भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया तिथि को भगवान विष्णु के वराह अवतार की जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष यह पर्व 25 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा. देशभर के मंदिरों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और श्रद्धालु व्रत, पूजा और कथा श्रवण के लिए उत्साहित हैं.पौराणिक मान्यता के अनुसार जब असुर हिरण्याक्ष ने धरती को सागर में डुबा दिया था, तब भगवान विष्णु ने वराह रूप धारण कर धरती को अपने दांतों पर उठाकर सुरक्षित किया. इसीलिए यह दिन सृष्टि की रक्षा और धर्म की पुनर्स्थापना का प्रतीक माना जाता है. 25 अगस्त सोमवार को मनाई जाने वाली श्रीवराह जयंती केवल धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि धरती की रक्षा और संतुलन का स्मरण है. यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सच्चा धर्म वही है जो सृष्टि और प्रकृति की रक्षा करे. पूजा-पाठ, कथा, व्रत और दान के साथ यह दिन आस्था, आत्ममंथन और सामाजिक उत्तरदायित्व का अद्भुत संगम है
पूजन विधि और व्रत का महत्त्व
श्रीवराह जयंती के दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु और वराह रूप की पूजा की जाती है. इस दिन व्रती को उपवास रखना चाहिए. पूजा स्थान को शुद्ध कर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को स्थापित किया जाता है. धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य और गंध से पूजन कर “ॐ वराहाय नमः” मंत्र का जप करना अत्यंत फलदायी माना गया है.
भक्तजन पंचामृत से अभिषेक कर पीले पुष्प अर्पित करते हैं. तुलसीदल का विशेष महत्व इस दिन माना जाता है. व्रतकर्ता दिनभर व्रत रखते हुए शाम को कथा श्रवण और आरती करते हैं. फलाहार या जलाहार कर सकते हैं.
इस व्रत से जीवन में संकटों का नाश होता है, दांपत्य सुख और संतान की प्राप्ति होती है तथा भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है. कई स्थानों पर दान और गौसेवा भी इस दिन का अभिन्न अंग है.
श्रीवराह जयंती का पूजन मुहूर्त
इस वर्ष 25 अगस्त, सोमवार को वराह जयंती का पर्व मनाया जाएगा. पंचांग अनुसार—
तृतीया तिथि प्रारंभ: 24 अगस्त, रविवार, रात्रि 11:48 बजे
तृतीया तिथि समाप्त: 25 अगस्त, सोमवार, रात्रि 09:55 बजे तक
पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त: 25 अगस्त को प्रातःकाल 06:00 बजे से 09:00 बजे तक विशेष शुभ रहेगा.
देशभर में धार्मिक माहौल
वाराणसी के संकटमोचन और प्रयागराज के बघरा क्षेत्र स्थित विष्णु मंदिरों में विशेष झांकियां सजाई जा रही हैं. उज्जैन के महाकाल क्षेत्र में भी भक्तों की भीड़ उमड़ने की संभावना है. मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में “ॐ वराहाय नमः” मंत्रोच्चार के साथ संकीर्तन मंडलियां सजने लगी हैं.
दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के विष्णु मंदिरों में विशेष अभिषेक की परंपरा है. वहां के मंदिरों में हजारों दीपक प्रज्वलित किए जाते हैं और भगवान को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं.
दिल्ली निवासी श्रद्धालु सीमा अग्रवाल कहती हैं—“मैं पिछले पाँच वर्षों से श्रीवराह जयंती का व्रत रख रही हूँ. परिवार में शांति और समृद्धि का अनुभव हुआ है.” वहीं लखनऊ के व्यवसायी आलोक मिश्रा बताते हैं कि “वराह जयंती के व्रत से व्यापार में तरक्की और जीवन में स्थिरता मिली.”
महिलाएं विशेष रूप से संतान सुख और गृहस्थ सुख के लिए यह व्रत करती हैं. दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को कथा और आरती के साथ व्रत का समापन किया जाता है.
सामाजिक और पर्यावरणीय संदेश
आध्यात्मिक विद्वानों का कहना है कि वराह अवतार केवल पौराणिक घटना नहीं बल्कि पृथ्वी की रक्षा का संदेश भी देता है. जब-जब धरती संकट में पड़ी, तब-तब भगवान ने उसकी रक्षा की. इसी भाव से कई संगठनों ने इस दिन पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण अभियान भी शुरू करने की घोषणा की है. प्रयागराज और भोपाल में युवाओं की टीम “धरती बचाओ संकल्प” के तहत पौधारोपण करेगी.
ट्विटर (X) और फेसबुक पर #ShriVarahaJayanti ट्रेंड करने लगा है. लोग भगवान विष्णु के वराह अवतार की तस्वीरें, मंत्र और संदेश साझा कर रहे हैं. इंस्टाग्राम पर भी भक्त मंडलियां सामूहिक भजन संध्या के वीडियो डाल रही हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

