#MetaVerse2025 – मेटा ने वर्चुअल रियलिटी में “फुल सेंसर सूट” पेश किया, जिससे डिजिटल मीटिंग्स और भी रियल लगेगी. यह खबर आते ही सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर हलचल मच गई और #MetaVerse2025 ट्रेंडिंग लिस्ट में टॉप पर पहुंच गया. टेक्नोलॉजी जगत में वर्चुअल रियलिटी (VR) को लेकर जो उम्मीदें लंबे समय से की जा रही थीं, उन्हें एक बड़ा वास्तविक रूप मिलता दिख रहा है. फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा लगातार मेटावर्स को भविष्य की दुनिया के रूप में प्रस्तुत करती रही है, और अब उसने ऐसा नया "फुल सेंसर सूट" पेश किया है जो उपयोगकर्ताओं को डिजिटल मीटिंग्स में बेहद वास्तविक अनुभव कराने का दावा करता है. इस सूट में एडवांस्ड मोशन सेंसर, हैप्टिक फीडबैक सिस्टम और बायोमेट्रिक ट्रैकिंग जैसी सुविधाएँ हैं, जो व्यक्ति के भाव, मूवमेंट और इंटरैक्शन को डिजिटल स्पेस में हूबहू रिप्लिकेट करती हैं.
सोशल मीडिया पर लोग इस खबर को भविष्य की ओर उठाया गया एक बड़ा कदम मान रहे हैं. ट्विटर (अब X) पर #MetaVerse2025 लाखों बार ट्वीट किया गया और लिंक्डइन से लेकर इंस्टाग्राम तक हर जगह लोग इसके फीचर्स पर चर्चा कर रहे हैं. खासकर कॉरपोरेट सेक्टर के लोग इसे हाइब्रिड वर्क कल्चर में "गेम चेंजर" मान रहे हैं. कोविड महामारी के दौरान जिस तरह से वर्चुअल मीटिंग्स जीवन का अहम हिस्सा बन गई थीं, उसी ट्रेंड को और उन्नत रूप देने के लिए यह टेक्नोलॉजी उपयोगी साबित हो सकती है.
मेटा के सीईओ मार्क ज़करबर्ग ने लॉन्च के समय कहा कि यह फुल सेंसर सूट "लोगों को डिजिटल अनुभव में पूरी तरह डूब जाने का अवसर देगा." उन्होंने इसे एक ऐसी क्रांति बताया जिससे लोगों के बीच की वर्चुअल दूरी लगभग समाप्त हो जाएगी. उनका कहना था कि अब डिजिटल मीटिंग्स सिर्फ स्क्रीन शेयरिंग या वॉयस कॉल तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि इसमें हर छोटी-बड़ी बॉडी लैंग्वेज, इमोशनल एक्सप्रेशन और यहां तक कि टच सेंस भी शामिल होंगे.
फिलहाल यह सूट कॉर्पोरेट और प्रोफेशनल मीटिंग्स के लिए डेमो के तौर पर प्रस्तुत किया गया है, लेकिन आने वाले समय में इसे पर्सनल यूज़ के लिए भी उपलब्ध कराने की योजना है. टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस कदम से वर्चुअल रियलिटी का बाजार अगले पाँच वर्षों में दोगुना हो सकता है. मार्केट रिसर्च फर्म्स ने अनुमान लगाया है कि 2030 तक VR और AR (ऑगमेंटेड रियलिटी) का ग्लोबल मार्केट 500 बिलियन डॉलर से ज्यादा हो जाएगा.
युवाओं के बीच भी इसे लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है. गेमिंग कम्युनिटी ने तो इसे "अगली बड़ी क्रांति" करार दिया है. उनका मानना है कि अगर फुल सेंसर सूट को गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म्स में इंटीग्रेट कर दिया गया तो वर्चुअल गेमिंग का अनुभव पूरी तरह से बदल जाएगा. अब खिलाड़ी सिर्फ गेम देखेंगे ही नहीं बल्कि उसे जी भी पाएंगे. इसी तरह, एजुकेशन सेक्टर में भी यह सूट बेहद उपयोगी माना जा रहा है. कल्पना कीजिए कि एक मेडिकल छात्र VR के जरिए ऑपरेशन थिएटर में सर्जरी का अनुभव कर रहा हो, या फिर इतिहास के छात्र किसी ऐतिहासिक युद्ध स्थल पर जाकर उसका हिस्सा बन रहे हों—ये सब इस नई टेक्नोलॉजी से संभव हो सकता है.
