हिंदी सिनेमा में रोमांटिक कॉमेडी हमेशा से दर्शकों की पहली पसंद रही है. हर दशक में कुछ ऐसी फिल्में आईं जिन्होंने लोगों को हल्की-फुल्की कहानियों के साथ मनोरंजन का मौका दिया. इस हफ्ते रिलीज़ हुई पैरम सुंदरी भी उसी परंपरा को आगे बढ़ाती नज़र आती है. रिलीज़ से पहले ही इस फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर भारी उत्साह था. ट्रेलर में नाच-गाने, रोमांस और मजेदार संवादों ने दर्शकों को उम्मीदों से भर दिया था. खासकर सिद्धार्थ मल्होत्रा और जान्हवी कपूर की जोड़ी ने युवाओं के बीच उत्सुकता जगा दी थी.
रिलीज़ के बाद फिल्म को मिली प्रतिक्रियाएँ मिली-जुली रही हैं. एक ओर दर्शकों का एक बड़ा वर्ग इसे मनोरंजन से भरपूर मान रहा है, वहीं दूसरी ओर आलोचकों ने इसकी कमजोर पटकथा और पुराने ढर्रे वाली प्रस्तुति पर सवाल खड़े किए हैं.
दर्शकों की राय के अनुसार फिल्म पूरी तरह से “फील-गुड” मूवी है. रंगीन लोकेशन्स, शानदार गाने और कलाकारों की केमिस्ट्री ने उन्हें बांधे रखा. कई दर्शक यह कहते सुने गए कि हल्की-फुल्की कहानियों में अगर संगीत और संवाद सही हो तो फिल्म देखने का अनुभव मजेदार हो जाता है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दर्शकों ने इसे “एंटरटेनिंग पैकेज” और “रोम-कॉम एट इट्स बेस्ट” कहकर संबोधित किया.
हालांकि समीक्षकों की नज़र थोड़ी सख्त रही. हिंदुस्तान टाइम्स ने फिल्म को केवल 1.5/5 अंक दिए और लिखा कि कहानी में आत्मा की कमी है. उनके मुताबिक फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि यह दर्शकों को नया अनुभव देने में नाकाम रही. वहीं द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने तो इस पर व्यंग्य करते हुए लिखा कि यह फिल्म “प्रोटीन शेक से सांभर जैसी” है. मतलब दिखने में नई लेकिन स्वाद में बासी. यह टिप्पणी दर्शाती है कि फिल्म ने मौलिकता की कमी के कारण कई आलोचकों को निराश किया.
फिल्म की पटकथा पुराने क्लिच्ड ढांचे पर आधारित लगती है. नायक-नायिका की मुलाकात, उनके बीच खींचतान और फिर प्यार में बदलते रिश्ते—यह सब पहले भी कई बार बड़े पर्दे पर दिखाया जा चुका है. दर्शकों का एक हिस्सा मानता है कि अगर फिल्म में थोड़ी नई सोच और ताज़गी होती तो अनुभव कहीं ज्यादा शानदार होता.
इसके बावजूद, कई लोग मानते हैं कि फिल्म अपने उद्देश्य में सफल रही है. आखिरकार, हर फिल्म का मकसद दर्शकों का मनोरंजन करना ही तो होता है. एक तनावभरे समय में हल्की-फुल्की कहानी, रंगीन गाने और सितारों की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री लोगों को हंसाने और मुस्कुराने का मौका देती है. यही वजह है कि सिनेमाघरों में फिल्म देखने वाले दर्शक निराश होकर बाहर नहीं निकले.
सिद्धार्थ मल्होत्रा का अभिनय फिल्म का मजबूत पक्ष माना जा रहा है. उन्होंने रोमांटिक किरदार को सहजता से निभाया है. जान्हवी कपूर की अदाकारी पर भी दर्शकों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, हालांकि आलोचकों के अनुसार उनकी भूमिका में गहराई की कमी है. फिल्म के कुछ गाने पहले ही चार्टबस्टर बन चुके हैं, जिसने दर्शकों को सिनेमाघरों की ओर खींचा.
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और लोकेशन्स आकर्षक हैं. चमकदार रंग, आधुनिक सेट और विदेशी लोकेशन्स ने इसे बड़े पर्दे पर भव्य रूप दिया है. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर इसे “कलरफुल मूड लिफ्टर” कहकर भी सराहा गया.
अगर बॉक्स ऑफिस की बात करें तो शुरुआती दिनों में फिल्म ने अच्छी कमाई दर्ज की है. युवा दर्शक वर्ग इसकी सबसे बड़ी ताकत साबित हो रहा है. टिकट खिड़की पर भीड़ दिखाती है कि आलोचकों की नकारात्मक टिप्पणियों के बावजूद फिल्म का आकर्षण बरकरार है.
कुल मिलाकर, पैरम सुंदरी को आप “मनोरंजन प्रधान” फिल्म कह सकते हैं. यह शायद सिनेमा की दुनिया में कोई नया अध्याय नहीं जोड़ती, लेकिन दर्शकों को कुछ घंटों तक हंसाने और गुनगुनाने का मौका जरूर देती है. यही वजह है कि एक बड़ा तबका इसे सफल मान रहा है.
संक्षेप में कहा जाए तो यह फिल्म उन दर्शकों के लिए है जो गहराई और मौलिकता की तलाश में नहीं हैं, बल्कि केवल मनोरंजन चाहते हैं. अगर आप एक हल्की-फुल्की रोमांटिक कॉमेडी देखना चाहते हैं जिसमें गाने, नाच और कुछ मजेदार संवाद हों, तो पैरम सुंदरी आपके लिए निराशाजनक साबित नहीं होगी. हां, अगर आप उम्मीद कर रहे हैं कि यह फिल्म हिंदी सिनेमा में कुछ नया और अनोखा परोसेगी, तो शायद आपको निराशा हाथ लगे.
इस फिल्म ने यह फिर साबित कर दिया कि बॉलीवुड में दर्शक वर्ग विविध है. कुछ लोग मौलिकता और गहराई चाहते हैं, वहीं कई लोग केवल मनोरंजन से ही संतुष्ट हो जाते हैं. पैरम सुंदरी दूसरी श्रेणी के दर्शकों के लिए बनी फिल्म है.
इस तरह, फिल्म भले ही आलोचकों की कसौटी पर फिसल गई हो, लेकिन दर्शकों की तालियों और टिकट खिड़की की सफलता ने साबित किया कि हिंदी फिल्मों में रोमांटिक कॉमेडी की चमक अभी बरकरार है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

