आर्थिक समीक्षक डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 15 अगस्त 2025 के स्वतंत्रता दिवस भाषण में वस्तु एवं सेवा कर (GST) में सुधारों का संकेत देने के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर इस विषय पर व्यापक चर्चा शुरू हो गई. प्रधानमंत्री ने चार-स्तरीय GST को सरल बनाकर दो-स्तरीय प्रणाली में बदलने की रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसमें 5% और 18% की दरें होंगी. इस बदलाव में पेट्रोल और डीजल स्लैब से बाहर रहेंगे.सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे X (पूर्व ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर उपयोगकर्ताओं ने इस बदलाव को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं साझा की. एक ओर जहां कई लोग इसे आम जनता और व्यापार के लिए राहत देने वाला कदम मान रहे हैं, वहीं कुछ ने संभावित राजस्व नुकसान और पेट्रोल-डीजल को स्लैब से बाहर रखने पर चिंता जताई.सोशल मीडिया पर GST सुधारों की बहस ने स्पष्ट कर दिया कि यह कदम आम जनता और व्यापार दोनों के लिए राहत देने वाला हो सकता है, लेकिन पेट्रोल-डीजल और संभावित राजस्व नुकसान को लेकर सावधानी बरतनी जरूरी है. #DiwaliGiftGST, #SimplifiedTaxSystem और #GSTReform जैसे ट्रेंडिंग हैशटैग ने इस बहस को व्यापक बनाया.
आम नागरिकों और व्यापारिक समुदाय की प्रतिक्रियाएँ यह संकेत देती हैं कि यदि यह सुधार सही तरीके से लागू होता है, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव ला सकता है. साथ ही, सरकार और विशेषज्ञ इस योजना के कार्यान्वयन की बारीकियों पर निगरानी रख रहे हैं ताकि संभावित चुनौतियों का समय रहते समाधान किया जा सके.
सोशल मीडिया पर बहस और ट्रेंडिंग हैशटैग
GST सुधारों पर सोशल मीडिया पर बहस शुरू होते ही कई हैशटैग ट्रेंड करने लगे. इनमें #DiwaliGiftGST, #SimplifiedTaxSystem, #PetrolDieselExcluded, #RevenueLossConcerns और #GSTReform प्रमुख रहे.
#DiwaliGiftGST के तहत उपयोगकर्ताओं ने इस बदलाव को आम जनता के लिए दिवाली का तोहफा बताया. कई लोगों ने लिखा कि यह छोटे व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए राहत देने वाला कदम है. उपभोक्ताओं ने दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर कर में कमी को स्वागतयोग्य बताया और उम्मीद जताई कि इससे खरीदारी में वृद्धि होगी.
#SimplifiedTaxSystem हैशटैग के माध्यम से उपयोगकर्ताओं ने दो स्लैब प्रणाली को कर प्रणाली को सरल बनाने वाला कदम बताया. व्यापारिक समुदाय ने इसे कर अनुपालन में आसानी और प्रशासनिक बोझ में कमी से जोड़कर सराहा. छोटे और मध्यम व्यवसायियों ने उम्मीद जताई कि इस सुधार से उनकी कारोबार संचालन में आसानी आएगी.
नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ और चिंताएँ
कुछ उपयोगकर्ताओं और आर्थिक विशेषज्ञों ने पेट्रोल और डीजल को GST स्लैब से बाहर रखने पर सवाल उठाया. #PetrolDieselExcluded हैशटैग के तहत इस विषय पर बहस हुई. उपयोगकर्ताओं ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की उच्च कीमतें आम उपभोक्ता की जीवन लागत पर असर डालती हैं और इन्हें स्लैब में शामिल करना चाहिए था.
#RevenueLossConcerns हैशटैग के माध्यम से कई लोगों ने संभावित राजस्व नुकसान को लेकर चिंता व्यक्त की. उनका मानना था कि 12% और 18% स्लैब को मिलाकर दो स्लैब में बदलने से सरकार के राजस्व में कमी हो सकती है, जिसका असर विकास योजनाओं और सार्वजनिक परियोजनाओं पर पड़ सकता है.
आर्थिक विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
आर्थिक विशेषज्ञों ने इस कदम को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ दी हैं. कुछ ने इसे अर्थव्यवस्था को गति देने वाला बड़ा सुधार बताया है. उनका मानना है कि दो प्रमुख स्लैब प्रणाली से कर अनुपालन सरल होगा और व्यापार करना आसान हो जाएगा. 12% स्लैब की वस्तुओं को 5% में लाने से मुद्रास्फीति पर लगाम लगेगी और आम जनता के लिए रोजमर्रा की चीजें सस्ती होंगी.
