने उनके प्रशिक्षण और उत्कृष्ट कार्य को सार्वजनिक रूप से मान्यता दी है. उनका कहना है कि भविष्य में और अधिक महिलाओं को इस क्षेत्र में शामिल करने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं बनाई जाएंगी.
अंतरराष्ट्रीय तुलना
दुनिया के कई देशों—जैसे स्वीडन, कनाडा, और जापान—में महिला बस और ट्रक ड्राइवर्स आम बात हैं. भारत में भी यह चलन बढ़ रहा है, लेकिन अभी गति धीमी है. नेहू ठाकुर जैसी कहानियां इस गति को तेज कर सकती हैं और युवतियों के लिए प्रेरणा बन सकती हैं.
समाज और महिला सशक्तिकरण पर असर
नेहू ठाकुर ने साबित किया है कि मेहनत, कौशल और आत्मविश्वास से कोई भी चुनौती पार की जा सकती है. उनका उदाहरण महिलाओं के लिए एक नई राह खोलता है और समाज को यह सिखाता है कि लैंगिक भेदभाव केवल सोच का परिणाम है, और इसे बदला जा सकता है.
युवा महिलाओं के लिए प्रेरणा: परंपरागत सीमाओं को तोड़ने और अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा.
समाज के लिए संदेश: कौशल और प्रतिभा को लिंग से जोड़कर आंकना गलत है.
सरकारी नीतियों के लिए संकेत: महिलाओं को परिवहन और अन्य पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में अवसर देने की आवश्यकता.
नेहू ठाकुर सिर्फ एक बस ड्राइवर नहीं हैं, बल्कि वह एक सोच की प्रतिनिधि हैं—वो सोच जो कहती है कि मेहनत और प्रतिभा का कोई जेंडर नहीं होता. उन्होंने साबित किया है कि साहस, कौशल और लगन से कोई भी चुनौती पार की जा सकती है.
उनकी कहानी न केवल हिमाचल प्रदेश में, बल्कि पूरे देश में महिलाओं और युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है. नेहू ठाकुर ने यह दिखाया कि अगर मन में ठान लें, तो किसी भी कठिन पेशे में सफलता पाई जा सकती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

