भारत में दूरसंचार सेवाओं को रीढ़ की हड्डी माना जाता है क्योंकि आज के डिजिटल युग में इंटरनेट, कॉलिंग और मैसेजिंग सेवाओं पर लगभग हर व्यक्ति और संस्था निर्भर है. हाल ही में देश के कई हिस्सों से खबरें सामने आईं कि Jio और Vodafone Idea यानी Vi के साथ-साथ Airtel यूज़र्स को भी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा. लाखों लोगों ने शिकायत की कि उन्हें इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं मिल रही, कॉल बार-बार कट रही है और सबसे अहम, OTP सेवाएं विफल हो रही हैं. OTP यानी ‘वन टाइम पासवर्ड’ आज के समय में लगभग हर डिजिटल ट्रांजैक्शन का आधार है—बैंकिंग, UPI पेमेंट, ई-कॉमर्स लॉगिन, आधार आधारित सेवाएं, और यहां तक कि ऑफिस के वर्क-फ्रॉम-होम सिस्टम तक, OTP न मिलने से लोग पूरी तरह से ठप पड़ गए.
दूरसंचार उद्योग की सबसे बड़ी कंपनियों—Reliance Jio, Airtel और Vodafone Idea के नेटवर्क पर यह समस्या एक साथ सामने आई तो इसे केवल एक तकनीकी खराबी कहना आसान नहीं था. अलग-अलग राज्यों से शिकायतें आने लगीं, जिसमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, पटना, रायपुर और जयपुर जैसे बड़े शहर शामिल थे. ट्विटर (अब एक्स), फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर #JioDown, #ViDown और #AirtelDown हैशटैग ट्रेंड करने लगे. लोग स्क्रीनशॉट साझा कर रहे थे, कोई कह रहा था कि उनका वर्क-फ्रॉम-होम रुक गया, तो कोई शिकायत कर रहा था कि बैंक OTP न मिलने से ट्रांजैक्शन फेल हो गया.
टेलीकॉम कंपनियों ने तुरंत स्वीकार किया कि समस्या तकनीकी है और उनकी टीम इसे सुधारने में लगी है. Jio की ओर से बयान आया कि नेटवर्क में एक अस्थायी व्यवधान है जिसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा. Airtel ने कहा कि उन्होंने पहले से सुधार कार्य शुरू कर दिया है. Vi यानी Vodafone Idea की स्थिति और गंभीर रही क्योंकि पहले से वित्तीय संकट से जूझ रही इस कंपनी के लिए सेवा में गिरावट उपभोक्ताओं का भरोसा और भी कम कर सकती है.
भारत में इस समय लगभग 117 करोड़ मोबाइल ग्राहक हैं, जिनमें से करीब 43 करोड़ Reliance Jio के, 37 करोड़ Airtel के और लगभग 22 करोड़ Vi के यूज़र्स हैं. इस हिसाब से देखा जाए तो यदि नेटवर्क में बड़े पैमाने पर व्यवधान आता है तो करोड़ों लोग प्रभावित होते हैं. ट्राई (TRAI) के हालिया आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में मोबाइल इंटरनेट की खपत प्रतिदिन 14 से 15 जीबी प्रति यूज़र तक पहुँच चुकी है. ऐसे में यदि नेटवर्क ठप हो जाए तो यह केवल कॉलिंग और चैटिंग का मुद्दा नहीं रहता, बल्कि देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था पर सीधा असर डालता है.
बैंकिंग लेन-देन का उदाहरण लें. राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के मुताबिक, जुलाई 2025 में केवल UPI के जरिए 1,200 करोड़ से अधिक ट्रांजैक्शन हुए थे. इनमें से 90% से ज्यादा OTP आधारित ऑथेंटिकेशन या SMS अलर्ट से जुड़े होते हैं. अब जब OTP ही नहीं मिलेगा तो कल्पना कीजिए कि लाखों ट्रांजैक्शन अधर में अटक गए होंगे.
