रूस–यूक्रेन संघर्ष की नई तस्वीरें वायरल: ड्रोन हमले की लाइव फुटेज इंटरनेट पर छाई, #UkraineWar फिर टॉप ट्रेंड

रूस–यूक्रेन संघर्ष की नई तस्वीरें वायरल: ड्रोन हमले की लाइव फुटेज इंटरनेट पर छाई, #UkraineWar फिर टॉप ट्रेंड

प्रेषित समय :21:35:27 PM / Wed, Aug 20th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

रूस यूक्रेन संघर्ष एक बार फिर से सोशल मीडिया पर चर्चा का सबसे बड़ा विषय बन गया है. 20 अगस्त 2025 को सामने आई नई तस्वीरों और वीडियो फुटेज ने दुनिया भर के लोगों को हिला कर रख दिया. खासकर ड्रोन हमले की लाइव फुटेज, जो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हुई, उसने न केवल युद्ध की भयावहता को उजागर किया बल्कि इस संघर्ष के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सोच को भी गहराई से प्रभावित किया है. ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर #UkraineWar हैशटैग घंटों तक टॉप ट्रेंड पर बना रहा. करोड़ों लोगों ने इन वीडियो को देखा, शेयर किया और उस पर अपनी प्रतिक्रिया दी.

फुटेज में दिखाया गया कि किस तरह रूसी और यूक्रेनी ड्रोन युद्ध के मैदान में एक-दूसरे से भिड़ते हुए दिखाई दे रहे थे. आसमान में उड़ते ये छोटे लेकिन घातक हथियार न सिर्फ सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहे थे बल्कि कई बार इनकी चपेट में आम नागरिक भी आ जाते हैं. इस बार वायरल हुई फुटेज में साफ दिख रहा था कि एक यूक्रेनी गांव के पास स्थित एक सैन्य पोस्ट को निशाना बनाते हुए रूसी ड्रोन ने हमला किया. इसके बाद हुए धमाके ने आस-पास की इमारतों को भी नुकसान पहुँचाया और स्थानीय लोग दहशत में अपने घरों से बाहर भागते दिखे. इस दृश्य ने सोशल मीडिया पर मानवीय त्रासदी को उजागर कर दिया.

लोगों की प्रतिक्रियाओं में गुस्सा, दुख और बेचैनी साफ तौर पर झलक रही थी. कई यूजर्स ने लिखा कि यह युद्ध अब सिर्फ सैनिकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि निर्दोष लोगों की जानें जा रही हैं. वहीं कुछ अन्य लोगों का कहना था कि आधुनिक युद्ध में तकनीक की भूमिका लगातार बढ़ रही है और ड्रोन इसका सबसे खतरनाक उदाहरण बन गए हैं. कई विशेषज्ञों ने सोशल मीडिया पर थ्रेड लिखकर यह बताया कि ड्रोन युद्ध किस तरह आने वाले वर्षों में और भी खतरनाक रूप ले सकता है.

वायरल फुटेज ने न केवल आम जनता का ध्यान खींचा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया हाउसों ने भी इस पर विशेष कवरेज करना शुरू कर दिया. बीबीसी, सीएनएन, अल-जज़ीरा से लेकर भारत के कई प्रमुख चैनलों ने इन वीडियो को अपने बुलेटिन में दिखाया. टीवी डिबेट्स में इस बात पर चर्चा हुई कि आखिर कब तक यह युद्ध चलेगा और क्या विश्व समुदाय को इस पर अधिक निर्णायक कदम उठाने चाहिए.

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने भी इस फुटेज पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह केवल एक वीडियो नहीं है, बल्कि रूस की आक्रामक नीतियों का प्रमाण है. उन्होंने दुनिया से अपील की कि यूक्रेन को और अधिक हथियार और तकनीकी सहायता दी जाए ताकि वे अपनी रक्षा कर सकें. वहीं रूस की ओर से कहा गया कि यह उनके "विशेष सैन्य अभियान" का हिस्सा है और वे केवल रणनीतिक ठिकानों को निशाना बना रहे हैं.

लेकिन इस दावे और वास्तविकता में अंतर को सोशल मीडिया ने उजागर कर दिया. वायरल हुई तस्वीरों में देखा गया कि कई आम नागरिकों के घर, स्कूल और बाजार के पास भी धमाके हुए. मानवाधिकार संगठनों ने तुरंत बयान जारी कर इसे युद्ध अपराध की श्रेणी में रखने की मांग की. एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाओं ने ट्वीट कर कहा कि अब दुनिया को चुप नहीं बैठना चाहिए.

