18 अगस्त 2025 का दिन भारतीय कॉरपोरेट इतिहास में लंबे समय तक याद किया जाएगा. जब सोमवार की सुबह शेयर बाजार खुला, तो निवेशकों के चेहरे पर जोश और उम्मीद साफ झलक रही थी. जैसे ही सरकार ने जीएसटी प्रणाली को सरल बनाने और चार-स्तरीय दरों को खत्म कर दो-रेट (5% और 18%) वाला नया मॉडल लागू करने की घोषणा की, बाजार ने राहत की सांस ली और तेजी की लहर दौड़ गई.निफ्टी 50 ने 1.51% की मजबूती के साथ 25,003 अंक का स्तर पार किया. यह पिछले तीन महीनों में इसका सबसे शानदार प्रदर्शन था. बीएसई सेंसेक्स भी 1,000 अंक से अधिक छलांग लगाकर 81,682 पर बंद हुआ.
छोटी और मिड-कैप कंपनियों में भी 1.3–1.5% तक तेजी देखी गई. सबसे उल्लेखनीय उछाल ऑटोमोबाइल और एफएमसीजी सेक्टर में देखने को मिला—मारुति सुजुकी 7.3% चढ़ी और हीरो मोटोकॉर्प में 8.5% का उछाल दर्ज किया गया.18 अगस्त 2025 का दिन यह दिखाता है कि नीतिगत सुधार बाजार को किस तरह नई ऊर्जा देते हैं. भारतीय शेयर बाजार ने इसे खुले दिल से स्वीकार किया है. सेंसेक्स और निफ्टी का तीन महीने का रिकॉर्ड इसे साबित करता है.लेकिन, स्थायी परिणाम इस बात पर निर्भर करेंगे कि सरकार इसे किस तरह लागू करती है, राज्यों को संतुष्ट कर पाती है या नहीं, और आम जनता को वास्तविक राहत किस हद तक मिलती है.
भारतीय अर्थव्यवस्था आज ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां हर नीतिगत फैसला आने वाले दशक की दिशा तय करेगा. जीएसटी सुधार न केवल व्यापारिक माहौल को सरल बनाने वाला कदम है, बल्कि यह भारत को वैश्विक निवेश का और आकर्षक गंतव्य बनाने की क्षमता भी रखता है.निवेशकों के लिए यह "सकारात्मक संकेत" है, उद्योग जगत के लिए "उम्मीद की किरण" और उपभोक्ताओं के लिए "मिश्रित अनुभव"—कुछ चीजें सस्ती होंगी, कुछ महंगी. लेकिन यदि सरकार क्रियान्वयन में पारदर्शिता और संतुलन बनाए रखे, तो यह सुधार भारत की विकास गाथा में एक स्वर्णिम अध्याय साबित हो सकता है.
जीएसटी सुधार: क्या बदला और क्यों
भारत में जीएसटी लागू हुए आठ वर्ष हो चुके हैं. शुरुआत में इसे "एक देश–एक कर" की अवधारणा के रूप में पेश किया गया था. मगर, समय के साथ इसकी जटिलता बढ़ती गई. 5%, 12%, 18% और 28% की चार दरें कारोबारियों और उद्योग जगत के लिए भ्रम और दिक़्क़त का कारण बनीं.
अब केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि जीएसटी को सिर्फ दो दरों तक सीमित किया जाएगा. यानी अधिकतर उपभोक्ता वस्तुएं और सेवाएं 5% और 18% की दर पर आएंगी. इससे न केवल टैक्स स्ट्रक्चर सरल होगा बल्कि उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी.
सरकार की दलील:
कर अपवंचन (Tax Evasion) पर अंकुश लगेगा.
अनुपालन (Compliance) आसान होगा.
कारोबार की लागत घटेगी, जिससे उत्पादन और खपत बढ़ेगी.
वैश्विक निवेशकों को एक स्थिर और सरल कर व्यवस्था का भरोसा मिलेगा.
शेयर बाजार का उत्साह
शेयर बाजार हमेशा नीतिगत सुधारों को लेकर संवेदनशील रहता है. सोमवार को जैसे ही सरकार ने जीएसटी सुधारों की घोषणा की, निवेशकों ने ऑटो, सीमेंट, एफएमसीजी और रियल एस्टेट सेक्टर के शेयरों पर जमकर दांव लगाया.