इसी तरह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जैसे Amazon, Flipkart और Meesho पर ग्राहकों के ऑर्डर लटक गए. कई यूज़र्स ने लिखा कि वे ऑनलाइन किराना ऑर्डर नहीं कर पाए क्योंकि पेमेंट पेज पर OTP नहीं आया. Ola और Uber जैसे कैब बुकिंग ऐप्स पर भी लोगों को समस्या आई. ऑफिस के कॉर्पोरेट मेल अकाउंट या क्लाउड प्लेटफॉर्म लॉगिन, जहां दो-स्टेप वेरिफिकेशन ज़रूरी है, वहां भी कई यूज़र्स फँस गए.
एक बड़ी चिंता का विषय यह भी है कि जब देश में 5G की चर्चा हो रही है और करोड़ों रुपये इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए जा रहे हैं, तब भी इस तरह की व्यवधान की घटनाएं क्यों बार-बार सामने आ रही हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय टेलीकॉम नेटवर्क्स में अभी भी बैकअप और रूटिंग सिस्टम उतने मजबूत नहीं हैं जितने यूरोप या अमेरिका में होते हैं. यदि किसी एक शहर या ज़ोन में सर्वर डाउन होता है तो उसका असर सीमित रहना चाहिए, लेकिन भारत में अक्सर देखा जाता है कि एक व्यवधान राष्ट्रीय स्तर तक फैल जाता है.
भारत में इंटरनेट शटडाउन और नेटवर्क व्यवधान का ट्रैक रखने वाली संस्थाएं यह भी बताती हैं कि औसतन हर महीने देश में 8 से 10 बार किसी न किसी रूप में मोबाइल इंटरनेट प्रभावित होता है. हालांकि कई बार यह सुरक्षा कारणों से सरकार द्वारा जानबूझकर किया जाता है, जैसे किसी प्रदर्शन या परीक्षा के दौरान. लेकिन जब निजी कंपनियों के नेटवर्क डाउन होते हैं तो यह केवल तकनीकी अक्षमता या निवेश की कमी का संकेत देता है.
Vi की हालत पहले से ही खराब है क्योंकि कंपनी भारी कर्ज़ में डूबी है और लगातार ग्राहक Airtel और Jio की ओर जा रहे हैं. ऐसे में अगर नेटवर्क गुणवत्ता भी गिरती है तो कंपनी के पास बचे-खुचे ग्राहक भी पलायन कर सकते हैं. दूसरी ओर Jio और Airtel जैसे दिग्गजों पर भी दबाव है कि वे अपने विशाल यूज़र बेस के लिए लगातार निर्बाध सेवा दें.
इस व्यवधान का असर केवल शहरी उपभोक्ताओं तक सीमित नहीं रहा. ग्रामीण क्षेत्रों से भी शिकायतें आईं जहां पहले से ही नेटवर्क कवरेज सीमित है. ग्रामीण बैंकिंग, सरकारी योजना से जुड़े OTP वेरिफिकेशन और डिजिटल पेमेंट सेवाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं. प्रधानमंत्री जनधन योजना के खाताधारकों और किसान क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं ने भी बताया कि वे लेन-देन नहीं कर पाए.
दूसरा पहलू साइबर सुरक्षा से जुड़ा है. जब नेटवर्क बाधित होता है तो यूज़र्स अक्सर बार-बार रिसेंड OTP दबाते हैं या फिर वैकल्पिक तरीकों का सहारा लेते हैं. इससे सिस्टम पर अतिरिक्त लोड पड़ता है और कभी-कभी धोखाधड़ी करने वाले लोग इसका फायदा उठाकर नकली कॉल या फ़िशिंग लिंक भेजते हैं. साइबर एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि इस तरह के नेटवर्क डाउन के समय धोखाधड़ी का खतरा और बढ़ जाता है.
सरकारी स्तर पर टेलीकॉम विभाग (DoT) ने भी कंपनियों से रिपोर्ट मांगी है. विभाग ने कहा कि उन्हें यह जानना ज़रूरी है कि व्यवधान का कारण क्या था और भविष्य में इसे रोकने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं. उपभोक्ता संगठनों ने भी मांग की है कि अगर इतनी बड़ी संख्या में लोग घंटों तक सेवा से वंचित रहे हैं तो उन्हें किसी न किसी रूप में मुआवज़ा दिया जाना चाहिए.
