कोयम्बटूर (तमिलनाडु). दक्षिण रेलवे क्षेत्र के अंतर्गत कोयम्बटूर के समीप एक बड़ी घटना सामने आई है। सोमवार देर रात अज्ञात व्यक्तियों ने कोयम्बटूर रेलवे ट्रैक पर भारी चट्टानें रख दीं, जिससे गुजर रही ट्रेन के पटरी से उतरने का खतरा पैदा हो गया। ट्रैक पर तैनात कर्मचारियों की चौकसी और लोको पायलट की तत्परता से एक बड़ा हादसा टल गया.
माना जा रहा है कि घटना ने न केवल रेलवे सुरक्षा प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर किया है, बल्कि इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि यह किसी संगठित शरारती या आपराधिक गिरोह की करतूत हो सकती है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सच्चाई सामने रख दी है कि तकनीकी सुरक्षा उपायों और सामुदायिक सहयोग के बिना रेलवे की सुरक्षा अधूरी है। जब तक रेलवे, पुलिस और समाज तीनों मिलकर जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे, तब तक ऐसी घटनाओं का ख़तरा पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकेगा।
दक्षिण रेलवे के कोयम्बटूर मंडल में सोमवार रात नियमित गश्त के दौरान कर्मचारियों ने देखा कि मुख्य रेल लाइन पर बड़ी-बड़ी चट्टानें रखी गई हैं। इससे पहले कि कोई यात्री ट्रेन वहां से गुजऱती, जानकारी तुरंत रेलवे नियंत्रण कक्ष को दी गई और ट्रैक को साफ कराया गया। बताया जा रहा है कि यदि चट्टानें समय रहते नहीं हटाई जातीं तो एक बड़ा रेल हादसा हो सकता था, जिससे सैकड़ों जानें खतरे में पड़ जातीं। इस मामले की जानकारी मिलते ही गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) की टीमें मौके पर पहुंचीं। पुलिस ने पूरे इलाके में तलाशी अभियान चलाया और आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू कर दी।
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब इस ट्रैक पर ऐसी हरकत हुई हो। कुछ महीने पहले भी कुछ युवकों ने इसी क्षेत्र में रेल लाइन पर पत्थर रखकर दुर्घटना की आशंका पैदा की थी। उस समय भी रेलवे की सतर्कता से हादसा टल गया था। दोहराई गई इस घटना से साफ है कि यह महज बच्चों की शरारत नहीं, बल्कि गंभीर सुरक्षा चुनौती बन चुकी है।
पुलिस और रेलवे की जांच
पुलिस ने प्राथमिक जांच में माना है कि यह घटना सुनियोजित हो सकती है। अधिकारियों ने बताया कि अपराधियों ने जानबूझकर ट्रैक के उस हिस्से को निशाना बनाया, जहां घना अंधेरा और निगरानी कम होती है। पुलिस फिलहाल पास के गांवों और कस्बों से जुड़े संदिग्ध लोगों से पूछताछ कर रही है।
यात्रियों में भय और आक्रोश
इस घटना की खबर मिलते ही स्थानीय यात्रियों और आम जनता में भय और आक्रोश का माहौल है। कोयम्बटूर और आसपास के क्षेत्रों से रोज़ाना लाखों यात्री ट्रेनों से सफऱ करते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से न केवल यात्री जीवन खतरे में पड़ता है, बल्कि रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठते हैं। कई सामाजिक संगठनों और रेल उपभोक्ता समितियों ने रेलवे से अपील की है कि ट्रैक की निगरानी व्यवस्था को मजबूत किया जाए। ग्रामीण इलाकों में जहां ट्रैक लंबे हिस्सों तक खुले रहते हैं, वहां अधिक गश्त और सीसीटीवी निगरानी की आवश्यकता जताई गई है।



