विवेक अग्निहोत्री की नई फिल्म The Bengal Files का ट्रेलर लॉन्च कोलकाता में अचानक रद्द कर दिया गया, जिससे न सिर्फ़ आयोजन स्थल पर अफरा-तफ़री मच गई बल्कि फिल्म से जुड़े विवाद भी और गहराते चले गए. बताया गया कि पुलिस ने सार्वजनिक स्क्रिनिंग की अनुमति न होने का हवाला देते हुए इस कार्यक्रम को रुकवा दिया. निर्देशक विवेक अग्निहोत्री स्वयं इस मौके पर मौजूद थे और उन्होंने इस घटनाक्रम को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया. यह घटना अचानक हुई और इसके बाद फिल्म को लेकर राजनीतिक और सांस्कृतिक बहस तेज़ हो गई.
कोलकाता में The Bengal Files का ट्रेलर लॉन्च एक बड़े स्तर पर आयोजित होना था. इस कार्यक्रम में फिल्म से जुड़े कलाकारों और निर्देशक के साथ ही बड़ी संख्या में मीडिया प्रतिनिधियों और दर्शकों की उपस्थिति अपेक्षित थी. जैसे ही कार्यक्रम शुरू होने वाला था, पुलिस अधिकारियों ने आयोजकों से आवश्यक अनुमति दस्तावेज़ की मांग की. आयोजकों द्वारा प्रस्तुत कागज़ात को पुलिस ने अधूरा बताते हुए कार्यक्रम रोकने का आदेश दिया. इसके चलते उपस्थित लोग असमंजस और असुविधा की स्थिति में पड़ गए.
इस घटना ने न केवल दर्शकों को निराश किया बल्कि फिल्म उद्योग और राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी. विवेक अग्निहोत्री पहले से ही अपनी विवादास्पद फिल्मों और बेबाक विचारों के कारण चर्चित रहते हैं. The Bengal Files के साथ भी शुरुआत से ही यह अंदेशा था कि फिल्म विवादों से घिरी रहेगी. जैसे ही ट्रेलर लॉन्च रोका गया, सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई. एक वर्ग का कहना है कि यह प्रशासन की ओर से जानबूझकर किया गया कदम है ताकि फिल्म की आवाज़ दबाई जा सके, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि आयोजकों ने प्रशासनिक औपचारिकताओं का पालन नहीं किया, जिसके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई.
इस घटना ने फिर से उस सवाल को जन्म दिया है कि क्या भारत में सिनेमा सचमुच अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में सुरक्षित है या फिर संवेदनशील राजनीतिक विषयों पर बनी फिल्मों को किसी न किसी तरह रोका जाता है. The Bengal Files का विषय पहले से ही विवादित माना जा रहा था क्योंकि इसके कथानक में बंगाल की राजनीति, सांप्रदायिक तनाव और सांस्कृतिक असंतुलन जैसे पहलुओं को उठाया गया है. फिल्म की कहानी को लेकर पहले ही अलग-अलग समूहों में असहमति थी और अब ट्रेलर लॉन्च रुकने से यह असहमति और तेज़ हो गई है.
फिल्म उद्योग के कई लोगों ने इस घटना पर प्रतिक्रिया दी. कुछ ने विवेक अग्निहोत्री के समर्थन में बयान जारी किए और कहा कि कला और सिनेमा को सेंसर करने की बजाय उसे स्वतंत्र रूप से देखने और समझने का अवसर देना चाहिए. वहीं आलोचकों का कहना है कि फिल्म का प्रचार जानबूझकर विवादित ढंग से किया जा रहा है ताकि इसे अधिक ध्यान मिले. इस तर्क में यह भी कहा गया कि अगर आयोजक सचमुच नियमों का पालन करते तो यह स्थिति ही नहीं बनती.
ट्रेलर लॉन्च का रद्द होना फिल्म की रिलीज़ रणनीति पर भी असर डाल सकता है. निर्माता पहले इस इवेंट को फिल्म के लिए बड़ा लॉन्चपैड बनाना चाहते थे ताकि चर्चा और दर्शकों की उत्सुकता चरम पर पहुंच सके. लेकिन अब यह योजना ध्वस्त हो गई है. इससे न केवल फिल्म का प्रमोशन प्रभावित हुआ बल्कि रिलीज़ शेड्यूल पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है. कोलकाता, जो बंगाल का सांस्कृतिक और राजनीतिक केंद्र माना जाता है, वहीं पर इस तरह की घटना होना फिल्म की विश्वसनीयता और दर्शकों के साथ इसके संबंध को सीधे प्रभावित करता है.
विवेक अग्निहोत्री ने इस घटना पर अपना गुस्सा और निराशा दोनों व्यक्त किए. उनका कहना था कि यह केवल एक फिल्म का ट्रेलर लॉन्च नहीं था बल्कि कला और सिनेमा को देखने का दृष्टिकोण भी इससे जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि अनुमति न मिलने का बहाना प्रशासन की ओर से एक ‘प्री-टेक्स्ट’ है, जबकि असली वजह फिल्म की विषयवस्तु है. उनकी यह टिप्पणी राजनीतिक रंग ले चुकी है और अब विपक्षी दल भी इसे अपने-अपने ढंग से इस्तेमाल करने लगे हैं.