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि भारत में टेलीकॉम सेक्टर की मजबूती और विश्वसनीयता किस स्तर पर है. दुनिया जब पूरी तरह डिजिटल और AI आधारित सर्विस की ओर बढ़ रही है, तब यदि नेटवर्क ही भरोसेमंद न हो तो यह पूरी अर्थव्यवस्था को खतरे में डाल सकता है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में टेलीकॉम कंपनियों ने आक्रामक मार्केटिंग, कम टैरिफ और तेज़ी से विस्तार पर ज़्यादा ध्यान दिया है, जबकि बैकएंड इंफ्रास्ट्रक्चर, डेटा सेंटर और बैकअप नेटवर्क पर उतना निवेश नहीं किया गया. यही वजह है कि समय-समय पर ऐसी बड़ी तकनीकी खामियां सामने आती हैं.
आम यूज़र्स की नज़र से देखें तो उनके लिए यह व्यवधान केवल तकनीकी गड़बड़ी नहीं बल्कि जीवन की रफ्तार थम जाने जैसा था. चाहे वह नौकरीपेशा व्यक्ति हो, ऑनलाइन क्लास करने वाला छात्र, या रोज़ाना डिजिटल पेमेंट करने वाला दुकानदार, सभी को इसका खामियाजा उठाना पड़ा.
कुल मिलाकर, Jio, Vi और Airtel जैसे दिग्गज नेटवर्क्स में एक साथ व्यवधान की घटना ने भारत के डिजिटल भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह घटना कंपनियों के लिए चेतावनी है कि अब समय आ गया है जब उन्हें केवल ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के बजाय सेवा की गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर ध्यान देना होगा. साथ ही, नियामक निकायों और सरकार को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि डिजिटल इंडिया की नींव मजबूत और सुरक्षित नेटवर्क पर ही खड़ी हो, अन्यथा लाखों-करोड़ों उपभोक्ताओं का भरोसा डगमगाता रहेगा.
भारत के दूरसंचार क्षेत्र में अचानक आए इस बड़े व्यवधान ने करोड़ों मोबाइल उपभोक्ताओं को परेशान कर दिया है. देश के कई हिस्सों से यूज़र्स ने शिकायत की कि Reliance Jio और Vodafone Idea (Vi) पर इंटरनेट, कॉल और OTP सेवाएं ठप हो गईं. इससे पहले, Airtel में भी गिरावट दर्ज की गई थी. तीनों प्रमुख नेटवर्क में आने वाली इस तकनीकी गड़बड़ी ने डिजिटल इंडिया के उस सपने को झटका दिया है, जिसमें नागरिकों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी लगभग पूरी तरह से मोबाइल और इंटरनेट पर निर्भर होती जा रही है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, पटना, लखनऊ और जयपुर जैसे बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक में बड़ी संख्या में यूज़र्स ने इंटरनेट कनेक्टिविटी और कॉल ड्रॉप की शिकायत की. डाउनडिटेक्टर जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर लाखों शिकायतें दर्ज हुईं और ट्विटर से लेकर फेसबुक तक उपभोक्ताओं ने अपनी नाराज़गी जाहिर की. सबसे ज्यादा दिक़्क़त मोबाइल इंटरनेट और OTP से जुड़ी सेवाओं में देखी गई. बैंकिंग, UPI पेमेंट, ई-कॉमर्स ऑर्डर और यहां तक कि सरकारी सेवाओं में लॉग-इन तक प्रभावित हुआ.
तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार का व्यवधान सामान्य नेटवर्क ट्रैफिक या हल्की गड़बड़ी जैसा नहीं था, बल्कि यह सर्वर और बैकएंड इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ा एक बड़ा झटका था. कई जगहों पर 4G और 5G दोनों सेवाएं प्रभावित हुईं. भारत दुनिया के सबसे बड़े टेलीकॉम बाजारों में से एक है, जहां 80 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट यूज़र्स और लगभग 115 करोड़ मोबाइल सब्सक्राइबर हैं. इनमें Jio का बाज़ार हिस्सा करीब 47 प्रतिशत, Airtel का लगभग 36 प्रतिशत और Vi का करीब 16 प्रतिशत है. ऐसे में जब तीनों नेटवर्क प्रभावित हों तो यह स्थिति करोड़ों लोगों की डिजिटल दिनचर्या को सीधे प्रभावित करती है.