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने कार्यान्वयन और राजस्व के नुकसान को लेकर चिंता जताई. उनका सवाल है कि क्या सरकार इस बदलाव से होने वाले संभावित राजस्व नुकसान की भरपाई कर पाएगी. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि कुछ वस्तुओं को एक स्लैब से दूसरे स्लैब में स्थानांतरित करने से व्यापार में अनिश्चितता पैदा हो सकती है. इसके अलावा, 40% की विशेष दर को लेकर भी चिंता व्यक्त की जा रही है, क्योंकि इससे कुछ उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिक्रियाएँ
उपभोक्ता सामान उद्योग – इस क्षेत्र से सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ मिल रही हैं. उद्योग जगत का मानना है कि 12% स्लैब की वस्तुओं को 5% में स्थानांतरित करने से बिक्री बढ़ेगी. सामान सस्ता होने से उपभोक्ता मांग बढ़ेगी, जिससे उत्पादन और रोजगार दोनों में वृद्धि होगी.
सेवा क्षेत्र – सेवा क्षेत्र के कई व्यवसायी मानते हैं कि 18% की एक समान दर से कर अनुपालन सरल हो जाएगा. हालांकि, छोटे व्यवसायों को चिंता है कि उनके लिए कर का बोझ बढ़ सकता है, खासकर अगर वे पहले 12% या उससे कम के स्लैब में थे.
ऑटोमोबाइल और लग्जरी गुड्स – इन क्षेत्रों में मिला-जुला रुख है. 40% की दर से उन पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे बिक्री प्रभावित हो सकती है. लेकिन, वे उम्मीद कर रहे हैं कि सामान्य आर्थिक वृद्धि और बढ़ती आय से नुकसान की भरपाई हो सकती है.
सोशल मीडिया यूजर्स की प्रतिक्रियाएँ
महिला और पुरुष दोनों तरह के उपयोगकर्ताओं ने इस बहस में अपनी राय दी. कई महिला यूज़र्स ने लिखा कि यह सुधार उन्हें भी परंपरागत सीमाओं से बाहर निकलने की प्रेरणा देगा. पुरुष यूज़र्स ने कहा कि लिंग के आधार पर किसी की क्षमता को आंकना गलत है, और कर प्रणाली को सरल बनाने वाला कदम स्वागत योग्य है.
सोशल मीडिया पर इस बहस ने यह स्पष्ट किया कि जनता और व्यापार दोनों ही इसे एक स्वागत योग्य कदम मानते हैं, लेकिन पेट्रोल-डीजल और संभावित राजस्व नुकसान पर चिंता बरकरार है.
सरकार और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
सरकार इस सुधार के कार्यान्वयन की बारीकियों पर ध्यान दे रही है. आर्थिक विशेषज्ञ इसे सकारात्मक दिशा में एक कदम मानते हैं, लेकिन राजस्व और व्यापारिक अनिश्चितताओं को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत बताते हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कितने निर्णायक साबित होते हैं और क्या आम जनता को वास्तविक लाभ मिलता है.
प्रस्तावित जीएसटी सुधारों पर आर्थिक विशेषज्ञों की राय
सकारात्मक दृष्टिकोण: कई विशेषज्ञों ने इस कदम को बड़ा सुधार बताया जो अर्थव्यवस्था को गति दे सकता है. उनका मानना है कि दो प्रमुख स्लैब (5% और 18%) से कर प्रणाली सरल और कुशल हो जाएगी. इससे व्यापार करना आसान होगा और कर अनुपालन में सुधार होगा. कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि 12% से 5% के स्लैब में आने वाली वस्तुओं की संख्या में वृद्धि से मुद्रास्फीति पर लगाम लगेगी और आम जनता के लिए रोजमर्रा की चीजें सस्ती होंगी.
चिंताएं और चुनौतियां: हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने कार्यान्वयन और राजस्व के नुकसान को लेकर चिंता जताई. उनका सवाल है कि क्या सरकार इस बदलाव से होने वाले संभावित राजस्व नुकसान की भरपाई कर पाएगी. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि कुछ वस्तुओं को एक स्लैब से दूसरे स्लैब में स्थानांतरित करने से व्यापार में अनिश्चितता पैदा हो सकती है. इसके अलावा, 40% की विशेष दर को लेकर भी चिंता जताई गई है, क्योंकि इससे कुछ उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिक्रियाएं
उपभोक्ता सामान उद्योग: उद्योग जगत का मानना है कि 12% स्लैब की वस्तुओं को 5% में स्थानांतरित करने से बिक्री बढ़ेगी. जब सामान सस्ता होगा, तो उपभोक्ता मांग बढ़ेगी, जिससे उत्पादन और रोजगार दोनों में वृद्धि होगी.
सेवा क्षेत्र: कई व्यवसायियों का कहना है कि 18% की एक समान दर से कर अनुपालन सरल होगा. हालांकि, छोटे व्यवसायों को चिंता है कि उनके लिए कर का बोझ बढ़ सकता है, खासकर यदि वे पहले 12% या उससे कम स्लैब में थे.
ऑटोमोबाइल और लग्जरी गुड्स: इस क्षेत्र में मिला-जुला रुख है. 40% की दर से उन पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे उनकी बिक्री प्रभावित हो सकती है. लेकिन उद्योग को उम्मीद है कि सामान्य आर्थिक वृद्धि और लोगों की बढ़ती आय से नुकसान की भरपाई हो सकती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-