हालांकि इसके साथ कई चिंताएँ भी जुड़ी हैं. साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि बायोमेट्रिक और इमोशनल डेटा का लीक होना बड़े खतरे खड़ा कर सकता है. यदि किसी व्यक्ति की हर हरकत, उसके शरीर का तापमान, यहां तक कि उसके चेहरे के भाव भी डिजिटल रूप में स्टोर किए जाएंगे, तो डेटा प्राइवेसी का मसला और भी गंभीर हो जाएगा. साथ ही, लंबे समय तक VR डिवाइस पहनने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर की भी चिंता जताई जा रही है. आंखों की रोशनी, नींद की गुणवत्ता और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर एक्सपर्ट्स पहले ही सवाल उठा चुके हैं.
इसके बावजूद सोशल मीडिया पर इस टेक्नोलॉजी के प्रति उत्साह कहीं ज्यादा है. इंस्टाग्राम पर कई टेक पेजेस ने डेमो वीडियो शेयर किए हैं जिनमें दिखाया गया है कि कैसे एक व्यक्ति डिजिटल मीटिंग में बोलते समय अपनी बॉडी लैंग्वेज और हावभाव को हूबहू प्रदर्शित कर पा रहा है. लोगों ने कमेंट्स में इसे "नेक्स्ट लेवल ह्यूमन कनेक्शन" कहा. वहीं, टिकटॉक पर युवाओं ने #MetaVerse2025 के नाम से कई मजेदार रील्स बनाईं, जिसमें वे दिखा रहे हैं कि आने वाले समय में इंटरव्यू, क्लासरूम, या यहां तक कि शादी भी मेटावर्स में हो सकती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेटा इस सूट को पहले अमेरिका, जापान और यूरोप के कुछ चुनिंदा देशों में बीटा टेस्टिंग के तौर पर लॉन्च करेगा. इसके बाद 2026 तक इसे बड़े पैमाने पर रोलआउट करने की योजना है. इसकी शुरुआती कीमत 2500 से 3000 डॉलर के बीच हो सकती है. भारतीय टेक उत्साही भी इस खबर से बेहद रोमांचित हैं. ट्विटर पर भारतीय यूज़र्स ने लिखा कि अगर यह भारत में आया तो ऑनलाइन मीटिंग्स और वर्क फ्रॉम होम का अनुभव बिल्कुल अलग हो जाएगा.
विशेषज्ञों का मानना है कि मेटा का यह कदम सिर्फ टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह कंपनी की उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत वह मेटावर्स को सोशल मीडिया के बाद अगला बड़ा "इकोसिस्टम" बनाना चाहती है. फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के जरिए मेटा पहले ही अरबों यूज़र्स को जोड़ चुका है, और अब उसका मकसद है कि लोग न सिर्फ डिजिटल रूप से जुड़े बल्कि पूरी तरह से वर्चुअल दुनिया में भी जीवन का बड़ा हिस्सा बिताएं.
कुल मिलाकर, मेटा का यह "फुल सेंसर सूट" सोशल मीडिया पर जबरदस्त चर्चा का विषय बना हुआ है. समर्थक इसे भविष्य का दरवाजा मान रहे हैं तो आलोचक इसे "वर्चुअल गुलामी" की शुरुआत बता रहे हैं. लेकिन एक बात तय है कि इसने टेक्नोलॉजी जगत में नई बहस को जन्म दे दिया है—क्या यह इंसानों को और करीब लाएगा, या फिर उन्हें वास्तविक दुनिया से और दूर कर देगा?
#MetaVerse2025 फिलहाल ट्रेंडिंग में बना हुआ है और शायद आने वाले महीनों में यह ट्रेंड तकनीकी और सामाजिक दोनों स्तरों पर और गहरी चर्चा को जन्म देगा. यही कारण है कि आज सोशल मीडिया पर हर दूसरा पोस्ट इसी क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी को लेकर है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

