भारत के ऑटो सेक्टर में 21 अगस्त 2025 का दिन एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ, जब जापानी ऑटो दिग्गज होंडा ने देश में पहली बार अपनी हाइड्रोजन-चालित कार का प्रोटोटाइप पेश किया. यह कदम केवल तकनीकी प्रदर्शन नहीं था, बल्कि भारत के ग्रीन मोबिलिटी रोडमैप में एक नई दिशा की घोषणा भी थी. होंडा की इस नई हाइड्रोजन कार को देखते ही सोशल मीडिया पर #HydrogenFuture ट्रेंड करने लगा और यूज़र्स ने इसे “ग्रीन इंडिया की दिशा में सबसे बड़ा कदम” कहा. लंबे समय से बैटरी आधारित इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर चर्चा होती रही है, लेकिन हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक को एक उन्नत और तेज़ विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, और होंडा का यह प्रोटोटाइप भारत को उस भविष्य की दौड़ में शामिल कर देता है, जहां दुनिया पहले ही आगे बढ़ना शुरू कर चुकी है.
होंडा का दावा है कि यह कार केवल पांच मिनट के फ्यूल भरने के बाद लगभग 650 किलोमीटर की रेंज देने में सक्षम है. यह आंकड़ा भारत जैसे विशाल देश में बेहद अहम है, जहां लंबी दूरी की यात्राएं आम बात हैं और EVs की सबसे बड़ी चुनौती ‘चार्जिंग टाइम’ ही रही है. बैटरी इलेक्ट्रिक कारों को पूरी तरह चार्ज होने में औसतन 6 से 8 घंटे लग जाते हैं, वहीं हाइड्रोजन कार केवल कुछ ही मिनटों में तैयार हो जाती है. यही वजह है कि इस तकनीक को EV सेक्टर का भविष्य माना जा रहा है. होंडा के प्रोटोटाइप में 130 kW का शक्तिशाली इलेक्ट्रिक मोटर है, जो स्मूथ ड्राइविंग और जीरो-एमिशन आउटपुट देता है. इसके अलावा एडवांस सेफ्टी पैकेज जैसे कि ऑटोमेटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग, एडेप्टिव क्रूज़ कंट्रोल, और लेन-असिस्ट सिस्टम शामिल किए गए हैं, जिससे यह कार सिर्फ ग्रीन नहीं बल्कि हाई-टेक भी बनती है.
सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे लेकर उत्साह व्यक्त करते हुए कहा कि भारत अब केवल EVs तक सीमित नहीं है बल्कि वैकल्पिक ऊर्जा के सभी संभावित रास्तों पर आगे बढ़ रहा है. कई यूज़र्स ने लिखा कि “भारत को अगर वाकई क्लाइमेट चेंज के खिलाफ लड़ाई जीतनी है तो EV और Hydrogen, दोनों पर एक साथ फोकस करना होगा.” इस तकनीक को लेकर सबसे बड़ी चुनौती इंफ्रास्ट्रक्चर की है. फिलहाल भारत में हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन गिनती के ही हैं और यह तकनीक आम ग्राहकों तक तभी पहुंच पाएगी जब देशभर में इसका नेटवर्क खड़ा होगा. इसके बावजूद विशेषज्ञ मानते हैं कि होंडा का यह प्रोटोटाइप भारत के लिए एक ‘टेस्ट केस’ की तरह काम करेगा, जो आने वाले वर्षों में बड़े निवेश और सरकारी सहयोग के साथ विस्तार पा सकता है.
होंडा ने इस प्रोटोटाइप की संभावित कीमत का खुलासा नहीं किया है, लेकिन इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि यह कार भारत में लगभग 50 लाख रुपये से शुरू हो सकती है. यह कीमत निश्चित रूप से भारतीय ग्राहकों की आम पहुंच से बाहर है, लेकिन चूंकि यह फिलहाल केवल एक तकनीकी प्रदर्शन है, इसलिए भविष्य में बड़े पैमाने पर उत्पादन और लोकलाइजेशन के साथ लागत घटने की पूरी संभावना है. इस समय इसे एक ‘प्रीमियम एक्सपेरिमेंट’ के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन लंबी अवधि में इसका असर भारतीय ऑटो सेक्टर की दिशा बदल सकता है.