यूज़र्स का कहना है कि OTP सर्विस ठप होने से ऑनलाइन लेन-देन पूरी तरह अटक गया. Paytm, PhonePe और Google Pay जैसे पेमेंट ऐप्स से ट्रांज़ेक्शन फेल हो रहे थे. कई बैंकों के ग्राहकों ने शिकायत की कि नेटबैंकिंग लॉग-इन OTP के बिना पूरा नहीं हो रहा. नौकरी पेशा लोगों ने बताया कि वर्क फ्रॉम होम या ऑफिस में आवश्यक मीटिंग्स प्रभावित हुईं क्योंकि इंटरनेट बार-बार डिस्कनेक्ट हो रहा था. छात्रों ने भी कहा कि ऑनलाइन क्लासेज़ और एग्ज़ाम प्लेटफ़ॉर्म्स पर लॉग-इन करने में परेशानी हो रही है.
यह समस्या ऐसे समय में आई है जब भारत तेज़ी से कैशलेस और डिजिटल लेन-देन पर निर्भर हो रहा है. राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2025 में ही UPI के जरिए लगभग 18 अरब ट्रांज़ेक्शन पूरे हुए. अनुमान है कि इनमें से 60 प्रतिशत ट्रांज़ेक्शन मोबाइल इंटरनेट और OTP आधारित सत्यापन से जुड़े थे. अगर नेटवर्क ही ठप हो जाए तो इतनी बड़ी मात्रा में लेन-देन का ठप होना स्वाभाविक है.
रिलायंस जियो, Airtel और Vi की ओर से देर शाम तक बयान जारी किए गए जिनमें कहा गया कि नेटवर्क व्यवधान का कारण बैकएंड में तकनीकी खामी है और इसे दूर करने के लिए उनकी टीमें चौबीसों घंटे काम कर रही हैं. उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही सेवाएं सामान्य होंगी. हालांकि यूज़र्स का गुस्सा सोशल मीडिया पर कम होता नहीं दिखा. कई उपभोक्ताओं ने सवाल उठाए कि भारत में दुनिया की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियां होने के बावजूद बेसिक सेवाओं के स्थायित्व और भरोसेमंद होने की गारंटी क्यों नहीं है.
पिछले कुछ वर्षों में भारत में टेलीकॉम सेक्टर की चुनौतियां लगातार सामने आ रही हैं. एक तरफ 5G रोलआउट और हाई-स्पीड इंटरनेट की महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं, दूसरी तरफ आधारभूत संरचना और स्पेक्ट्रम प्रबंधन की समस्याएं हैं. कई विश्लेषकों का कहना है कि कंपनियां नए ग्राहकों को जोड़ने और डेटा की खपत बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं, लेकिन बैकएंड इंफ्रास्ट्रक्चर और क्वालिटी ऑफ सर्विस में अपेक्षित निवेश नहीं हो रहा.
TRAI (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) के नियमों के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों को कॉल ड्रॉप और नेटवर्क फेल्योर की स्थिति में मुआवज़ा देना चाहिए. लेकिन अब तक ऐसे मामलों में उपभोक्ताओं को बहुत कम राहत मिलती है. कई विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इस बार की समस्या को ‘नेशनल लेवल नेटवर्क आउटेज’ के रूप में जांचा जाना चाहिए और कंपनियों पर कड़े जुर्माने लगाए जाने चाहिए.
इसके अलावा साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने भी यह सवाल उठाया कि क्या यह महज़ तकनीकी गड़बड़ी थी या फिर किसी तरह का साइबर हमला. हाल ही में अमेरिका और यूरोप में कई बार बड़े पैमाने पर नेटवर्क आउटेज साइबर हमलों से जुड़े पाए गए थे. हालांकि अभी तक भारतीय कंपनियों ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है.
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