रजनीकांत भारतीय सिनेमा के उन सितारों में गिने जाते हैं जिनका नाम ही सिनेमाघरों में दीवानगी पैदा कर देता है. उनकी हर फिल्म एक उत्सव की तरह होती है, जहाँ दर्शक सिर्फ कहानी या अभिनय के लिए नहीं बल्कि अपने 'थलाइवा' के करिश्मे को पर्दे पर देखने के लिए उमड़ते हैं. हाल ही में रिलीज हुई उनकी नई फिल्म Coolie ने भी ऐसा ही माहौल बनाया. फिल्म का पहला शो शुरू होते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. दिलचस्प यह है कि दर्शकों की राय इस बार एकमत नहीं रही. कुछ ने इसे "महापर्व" कहकर सराहा तो कुछ ने "डिजास्टर" करार देते हुए निराशा जाहिर की.
Coolie की कहानी एक पारंपरिक मसाला एंटरटेनर की तरह शुरू होती है जिसमें रजनीकांत का एंट्री सीन ही दर्शकों को रोमांचित कर देता है. थिएटरों में सीटियां, ताली और आतिशबाजी का माहौल बन गया. निर्देशक ने रजनीकांत की स्क्रीन प्रेज़ेंस को भुनाने की पूरी कोशिश की. शुरुआती दृश्यों में जिस तरह से उनका व्यक्तित्व उभरता है, वह उनके प्रशंसकों के लिए किसी 'त्योहार' से कम नहीं था. यही कारण है कि कई लोगों ने ट्विटर और इंस्टाग्राम पर फिल्म को "महापर्व" कहकर संबोधित किया.
हालांकि, जैसे-जैसे फिल्म इंटरवल के बाद आगे बढ़ी, दर्शकों की धैर्य की परीक्षा लेने लगी. सोशल मीडिया पर कई दर्शकों ने लिखा कि फिल्म की गति बहुत धीमी हो जाती है और पटकथा कमजोर पड़ जाती है. कहानी में कई जगह खींचतान दिखाई देती है, जिससे मनोरंजन का ग्राफ गिरने लगता है. विशेष रूप से युवा दर्शकों ने फिल्म की दूसरे हाफ की स्क्रिप्ट को उबाऊ और दोहराव से भरा बताया. यही वजह है कि #CoolieDisaster ट्रेंड करने लगा.
आलोचकों की मानें तो फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण रजनीकांत का स्टारडम और उनका ऊर्जा से भरा प्रदर्शन है. उनकी हरकतें, डायलॉग डिलीवरी और करिश्मा अब भी दर्शकों को बांधे रखने की क्षमता रखते हैं. लेकिन आधुनिक सिनेमा में केवल स्टारडम पर निर्भर रहना जोखिमभरा हो सकता है. एक दर्शक ने ट्विटर पर लिखा, “थलाइवा शानदार हैं, लेकिन फिल्म में दम नहीं है. सिर्फ उनका करिश्मा कहानी की कमजोरियों को ढक नहीं सका.”
वहीं, दूसरी ओर, रजनीकांत के कट्टर प्रशंसकों के लिए Coolie एक जश्न की तरह रही. तमिलनाडु और कर्नाटक के कई इलाकों में लोग सुबह-सुबह पूजा-पाठ करके सिनेमाघरों में पहुंचे. बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए, दूध से अभिषेक किया गया और आतिशबाजी की गई. इन दर्शकों के लिए फिल्म की कहानी चाहे जैसी भी हो, रजनीकांत की मौजूदगी ही पर्याप्त थी. इसी वजह से सोशल मीडिया पर #CoolieFestival भी ट्रेंड करता रहा.
निर्देशन और तकनीकी पहलुओं पर बात करें तो फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और एक्शन सीक्वेंसेस काबिले-तारीफ हैं. शुरुआती हिस्से में दिखाए गए स्टंट और विजुअल इफेक्ट्स ने दर्शकों को प्रभावित किया. लेकिन फिल्म के दूसरे हिस्से में यही विजुअल भव्यता दोहराव का शिकार होती है. संगीत भी साधारण स्तर का ही रहा, जो दर्शकों के मन पर गहरी छाप छोड़ने में असफल रहा.
फिल्म समीक्षकों ने Coolie को 2.5 से 3 स्टार के बीच रेटिंग दी है. उनका मानना है कि यह फिल्म सिर्फ और सिर्फ रजनीकांत के फैंस के लिए है. जिन्हें कहानी, पटकथा और लॉजिक से ज्यादा 'स्टारडम' का अनुभव करना है, उनके लिए यह फिल्म उत्सव जैसी है. वहीं जो दर्शक एक मजबूत और सघन कहानी की तलाश में हैं, उनके लिए यह निराशाजनक साबित हो सकती है.
Coolie की रिलीज़ ने यह भी दिखा दिया कि भारतीय दर्शक अब केवल बड़े नामों से संतुष्ट नहीं होते. सोशल मीडिया पर हो रही बहस इसका प्रमाण है. आज के समय में दर्शक पटकथा, संवाद और कंटेंट पर बराबर ध्यान देते हैं. अगर फिल्म उस स्तर पर खरा नहीं उतरती, तो आलोचना होना तय है. यही कारण है कि Coolie को लेकर प्रतिक्रियाएँ इतनी विभाजित रहीं.
कुल मिलाकर, Rajinikanth की Coolie एक ऐसी फिल्म है जिसने उनके प्रशंसकों को खुशी का अवसर दिया लेकिन सिनेमा प्रेमियों को निराश भी किया. इसे न तो पूरी तरह महापर्व कहा जा सकता है और न ही पूर्ण डिजास्टर. यह फिल्म रजनीकांत के स्टारडम का उत्सव है लेकिन साथ ही यह चेतावनी भी है कि आने वाले समय में सिर्फ नाम और करिश्मे के बल पर दर्शकों को लंबे समय तक बाँध पाना कठिन होगा.
अगर इसे विश्लेषणात्मक दृष्टि से देखें तो Coolie का सफर भारतीय सिनेमा के बदलते परिदृश्य को दर्शाता है. एक ओर परंपरागत 'स्टार कल्चर' अब भी जीवित है, तो दूसरी ओर कंटेंट-ड्रिवेन सिनेमा की मांग भी लगातार बढ़ रही है. रजनीकांत जैसी हस्तियां दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने की ताकत रखती हैं, लेकिन फिल्म की आत्मा मजबूत पटकथा और कहानी से ही बनती है. यही वह सबक है जो Coolie के जरिए फिल्म इंडस्ट्री को समझना चाहिए.
Coolie वह फिल्म है जिसने रजनीकांत के जादू को फिर एक बार दिखाया लेकिन उसी के साथ यह भी साबित कर दिया कि सोशल मीडिया के दौर में दर्शकों की आवाज़ अब किसी भी स्टार से बड़ी हो चुकी है. कहीं यह फिल्म महापर्व के रूप में देखी गई तो कहीं इसे डिजास्टर कहकर खारिज किया गया. पर इतना तय है कि Rajinikanth की लोकप्रियता और करिश्मा अब भी बरकरार है, और यही वजह है कि उनकी हर फिल्म चाहे जैसी भी हो, चर्चा का केंद्र बन जाती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

