मुंबई. फ़ैशन केवल कपड़ों तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह पहचान, संस्कृति और व्यक्तित्व की कहानी भी कहता है. इसी कहानी को नया आयाम दिया है सरथ एंड जैस्मीन ने. सरथ कृष्णन और उनकी डिज़ाइन पार्टनर जैस्मीन ने पिछले कुछ वर्षों में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय फ़ैशन जगत में अपनी ऐसी पहचान बनाई है, जो परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत करती है.सरथ और जैस्मीन केवल डिज़ाइनर नहीं, बल्कि कहानीकार हैं. उनके कपड़े पहनने वाले को केवल आकर्षक नहीं बनाते, बल्कि उसे एक कथा का हिस्सा बना देते हैं – एक ऐसी कथा जो भारतीय गौरव, आत्मविश्वास और आधुनिकता का संगम है.आज जब दुनिया का हर रनवे एक नई पहचान की तलाश में है, तब सरथ और जैस्मीन यह साबित कर रहे हैं कि भारत की विरासत और रचनात्मकता किसी से कम नहीं. उनकी कहानी संघर्ष, मेहनत, कला और विज़न की कहानी है – और यही कारण है कि उन्हें सही मायनों में कहा जा सकता है –“समृद्ध फ़ैशन जगत के असली कहानीकार.”
शुरुआती सफ़र और दृष्टिकोण
सरथ कृष्णन ने बचपन से ही भारतीय शिल्पकला और वस्त्र परंपरा को नज़दीक से देखा. वे मानते हैं कि कपड़े केवल शरीर को ढकने का साधन नहीं, बल्कि संस्कृति की आत्मा को जीवित रखने का माध्यम हैं. यही सोच उन्हें फ़ैशन इंडस्ट्री की भीड़ से अलग करती है. जब उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की, तब बॉलीवुड और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले से ही कई नामचीन डिज़ाइनर सक्रिय थे. लेकिन सरथ और जैस्मीन ने भारतीय कारीगरी को आधुनिक सौंदर्यबोध के साथ इस तरह जोड़ा कि यह एक नई पहचान बन गई.
भारतीय विरासत और वैश्विक मंच
“ब्राइडल रॉयल्स” से लेकर रेड-कार्पेट शोस्टॉपर तक, उनके डिज़ाइन भारत की समृद्ध विरासत को दुनिया के सामने प्रस्तुत करते हैं. शाही कढ़ाई, जरी, बनारसी ब्रोकेड, रेशमी टेक्सचर और हाथ से की गई महीन एम्ब्रॉयडरी उनके संग्रह की पहचान है. लेकिन खास बात यह है कि इन सबको वे आधुनिक कट्स और पश्चिमी परिधान शैली के साथ इस सहजता से जोड़ते हैं कि एक भारतीय भी गौरवान्वित महसूस करता है और विदेशी दर्शक भी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.
आईफा अवार्ड्स के मंच से लेकर हाल ही में हुए ग्रैमी अवार्ड्स 2025 तक, सरथ एंड जैस्मीन के डिज़ाइन ने सबको प्रभावित किया. ग्रैमी जैसे वैश्विक मंच पर उनकी कृतियों का प्रदर्शित होना न केवल भारतीय फ़ैशन की जीत है, बल्कि यह संकेत भी है कि भारतीय डिज़ाइनर अब अंतरराष्ट्रीय रुझानों को दिशा देने लगे हैं.
मशहूर हस्तियों की पसंद
बॉलीवुड और बिज़नेस जगत की दिग्गज हस्तियाँ उनकी डिज़ाइनों की शान बढ़ा रही हैं. नील नितिन मुकेश, आर. माधवन, सोनू सूद, जैकी श्रॉफ, करण सिंह ग्रोवर और नसीरुद्दीन शाह जैसे कलाकारों ने उनके डिज़ाइन पहने हैं. कोरियोग्राफ़र बॉस्को मार्टिस और न्यूयॉर्क स्थित अमेरिकन एक्सप्रेस के श्री जस्टिन पीटर जैसे अंतरराष्ट्रीय नाम भी उनके क्लाइंट्स की सूची में शामिल हैं.
यह विविधता बताती है कि उनके डिज़ाइन किसी एक वर्ग या क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं. चाहे फिल्मी सितारे हों, कॉर्पोरेट लीडर्स या वैश्विक कलाकार – सबके लिए वे अलग पहचान और आत्मविश्वास से भरे परिधान तैयार करते हैं.
टीमवर्क और रचनात्मकता
अपने सफ़र पर विचार करते हुए सरथ कहते हैं –
“मैंने और जैस्मीन ने इतनी अच्छी टीम बनाई है कि रचनात्मकता स्वाभाविक रूप से उभर कर आती है. हमें चेहरों के अनुरूप डिज़ाइन बनाने में अपार खुशी मिली है. बॉलीवुड के बेहतरीन डिज़ाइनरों के साथ कतार में खड़े होने के लिए हमें दिन-रात मेहनत करनी पड़ी. मशहूर हस्तियों द्वारा हमारे काम को इतनी खूबसूरती से प्रस्तुत होते देखना सचमुच एक अद्भुत क्षण था.”
उनकी यह सोच बताती है कि फ़ैशन केवल व्यक्तिगत प्रतिभा नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयास का परिणाम होता है. जैस्मीन का योगदान इस साझेदारी में बेहद अहम है. वह हर डिज़ाइन में स्त्री दृष्टिकोण और संवेदनशीलता जोड़ती हैं, जिससे संग्रह और भी जीवंत हो उठता है.
भारतीयता और आधुनिकता का संगम
सरथ और जैस्मीन का दर्शन है – “परंपरा को भविष्य से जोड़ना.” उनके हर परिधान में भारतीयता की गहरी जड़ें दिखाई देती हैं, लेकिन साथ ही आधुनिक ट्रेंड्स की सहज झलक भी मिलती है. यही कारण है कि उनके परिधान एक ही समय में पारंपरिक और समकालीन दोनों लगते हैं.
दुल्हनों के लिए वे ऐसे परिधान तैयार करते हैं जो राजसी शान और व्यक्तिगत भावनाओं दोनों को समेटे हों. वहीं रेड-कार्पेट पर चलने वाली हस्तियों के लिए वे ऐसे कॉउचर बनाते हैं जो वैश्विक दर्शकों को आकर्षित करें. उनके लक्ज़री सूट, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय डिज़ाइन की ताक़त का प्रमाण बन चुके हैं.
आज जब फ़ैशन इंडस्ट्री लगातार बदल रही है, सरथ और जैस्मीन का काम यह साबित करता है कि भारतीय परिधान और शिल्पकला कभी पुराने नहीं हो सकते. बल्कि इन्हें नई दृष्टि से प्रस्तुत करने पर ये दुनिया भर में सम्मान पा सकते हैं.
आने वाले समय में वे केवल भारत तक सीमित नहीं रहेंगे. यूरोप, अमेरिका और मिडिल ईस्ट के बाज़ारों में उनकी पहुँच बढ़ रही है. डिजिटल माध्यम और अंतरराष्ट्रीय सहयोग उनके लिए नए अवसर खोल रहे हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