ऑटो सेक्टर: वाहन उद्योग लंबे समय से मांग में सुस्ती झेल रहा था. जीएसटी दरों में सरलीकरण से इनकी बिक्री पर सकारात्मक असर पड़ेगा.
एफएमसीजी: उपभोक्ता वस्तुओं पर 18% का एक समान टैक्स लगने से कीमतों में स्थिरता आएगी और ग्रामीण मांग बढ़ सकती है.
सीमेंट और इंफ्रा: निर्माण क्षेत्र को भी राहत मिली है. दरों की एकरूपता से लागत घटने की संभावना है.
खुदरा और इलेक्ट्रॉनिक्स: बड़े पैमाने पर उपभोग वाली वस्तुएं अब ज्यादा प्रतिस्पर्धी होंगी.
निवेशकों की राय
Motilal Oswal ब्रोकिंग हाउस ने कहा कि इस सुधार से 2027 तक कंपनियों की कमाई में 15-20% की अतिरिक्त वृद्धि संभव है.
Citi Research ने भविष्यवाणी की कि ऑटो, सीमेंट, एफएमसीजी और इलेक्ट्रॉनिक गुड्स सेक्टर में मांग तेजी से बढ़ेगी.
निवेशक इसे "नया आर्थिक मोमेंटम" मान रहे हैं.
व्यावसायिक जगत की प्रतिक्रिया
मारुति सुजुकी के चेयरमैन ने कहा: "जीएसटी में सरलता से मिड-सेगमेंट कारों की बिक्री में उछाल आएगा."
हीरो मोटोकॉर्प के प्रवक्ता ने दावा किया: "दो-व्हीलर बाजार को इससे बड़ी राहत मिली है. ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए यह गेम-चेंजर साबित होगा."
FICCI और CII जैसे उद्योग संगठनों ने इसे "Ease of Doing Business" में एक बड़ा कदम करार दिया.
हकीकत का दूसरा पहलू
हर सुधार के दो पहलू होते हैं. जीएसटी दरों को दो स्तरों पर लाना निस्संदेह एक ऐतिहासिक कदम है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी जुड़ी हैं.
राजस्व पर असर: राज्य सरकारों को चिंता है कि टैक्स कलेक्शन घट सकता है.
महंगाई का खतरा: कुछ वस्तुओं की दरें 12% से बढ़कर 18% हो सकती हैं, जिससे कीमतें बढ़ेंगी.
संघीय ढांचा: केंद्र और राज्य के बीच राजस्व बंटवारे पर विवाद बढ़ सकता है.
क्रियान्वयन की चुनौती: छोटे कारोबारी और MSME को नई व्यवस्था अपनाने में समय लगेगा.
अंतरराष्ट्रीय संदर्भ
भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों ने टैक्स सुधारों से आर्थिक वृद्धि को गति दी है.
मलेशिया ने 2018 में जीएसटी हटाकर SST लागू किया.
सिंगापुर ने शुरुआत से ही सरल टैक्स व्यवस्था रखी है.
भारत अब उस दिशा में बढ़ रहा है, जहां टैक्स स्ट्रक्चर निवेश आकर्षित करने वाला बने.
राजनीतिक आयाम
2025 में जब देश कई महत्वपूर्ण चुनावों की तैयारी कर रहा है, तब यह सुधार सरकार के लिए राजनीतिक तौर पर भी लाभकारी हो सकता है.
शहरी मध्यमवर्ग को राहत का संदेश.
उद्योग जगत में भरोसे का माहौल.
विपक्ष के पास इसे "मंहगाई बढ़ाने वाला कदम" कहने का अवसर.
निवेशकों और आम जनता के लिए संदेश
इस सुधार का सीधा असर आम उपभोक्ता पर होगा. उदाहरण के लिए:
रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन जैसी वस्तुएं 28% से घटकर 18% पर आ सकती हैं.
पैकेज्ड फूड 12% से बढ़कर 18% पर जा सकता है.
टू-व्हीलर और फोर-व्हीलर की कीमतें स्थिर या कुछ कम हो सकती हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-




