मुनीष भाटिया
मुट्ठी में मोबाइल, खोया है इंसान,
दिल में है गुस्सा, भाषा में तूफ़ान.
छोटी-सी बात पर, आग का धुआँ,
गुमराह होती, आज की जवानी कहाँ.
मोबाइल की स्क्रीन पर, युद्ध का शोर
आभासी दुनिया खींचती उस ओर.
ख़ून-ख़राबा बन गया है कहानी,
संवेदनशीलता अब रही न बाकी.
घर के आँगन में पसरा सूनापन,
रिश्तों में है दूरी, हर ओर खालीपन.
माँ-बाप हैँ व्यस्त, गुमशुदा है दुलार,
लाडलों का बचपन हुआ लाचार.
सफलता के बोझ में मची होड़,
असफलता का ग़म करे कठोर.
शॉर्टकट की राह कहाँ ले जाएगी,
गुस्सा और नफरत क्या बनाएगी ?
- 5376, ऐरो सिटी
मोहाली
7027120349