अगर वैश्विक परिदृश्य से तुलना करें तो हाइड्रोजन कारों के क्षेत्र में टोयोटा और ह्युंडई पहले से ही सक्रिय हैं. टोयोटा की Mirai और ह्युंडई की Nexo जैसे मॉडल अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में पहले से उपलब्ध हैं और वहां इन्हें धीरे-धीरे स्वीकार्यता मिल रही है. वहीं यूरोप, जापान और अमेरिका में हाइड्रोजन इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकारें काफी जोर दे रही हैं. भारत अभी उस स्तर से बहुत पीछे है, लेकिन होंडा का यह शोकेस देश को इस प्रतिस्पर्धा में खड़ा करता है और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स के साथ सीधे मुकाबले की स्थिति में ला सकता है. अगर इसकी तुलना बैटरी EVs जैसे टेस्ला Model 3 या BYD Seal से करें, तो हाइड्रोजन कार का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है इसका बेहद कम ‘रिफ्यूलिंग टाइम’. वहीं EVs की कीमतें अपेक्षाकृत कम हैं और उनका चार्जिंग नेटवर्क भारत में धीरे-धीरे फैल रहा है, इसलिए फिलहाल दोनों तकनीकें अपनी-अपनी चुनौतियों और अवसरों के साथ साथ-साथ आगे बढ़ेंगी.
होंडा के इस प्रोटोटाइप के प्रति युवा ऑटो लवर्स का उत्साह देखने लायक था. ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर इस शोकेस के वीडियो वायरल हो गए और लोग इसे “गाड़ियों का भविष्य” बताने लगे. कई कमेंट्स में लोगों ने लिखा कि “अगर सरकार इसे सही तरीके से सपोर्ट करे तो भारत ग्रीन एनर्जी क्रांति का नेतृत्व कर सकता है.” वहीं कुछ यूज़र्स ने तंज कसते हुए कहा कि “भारत में जहां पेट्रोल पंप पर भी लाइन लगती है, वहां हाइड्रोजन स्टेशन की उम्मीद करना जल्दबाज़ी है.” इन प्रतिक्रियाओं से साफ है कि जनता इस तकनीक को लेकर बेहद उत्सुक है, लेकिन व्यावहारिक चुनौतियों को लेकर भी जागरूक है.
भारतीय सरकार ने भी हाल के वर्षों में हाइड्रोजन पर जोर दिया है. ‘नेशनल हाइड्रोजन मिशन’ के तहत देश को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग का ग्लोबल हब बनाने की योजना बनाई जा रही है. ऐसे में होंडा का यह प्रोटोटाइप उस सरकारी एजेंडे को भी मजबूती देता है. ऑटोमोबाइल उद्योग के विश्लेषक मानते हैं कि आने वाले समय में यह क्षेत्र बैटरी EVs और हाइड्रोजन EVs के बीच एक संतुलन बनाने की कोशिश करेगा. मेट्रो शहरों में जहां चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर आसानी से खड़ा हो सकता है, वहीं लॉन्ग-डिस्टेंस हाईवे ट्रैवल के लिए हाइड्रोजन एक बड़ा विकल्प बन सकता है.
कुल मिलाकर, होंडा का यह शोकेस भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए एक निर्णायक मोड़ की तरह है. यह सिर्फ एक प्रोटोटाइप नहीं बल्कि भारत के भविष्य का रोडमैप है, जो बताता है कि ग्रीन मोबिलिटी की राह केवल EV तक सीमित नहीं रहने वाली, बल्कि हाइड्रोजन जैसे विकल्प भी सामने होंगे. आने वाले वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत हाइड्रोजन कारों को अपनाने में उतनी ही तेजी दिखाता है जितनी उसने EVs में दिखाई, लेकिन फिलहाल इतना तय है कि होंडा ने देश को एक नई दिशा दिखा दी है और भारतीय ऑटो लवर्स को एक सपना देखने का मौका दिया है, जिसमें गाड़ियां चलेंगी भी तेज़ और प्रदूषण भी नहीं करेंगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