इस युद्ध के लंबे खिंच जाने से सोशल मीडिया पर लोगों की सोच भी बदलती जा रही है. शुरुआती दिनों में जहां लोग एक देश के पक्ष में खड़े होकर भावनात्मक पोस्ट करते थे, वहीं अब अधिकतर आवाजें युद्ध को समाप्त करने की मांग कर रही हैं. खासकर यूरोप और अमेरिका के नागरिकों के बीच यह चर्चा तेज है कि उनके टैक्स का पैसा यूक्रेन की मदद में खर्च किया जा रहा है, जबकि उनके अपने देश की अर्थव्यवस्था मंदी और महंगाई से जूझ रही है. कई लोग कह रहे हैं कि युद्ध को राजनीतिक नेतृत्व अपने फायदे के लिए बढ़ा रहा है जबकि इसकी सबसे बड़ी कीमत आम लोग चुका रहे हैं.

युद्ध की यह वायरल फुटेज एक और महत्वपूर्ण पहलू उजागर करती है—मीडिया और तकनीक का गहरा असर. पहले जहां युद्ध की तस्वीरें और खबरें सीमित अखबारों और टीवी चैनलों तक सिमट जाती थीं, वहीं अब हर कोई अपने मोबाइल फोन पर मिनटों में युद्ध की भयावहता देख सकता है. यह दृश्य न केवल लोगों की मानसिकता को झकझोरते हैं बल्कि नीतिगत निर्णयों को भी प्रभावित करते हैं. अमेरिका और यूरोप की सरकारें लगातार जनता के दबाव में हैं कि वे यूक्रेन का समर्थन करें लेकिन युद्ध को भी जल्द से जल्द खत्म करने का रास्ता निकालें.

ट्विटर पर कई यूजर्स ने यह भी कहा कि अब यह संघर्ष सिर्फ रूस और यूक्रेन का नहीं रहा बल्कि यह एक वैश्विक शक्ति संतुलन की लड़ाई बन चुका है. एक ओर रूस है, जिसे चीन और कुछ अन्य देश अप्रत्यक्ष समर्थन दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अमेरिका और नाटो देश हैं जो यूक्रेन को मदद कर रहे हैं. यह फुटेज इस बात का सबूत है कि युद्ध अब 21वीं सदी में नई तकनीक और नई रणनीतियों के साथ लड़ा जा रहा है.

हालांकि, इन सबके बीच यूक्रेन के लोगों की पीड़ा ही सबसे ज्यादा ध्यान खींच रही है. वायरल वीडियो में दिखे मासूम बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं इस युद्ध के असली शिकार हैं. हजारों लोग अपने घर छोड़कर शरणार्थी बन चुके हैं. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इन वीडियो को शेयर करते हुए लिखा—“यह सिर्फ फुटेज नहीं, हमारी आंखों के सामने होती तबाही है.”

कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक मानते हैं कि इस तरह की वायरल फुटेज युद्ध की दिशा बदल सकती है. जनता का दबाव बढ़ने से सरकारें अधिक सक्रिय हो सकती हैं और शांति वार्ताओं की ओर कदम बढ़ा सकती हैं. हालांकि, अभी तक रूस और यूक्रेन के बीच ऐसी कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है. दोनों ही देश अपने-अपने मोर्चे पर डटे हुए हैं और ड्रोन जैसी नई तकनीकों का इस्तेमाल करके एक-दूसरे को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं.

इस वायरल घटना के बाद एक बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि क्या सोशल मीडिया पर युद्ध की लाइव कवरेज से किसी तरह का समाधान निकल सकता है या यह केवल दर्शकों को झकझोरने तक सीमित रह जाएगा. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया की ताकत अब इतनी बढ़ चुकी है कि यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित करने लगी है. अगर यह दबाव लगातार बना रहा तो संभव है कि आने वाले महीनों में युद्ध को खत्म करने के लिए नई पहल शुरू की जाए.

फिलहाल, #UkraineWar ट्रेंड ने फिर साबित कर दिया है कि दुनिया की सबसे बड़ी ताकत अब लोगों की आवाज है. लाखों-करोड़ों लोग इस युद्ध के खौफनाक पहलुओं को देख रहे हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. यह आवाज अगर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँची तो शायद एक दिन यह संघर्ष भी खत्म हो सके. लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक सोशल मीडिया पर ऐसे ही नए-नए फुटेज आते रहेंगे और हमें यह याद दिलाते रहेंगे कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं बल्कि इंसानियत की सबसे बड़ी त्रासदी है.