एमपी: ऑनलाइन गेम्स कानून को हाईकोर्ट में चुनौती, चीफ जस्टिस की बेंच करेगी सुनवाई

एमपी: ऑनलाइन गेम्स कानून को हाईकोर्ट में चुनौती, चीफ जस्टिस की बेंच करेगी सुनवाई

प्रेषित समय :15:32:19 PM / Sat, Aug 30th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. केंद्र सरकार कानून बनाकर ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है. जिसे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. रीवा के पुष्पेंद्र सिंह ने याचिका दायर कर कहा है कि इस तरह का कानून लाकर मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है.

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए केस को अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया है. गौरतलब है इससे पहले कई राज्यों में ऑनलाइन गेमिंग कानून को लेकर याचिका दायर की गई हैं. पुष्पेंद्र सिंह रीवा की क्लबूबम 11 स्पोर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ हैं. याचिका में उन्होंने बताया है कि केंद्र सरकार 22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग कानून लाई हैए जिस पर सवाल उठ रहे हैं. कंपनी का तर्क है कि फेंटेसी स्पोर्ट्स को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पहले ही कौशल आधारित खेल मानकर वैध ठहरा चुके हैं. इसके बाद भी सरकार का नया कानून युवा और कौशल आधारित खेलों के बीच का फर्क खत्म करके पूरे उद्योग को अवैध बता रहा हैए जो अवैधानिक है.

राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है-

22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है. अब ये कानून बन गया है. 21 अगस्त को राज्यसभा और उससे एक दिन पहले लोकसभा ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को मंजूरी दी थी. इस बिल को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेश किया था.

नया कानून मौलिक अधिकार का हनन-

पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि ये कानून उन गेम्स को भी बैन करता है जो स्किल-बेस्ड हैं, जैसे रमी और पोकर. भारत में पिछले 70 सालों से सुप्रीम कोर्ट और कई हाई कोर्ट ने स्किल.बेस्ड गेम्स को गैंबलिंग से अलग माना है.

-ये कानून व्यापार करने के मौलिक अधिकार का हनन करता है.
-कानून स्किल-बेस्ड व चांस-बेस्ड गेम्स में कोई अंतर नहीं करता.
-इस बैन से गेमिंग इंडस्ट्री को भारी नुकसान होगा. लाखों नौकरियां खतरे में हैं.
-बैन से लोग अवैध ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स की ओर जाएंगे, जहां कोई रेगुलेशन नहीं होता.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-