योग, जो सदियों से भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का हिस्सा रहा है, आज डिजिटल युग में एक नई दिशा पकड़ चुका है. पहले जहां योग गुरु से व्यक्तिगत मार्गदर्शन लेकर आसनों का अभ्यास करना सामान्य था, वहीं अब बदलते दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने इस क्षेत्र में अपनी मजबूत जगह बना ली है. “Yoga with AI” आज सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंडिंग है. फिटनेस ऐप्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर AI आधारित वर्चुअल ट्रेनर की मांग तेजी से बढ़ रही है. डेटा रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले एक साल में ही फिटनेस ऐप डाउनलोड्स में 45% की वृद्धि हुई है, जिसमें योग-केंद्रित AI ऐप्स का हिस्सा सबसे ज्यादा रहा.
यह ट्रेंड सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है बल्कि अमेरिका, यूरोप और एशिया के अन्य देशों में भी तेजी से फैल रहा है. हालांकि भारत में इसका प्रभाव सबसे अलग है, क्योंकि यहां योग केवल एक्सरसाइज नहीं बल्कि जीवनशैली और आध्यात्मिक अनुशासन का हिस्सा माना जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024 में भारत में करीब 70 मिलियन लोगों ने योग से जुड़े मोबाइल ऐप्स का इस्तेमाल किया, जिनमें से लगभग 40% ने AI-सक्षम फीचर्स को प्राथमिकता दी. इन फीचर्स में रीयल-टाइम पोस्टर करेक्शन, वॉइस गाइडेंस, हार्टबीट और ब्रेथिंग मॉनिटरिंग जैसी सुविधाएं शामिल हैं.
AI आधारित योग ट्रेनर का सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि यह व्यक्तिगत जरूरतों और शारीरिक क्षमताओं के हिसाब से अभ्यास करवाता है. उदाहरण के लिए, यदि कोई यूज़र शुरुआती है तो ऐप उसे आसान आसनों से शुरुआत करवाता है और धीरे-धीरे कठिन आसनों की ओर ले जाता है. वहीं यदि कोई यूज़र लंबे समय से योगाभ्यास कर रहा है तो उसके लिए ऐप एडवांस्ड सीक्वेंस तैयार करता है. इससे न सिर्फ चोट लगने का खतरा कम होता है बल्कि योग का अनुभव भी बेहतर बनता है.
2025 की पहली तिमाही में किए गए एक सर्वे के मुताबिक, भारत के 10 बड़े शहरों में रहने वाले 60% युवाओं ने कहा कि वे वर्चुअल योग गुरु से सीखने को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि यह उनके व्यस्त जीवन में आसानी से फिट हो जाता है. ऑफिस वर्कर्स और डिजिटल नोमैड्स के बीच यह चलन और भी तेज़ है. उदाहरण के लिए, बेंगलुरु में IT सेक्टर के 25-35 आयु वर्ग के लगभग 48% कर्मचारी अब सप्ताह में कम से कम तीन बार AI-योग ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं.
टेक्नोलॉजी कंपनियां भी इस बढ़ते ट्रेंड को भुनाने में लगी हैं. हाल ही में कई स्टार्टअप्स ने AI योग गुरु लॉन्च किए हैं, जो स्मार्ट वॉच और फिटनेस बैंड से कनेक्ट होकर शरीर की गतिविधियों का डेटा इकट्ठा करते हैं और फिर उसी आधार पर पर्सनलाइज्ड सुझाव देते हैं. कुछ ऐप्स तो ऐसे भी हैं जो कैमरे के जरिए यूज़र के बॉडी पोश्चर को स्कैन करके तुरंत सुधार बताते हैं. यह तकनीक मशीन लर्निंग और कंप्यूटर विज़न पर आधारित है.
दूसरी तरफ पारंपरिक योग गुरु और आयुर्वेद विशेषज्ञों का मानना है कि AI ट्रेनर उपयोगी जरूर है, लेकिन योग का असली अनुभव तभी मिलता है जब व्यक्ति शिक्षक की उपस्थिति में ध्यान, श्वास और आसनों की गहराई को महसूस करता है. उनका कहना है कि योग केवल शारीरिक आसन नहीं है बल्कि यह मन और आत्मा को भी जोड़ने की प्रक्रिया है, जिसे मशीन पूरी तरह नहीं समझ सकती. हालांकि, युवाओं का तर्क है कि तकनीक ने उन्हें योग से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
वैश्विक स्तर पर भी AI-योग ऐप्स की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है. अमेरिका में “Calm Yoga AI” और जापान में “ZenFit AI” जैसे ऐप्स ने लाखों डाउनलोड दर्ज किए हैं. भारत में “Sarva AI Yoga” और “CureFit Smart Yoga” जैसे प्लेटफॉर्म्स पहले से ही लाखों यूज़र्स को जोड़ चुके हैं. इन कंपनियों का दावा है कि AI की वजह से योग अभ्यास करने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है, क्योंकि यह कहीं भी, कभी भी और कम लागत पर उपलब्ध हो जाता है.
सोशल मीडिया पर “#YogaWithAI” ट्रेंड कर रहा है, जहां यूज़र अपने अनुभव साझा कर रहे हैं. कुछ लोग कह रहे हैं कि इससे उनकी नींद सुधरी है, तनाव कम हुआ है और वे नियमित योग अभ्यास कर पा रहे हैं. इंस्टाग्राम और ट्विटर पर हजारों वीडियो वायरल हैं जिनमें लोग दिखा रहे हैं कि कैसे AI योग गुरु उन्हें सही आसन करने में मदद कर रहा है.
डेटा से यह भी पता चलता है कि महिलाओं में AI-योग ऐप्स की लोकप्रियता पुरुषों की तुलना में अधिक है. 2025 के मध्य तक किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में 18-45 आयु वर्ग की 55% महिलाएं नियमित रूप से इन ऐप्स का इस्तेमाल कर रही हैं. इसका कारण यह है कि महिलाओं के लिए समय प्रबंधन अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है और वर्चुअल योग ट्रेनर उन्हें घर बैठे फिटनेस का विकल्प देता है.
हालांकि, इसके कुछ खतरे भी हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि हर किसी का शरीर अलग होता है और AI हर बार सही गाइडेंस नहीं दे सकता. गलत आसन करने से चोट लग सकती है. साथ ही, डेटा प्राइवेसी का सवाल भी अहम है क्योंकि ये ऐप्स लगातार यूज़र्स के स्वास्थ्य डेटा को इकट्ठा करते हैं. यदि यह डेटा गलत हाथों में चला जाए तो इसका दुरुपयोग संभव है.
इसके बावजूद, योग और AI का यह संगम आने वाले समय में और मजबूत होता दिख रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, 2030 तक ग्लोबल AI योग मार्केट का आकार 20 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जिसमें भारत सबसे बड़ा योगदान देगा.
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि योग का यह नया डिजिटल अध्याय युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो रहा है. एक ओर यह परंपरा और आधुनिकता का संगम है, दूसरी ओर इसमें तकनीकी जोखिम भी छिपे हैं. लेकिन यह तय है कि “Yoga with AI” आने वाले वर्षों में हमारी जीवनशैली का अहम हिस्सा बनने जा रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