इस घटनाक्रम का असर दर्शकों पर भी गहरा पड़ा है. कई युवा और सिनेमा प्रेमी, जो ट्रेलर लॉन्च के लिए वहां पहुंचे थे, उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा किए. कुछ ने इसे प्रशासनिक असफलता कहा, तो कुछ ने इसे राजनीतिक दबाव का परिणाम बताया. कई लोगों का मानना था कि फिल्म को देखने या न देखने का निर्णय जनता को करना चाहिए, न कि सरकार या प्रशासन को. वहीं एक वर्ग ऐसा भी था जिसने कहा कि नियम-कानून से ऊपर कोई नहीं है और अगर आयोजकों ने आवश्यक अनुमति नहीं ली तो कार्यक्रम रुकना ही चाहिए था.
फिल्म जगत में विवादों का सिलसिला नया नहीं है. अतीत में भी कई फिल्मों को रिलीज़ से पहले या बाद में इस तरह की रुकावटों का सामना करना पड़ा है. कभी सेंसर बोर्ड की आपत्तियाँ, कभी अदालत के आदेश, तो कभी राजनीतिक दलों का दबाव—ये सभी चीजें फिल्मों के भविष्य को प्रभावित करती रही हैं. The Bengal Files का मामला भी उसी सिलसिले की कड़ी माना जा रहा है. फर्क इतना है कि यह घटना सीधे ट्रेलर लॉन्च के वक्त हुई और निर्देशक की मौजूदगी में घटित होने से यह और अधिक चर्चित हो गई.
आलोचकों का मानना है कि इस विवाद से फिल्म की लोकप्रियता बढ़ सकती है. अक्सर देखा गया है कि जितनी अधिक किसी फिल्म के खिलाफ़ आपत्तियाँ और विवाद खड़े किए जाते हैं, उतना ही वह दर्शकों की उत्सुकता जगाती है. दर्शक जानना चाहते हैं कि आखिर उस फिल्म में ऐसा क्या है जिसे छिपाने या रोकने की कोशिश की जा रही है. इसी जिज्ञासा के कारण बॉक्स-ऑफिस पर कई बार विवादित फिल्में बड़ी सफलता दर्ज करती हैं. इसलिए यह संभावना भी जताई जा रही है कि The Bengal Files को यह विवाद अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचा सकता है.
दूसरी ओर, यह भी सच है कि विवाद फिल्म के लिए नकारात्मक माहौल भी बना सकते हैं. कई बार राजनीतिक और सामाजिक दबाव इतना बढ़ जाता है कि सिनेमाघर मालिक फिल्म लगाने से कतराने लगते हैं. अगर कोलकाता जैसे सांस्कृतिक शहर में इस तरह की बाधाएँ आ सकती हैं, तो छोटे शहरों और कस्बों में तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है. ऐसे में निर्माताओं के सामने यह चुनौती भी होगी कि वे फिल्म को किस तरह सुरक्षित और व्यापक स्तर पर रिलीज़ करें.
अभी तक फिल्म की आधिकारिक रिलीज़ डेट तय है, लेकिन ट्रेलर लॉन्च के रद्द होने के बाद यह कहना मुश्किल है कि क्या निर्माता उसी समय पर फिल्म ला पाएंगे या इसमें देरी होगी. साथ ही, इस विवाद ने फिल्म की कहानी और इसके संदेश को लेकर जिज्ञासा और संदेह दोनों बढ़ा दिए हैं.
कुल मिलाकर, The Bengal Files का ट्रेलर लॉन्च रद्द होना सिर्फ़ एक प्रशासनिक कदम नहीं बल्कि एक बड़ा सांस्कृतिक और राजनीतिक घटनाक्रम बन गया है. यह घटना बताती है कि भारत में सिनेमा केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि सामाजिक और राजनीतिक विमर्श का हिस्सा भी है. फिल्में यहां सिर्फ़ पर्दे तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि उनके इर्द-गिर्द पूरे समाज की बहस, असहमति और संघर्ष गूंजता है. विवेक अग्निहोत्री की इस फिल्म के साथ भी अब यही हो रहा है.
इस विवाद ने न केवल फिल्म की चर्चा को बढ़ा दिया है बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि भविष्य में क्या ऐसी फिल्मों को सचमुच स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्ति का अवसर मिलेगा या फिर राजनीतिक और प्रशासनिक दखल का सिलसिला जारी रहेगा. The Bengal Files का ट्रेलर दर्शकों तक कब और कैसे पहुंचेगा, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन इतना तय है कि इस फिल्म का सफ़र अब केवल एक सिनेमाई यात्रा नहीं बल्कि सामाजिक और राजनीतिक टकराव की दास्तान भी बन चुका है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

