जबलपुर. पश्चिम मध्य रेलवे के प्रमुख मुख्य अभियंता (पीसीएमई) व एक अन्य मैकेनिकल अधिकारी की निरंकुश कार्यप्रणाली के चलते मातहत अफसर, कर्मचारियों के साथ-साथ कांट्रेक्ट में काम करने वाली कंपनियां, ठेकेदार पिछले कुछ समय से परेशान हैं. लगातार बदलते नियमों से कार्य करने में तीनों रेल मंडलों जबलपुर, भोपाल, कोटा मे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
बताया जाता है कि जब से यांत्रिकी विभाग के मुखिया ने कार्यभार संभाला है, तब से रोजाना के कामकाज में तीनों मंडलों में स्टाफ, कांट्रेक्टर्स को व्यवहारिक कठिनाइयों से दो-चार होना पड़ रहा है. सूत्रों की माने तो इस आशय की शिकायत कुछ बड़े कांट्रेक्टर्स ने पमरे के जीएम के साथ-साथ नई दिल्ली में रेलवे बोर्ड में अपने संपर्कों के माध्यम से करने का निर्णय लिया है.
बताया जाता है कि मुख्य यांत्रिकी अभियंता के कुछ ऐेसे निर्णय सामने आये हैं, जिससे कोच और वैगनों के कार्यों में भ्रम की स्थिति बन रही है. जिससे यांत्रिकी विभाग के कार्यों में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है.
निजी कंपनियां फैसलों से नाखुश
सूत्रों के मुताबिक सीएमई के निर्णयों से भोपाल, जबलपुर और कोटा की कंपनियां माल ढुलाई और हाउसकीपिंग गतिविधियों को मिलाने के फैसलों से नाखुश हैं, जिससे कामकाज में कुप्रबंधन और प्रक्रियाओं में गड़बड़ी हो रही है, जिससे यांत्रिक विभाग में ही अनावश्यक वाद-विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है. माना जा रहा है विभाग में व्यवहारिक परेशानियों की अनदेखी कर मनमाने निर्णयों को थोपने से यात्री सुविधाओं के साथ-साथ कर्मचारियों-अफसरों की कार्यदक्षता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

