वाराणसी, जिसे लोग अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक योगदान के लिए जानते हैं, इस बार महिला सशक्तिकरण और देशभक्ति के क्षेत्र में चर्चा में है. स्वतंत्रता दिवस 2025 के अवसर पर इस ऐतिहासिक शहर की 2,600 से अधिक महिलाओं ने लगभग 4.76 लाख राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगे) तैयार किए, जिससे ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को एक नई दिशा और ऊंचाई मिली.यह सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि यह महिलाओं की सामूहिक शक्ति, हुनर और देशभक्ति का प्रतीक बन गई है.वाराणसी की महिलाओं ने इस अभियान में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सक्रिय भागीदारी दिखाई.
ग्रामीण क्षेत्र: लगभग 2.25 लाख तिरंगे स्थानीय स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए.
शहरी क्षेत्र: शहरी महिलाओं ने लगभग 2.51 लाख झंडे का निर्माण किया.
यह पहल न केवल देशभक्ति की भावना को जगाने वाली थी, बल्कि महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने वाली भी साबित हुई. इस परियोजना के तहत महिलाओं ने सिर्फ झंडा नहीं बनाया, बल्कि अपनी हुनर, मेहनत और समर्पण का प्रदर्शन किया.
इस कार्य को सफल बनाने में स्थानीय प्रशासन, महिला स्वयं सहायता समूह और सामाजिक संस्थाएं सक्रिय रही. प्रत्येक SHG ने अपने क्षेत्र में महिलाओं को प्रशिक्षण और आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई.
स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इस पहल ने महिलाओं के बीच सामूहिक कार्य और नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा दिया. कई महिलाओं ने पहले कभी इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन का अनुभव नहीं किया था.
“यह केवल झंडे बनाने का काम नहीं है. यह हमारे आत्मविश्वास, हमारी मेहनत और देशभक्ति का प्रतीक है.” — एक महिला SHG सदस्य
इस अभियान से यह स्पष्ट हुआ कि महिलाएं केवल घरेलू सीमाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बड़े पैमाने पर योगदान देने में सक्षम हैं.
महिलाओं ने न केवल तिरंगे बनाए, बल्कि कौशल और उत्पादन क्षमता में भी महारत दिखाई.
यह पहल उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता की ओर एक कदम और आगे ले गई.
स्थानीय SHGs की महिलाओं ने इस अवसर पर बताया कि उन्होंने झंडे बनाने के दौरान अपनी सामूहिक सोच और संगठनात्मक क्षमता को मजबूत किया.
‘हर घर तिरंगा’ अभियान केवल झंडे बनाने तक सीमित नहीं है. इसका उद्देश्य देशभक्ति की भावना को घर-घर तक पहुँचाना और महिलाओं को समाज में सक्रिय योगदानकर्ता बनाना भी है.
वाराणसी की महिलाओं ने इस अभियान के माध्यम से यह संदेश दिया कि:
देशभक्ति में सभी को शामिल होना चाहिए, चाहे वह पुरुष हो या महिला.
महिलाओं की सामूहिक मेहनत बड़े पैमाने पर परिवर्तन ला सकती है.
आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण केवल सरकारी योजनाओं तक सीमित नहीं, बल्कि सामूहिक पहल और जागरूकता से भी संभव है.
इस पहल को देखकर स्थानीय समाज और परिवार भी गर्वित महसूस कर रहे हैं.
ग्रामीण इलाकों में परिवारों ने महिलाओं के इस योगदान को सशक्तिकरण और सम्मान का प्रतीक माना.
शहरी क्षेत्रों में युवाओं ने कहा कि यह पहल उन्हें भी देशभक्ति और सामूहिक जिम्मेदारी की सीख देती है.
एक वरिष्ठ स्थानीय अधिकारी ने बताया:
“यह अभियान केवल झंडे बनाने का नहीं है. यह एक सामाजिक और आर्थिक आंदोलन है, जो महिलाओं को नेतृत्व और संगठनात्मक क्षमता सिखाता है.”
दुनिया के कई देशों में भी महिलाएं राष्ट्र-चिंतन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाती हैं. लेकिन भारत में यह पहल महिला सशक्तिकरण और राष्ट्रीय अभियान का एक अद्वितीय उदाहरण बन गई है.
वाराणसी की महिलाओं ने यह साबित किया कि महिलाएं केवल आर्थिक योगदान नहीं करतीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय महत्व के कार्यों में भी बराबरी से हिस्सा ले सकती हैं.
इस तरह के बड़े पैमाने पर उत्पादन से महिलाओं को स्थानीय रोजगार और आय के नए अवसर प्राप्त हुए.
SHGs की महिलाओं ने यह काम अपने घर से किया, जिससे उन्हें गृहिणी से आत्मनिर्भर महिला बनने का अनुभव मिला.
उत्पादन की प्रक्रिया में उन्हें समान रूप से मजदूरी और प्रोत्साहन भी मिला.
इस पहल ने यह दिखाया कि सामाजिक और राष्ट्रीय अभियान महिलाओं के लिए रोजगार और आर्थिक अवसर भी पैदा कर सकते हैं.
स्थानीय प्रशासन और सरकारी अधिकारियों ने इस अभियान को प्रशिक्षण, सामग्री आपूर्ति और मार्गदर्शन प्रदान कर समर्थन दिया.
राज्य सरकार ने कहा कि ऐसी पहलों से महिलाओं की भागीदारी बढ़ती है और समाज में उनकी भूमिका अधिक महत्वपूर्ण बनती है.
देशभक्ति का प्रतीक
वाराणसी की महिलाओं ने यह साबित कर दिया कि सामूहिक प्रयास और समर्पण से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है. 4.76 लाख तिरंगे केवल झंडे नहीं, बल्कि देशभक्ति, महिला सशक्तिकरण और सामूहिक शक्ति का प्रतीक हैं.
यह पहल अन्य राज्यों और समाज के लिए प्रेरणा बन सकती है कि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से राष्ट्रीय कार्यक्रमों और सामाजिक बदलाव में बड़ा योगदान संभव है.वाराणसी की महिलाओं ने दिखाया कि सपने बड़े हों और प्रयास सामूहिक, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं होती.
“हमने केवल तिरंगे नहीं बनाए, हमने साबित कर दिया कि महिलाओं की सामूहिक ताकत किसी भी पहाड़ जैसी कठिनाई को पार कर सकती है.” — SHG की सदस्य इस प्रकार, ‘हर घर तिरंगा’ अभियान ने न केवल स्वतंत्रता दिवस के जश्न को नई ऊँचाई दी, बल्कि महिला सशक्तिकरण और समाज के लिए एक प्रेरक संदेश भी छोड़ गया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

