भारतीय क्रिकेट जगत सोमवार को तब हक्का-बक्का रह गया जब इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) की ताज़ा जारी की गई ODI बल्लेबाज़ी रैंकिंग से विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दो सबसे बड़े नाम गायब हो गए. क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह केवल एक संख्या या रैंकिंग का मुद्दा नहीं था, बल्कि भारतीय क्रिकेट की भावनाओं और उम्मीदों पर अचानक आई चोट जैसा था.
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर इसे "क्रिकेट का सबसे चौंकाने वाला अपडेट" कहकर साझा किया. ट्विटर (अब एक्स), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #ViratKohli, #RohitSharma और #ICCRanking जैसे हैशटैग घंटों तक ट्रेंड में रहे. फैंस के लिए यह विश्वास करना मुश्किल था कि एक दशक तक वनडे क्रिकेट पर छाए रहने वाले ये दिग्गज अचानक किसी रैंकिंग तालिका में नज़र नहीं आएंगे.
दरअसल, नियम के मुताबिक ICC रैंकिंग केवल उन खिलाड़ियों को ध्यान में रखती है जिन्होंने पिछले समय में अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में हिस्सा लिया हो. लंबे समय से ODI प्रारूप से बाहर रहने या सक्रिय न रहने पर खिलाड़ी अपने-आप सूची से बाहर हो जाते हैं. इस स्थिति में कोई बड़ा षड्यंत्र या रिटायरमेंट की पुष्टि नहीं है, बल्कि यह तकनीकी और प्रणालीगत प्रक्रिया का हिस्सा है. लेकिन इस तकनीकी तथ्य को सामान्य प्रशंसक इतनी आसानी से पचा नहीं पाते.
भारतीय क्रिकेट की भावनाओं से जुड़ाव इतना गहरा है कि जब भी विराट या रोहित जैसे खिलाड़ी का नाम किसी सूची से हटता है, तो चर्चाओं का ज्वार उमड़ पड़ता है. बहुत से फैंस ने यह मान लिया कि कहीं यह संन्यास की प्रस्तावना तो नहीं है. "क्या दोनों खिलाड़ी अब वनडे क्रिकेट में वापसी नहीं करेंगे?", "क्या टी20 और टेस्ट पर ही फोकस होगा?", "क्या टीम इंडिया अब पूरी तरह नए दौर में प्रवेश कर रही है?"—ऐसे सवाल हर जगह गूंजने लगे.
क्रिकेट विश्लेषकों ने इस भ्रम को दूर करने की कोशिश की. उनका कहना है कि रोहित और कोहली का वनडे से गायब होना सिर्फ हालिया निष्क्रियता का नतीजा है. रोहित शर्मा आईपीएल और टेस्ट क्रिकेट में तो सक्रिय रहे, लेकिन हाल ही में वनडे में नहीं खेले. इसी तरह विराट कोहली भी व्यक्तिगत कारणों और चयन रणनीतियों की वजह से वनडे से बाहर रहे.
हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम ने भारतीय क्रिकेट की रणनीति को लेकर नए सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं. क्या बीसीसीआई सचमुच एक नई टीम खड़ी कर रहा है? क्या कप्तानी और बल्लेबाज़ी की ज़िम्मेदारी अब पूरी तरह से शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर, और सूर्यकुमार यादव जैसे खिलाड़ियों पर डाल दी जाएगी?
फैंस के बीच इस मसले पर भावनाएं विभाजित दिखीं. एक वर्ग का मानना है कि "लिजेंड्स का समय पूरा हो रहा है और नई पीढ़ी को मौका देना ही होगा." वहीं, दूसरी ओर कई लोगों ने कहा कि अनुभव और जुनून का कोई विकल्प नहीं होता—खासकर बड़े टूर्नामेंटों में, जहाँ दबाव से लड़ने की क्षमता केवल रोहित और विराट जैसे दिग्गजों में ही है.
क्रिकेट पत्रकारों ने यह भी रेखांकित किया कि ICC की यह रैंकिंग सिर्फ आंकड़ों का खेल है, जबकि खिलाड़ी की असल कीमत उसके मैदान पर उतरने के दिन तय होती है. विराट कोहली और रोहित शर्मा का योगदान केवल रन बनाने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि टीम के आत्मविश्वास, मैच की दिशा मोड़ने और लाखों युवाओं को प्रेरित करने तक फैला है.
सोशल मीडिया की बहसों में एक दिलचस्प पहलू यह भी देखने को मिला कि कई प्रशंसक ICC पर ही निशाना साधने लगे. उन्होंने कहा कि जब तक कोई खिलाड़ी आधिकारिक रूप से संन्यास न ले, तब तक उसका नाम रैंकिंग से नहीं हटाना चाहिए. इससे खिलाड़ियों के करियर और उनके प्रशंसकों की भावनाओं को धक्का लगता है.
हालांकि कुछ तटस्थ आवाज़ें भी सामने आईं जिन्होंने कहा कि यही खेल का नियम है. अगर रैंकिंग में निष्क्रिय खिलाड़ियों को बनाए रखा जाए, तो नए उभरते सितारों को पहचान नहीं मिलेगी. इससे क्रिकेट की पारदर्शिता और ताजगी पर असर पड़ेगा.
इस विवाद का सबसे अहम पहलू यह है कि कोहली और रोहित दोनों अभी भी भारतीय क्रिकेट के सक्रिय सदस्य हैं. उनका संन्यास लेने का कोई आधिकारिक संकेत नहीं है. बल्कि उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि दोनों अगली श्रृंखलाओं और संभवत: 2026 चैंपियंस ट्रॉफी के लिए तैयारी कर रहे हैं.
वास्तविकता चाहे जो भी हो, इतना तय है कि इस घटना ने भारतीय क्रिकेट की भावनात्मक नब्ज़ को छुआ है. क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के जीवन का हिस्सा है. ऐसे में जब दो सबसे बड़े नाम अचानक गायब हो जाएं, तो सवाल और आशंकाएँ पैदा होना स्वाभाविक है.
आखिरकार, रैंकिंग चाहे कुछ भी कहे, विराट और रोहित का नाम भारतीय क्रिकेट इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है. उनकी यात्रा और योगदान का महत्व सिर्फ अंकों और तालिकाओं से नहीं आँका जा सकता. पर यह भी सच है कि भारतीय क्रिकेट अब एक नए मोड़ पर है—जहाँ अनुभव और युवा ऊर्जा के बीच संतुलन साधने की सबसे बड़ी चुनौती खड़ी है.
यह पूरी बहस हमें यह भी सिखाती है कि खेल में आंकड़े ज़रूरी हैं, लेकिन खिलाड़ियों की वास्तविक पहचान उनके संघर्ष, योगदान और विरासत से बनती है. विराट कोहली और रोहित शर्मा की अनुपस्थिति रैंकिंग से हो सकती है, लेकिन उनके नाम और प्रभाव को कोई भी सूची कभी मिटा नहीं सकती.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

