डिक्सन ने फॉक्सकॉन और अन्य को पीछे छोड़कर बना भारत का सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता

डिक्सन ने फॉक्सकॉन और अन्य को पीछे छोड़कर बना भारत का सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता

प्रेषित समय :16:25:04 PM / Wed, Sep 3rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में एक नया अध्याय जुड़ गया है. कभी अनुबंध आधारित विनिर्माण में छोटी भूमिका निभाने वाली डिक्सन टेक्नोलॉजीज ने अब एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है. वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही (अप्रैल–जून) की रिपोर्ट में यह साफ हो गया कि डिक्सन ने घरेलू मांग और निर्यात दोनों में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए भारत का सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता बनने का गौरव हासिल कर लिया है.इस उपलब्धि ने न सिर्फ डिक्सन को वैश्विक मोबाइल आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है, बल्कि ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल को भी नया बल दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, डिक्सन टेक्नोलॉजीज ने इस अवधि में मोबाइल भेजाव (शिपमेंट्स) में 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की. इसके साथ ही यह कंपनी फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन जैसी दिग्गज कंपनियों को पीछे छोड़ चुकी है.डिक्सन टेक्नोलॉजीज का भारत का सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता बनना केवल एक कंपनी की उपलब्धि नहीं है. यह भारत की औद्योगिक नीतियों, घरेलू बाज़ार की क्षमता और वैश्विक महत्वाकांक्षाओं का भी प्रतिबिंब है.

फॉक्सकॉन और अन्य कंपनियों को पीछे छोड़ते हुए डिक्सन ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय कंपनियाँ भी वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ सकती हैं. यह उपलब्धि आने वाले वर्षों में ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल को नई दिशा देगी और भारत को इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण का सशक्त केंद्र बनाने में मदद करेगी.

डिक्सन की छलांग और बदलता भारतीय बाज़ार
डिक्सन का सफर काफी दिलचस्प रहा है. कुछ वर्ष पहले तक यह कंपनी घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे टीवी और वॉशिंग मशीन के लिए जानी जाती थी. लेकिन मोबाइल निर्माण के क्षेत्र में उतरने के बाद डिक्सन ने लगातार अपना दायरा बढ़ाया. सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई योजना) और घरेलू कंपनियों के लिए बनाए गए विशेष प्रावधानों का डिक्सन ने अधिकतम लाभ उठाया.

दूसरी तिमाही 2025 में डिक्सन की सफलता के पीछे सबसे बड़ी वजह रही भारतीय उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग. भारत में अब पाँचवीं पीढ़ी (5जी) मोबाइल का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है. ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी किफायती दामों पर 5जी उपकरण की उपलब्धता ने डिक्सन को मजबूती दी. इसके अलावा डिक्सन ने कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के लिए अनुबंध निर्माण भी किया, जिससे निर्यात के आँकड़े लगातार ऊपर जाते गए.

फॉक्सकॉन को पीछे छोड़ने का महत्व
अब तक फॉक्सकॉन को भारत में मोबाइल निर्माण का सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जाता था. एप्पल के आईफ़ोन से लेकर कई अन्य ब्रांडों के उपकरण फॉक्सकॉन की भारतीय इकाइयों से ही निकलते थे. लेकिन डिक्सन ने संख्या के आधार पर फॉक्सकॉन को पीछे छोड़कर यह साबित कर दिया है कि भारतीय कंपनियाँ भी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में नेतृत्व कर सकती हैं.

इस उपलब्धि का असर केवल डिक्सन की पहचान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता और डिजिटल संप्रभुता के लिए भी महत्वपूर्ण है. सोशल मीडिया पर भी यह खबर छाई रही, जहाँ लोग गर्व के साथ ‘मेड-इन-इंडिया’ टैग को आगे बढ़ाते दिखे.

डिक्सन का विस्तार और रणनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि डिक्सन ने जिस तेजी से अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाई है, वह भारत की औद्योगिक नीति और निवेश माहौल की सफलता को भी दर्शाता है. कंपनी ने हाल के वर्षों में कई नए निर्माण संयंत्र (मैन्युफैक्चरिंग प्लांट) लगाए हैं. साथ ही डिक्सन ने स्वचालन और रोबोटिक्स तकनीक का भी सहारा लिया है ताकि उत्पादन की गुणवत्ता और गति दोनों को बढ़ाया जा सके.

इसके अलावा डिक्सन ने सिर्फ अनुबंध निर्माण तक खुद को सीमित नहीं रखा है. कंपनी अब अपने ब्रांड और उत्पाद विकास पर भी काम कर रही है. हालाँकि यह रास्ता लंबा है, लेकिन घरेलू उपभोक्ताओं में इसकी विश्वसनीयता लगातार बढ़ रही है.

निर्यात में डिक्सन की भूमिका
भारत अब एशिया और अफ्रीका के लिए मोबाइल का बड़ा निर्यातक बनता जा रहा है. डिक्सन की भागीदारी ने इस मोर्चे पर भी देश की ताकत को बढ़ाया है. विशेषज्ञों के अनुसार डिक्सन की भेजी गई खेप (शिपमेंट्स) का एक बड़ा हिस्सा अब भारत से बाहर भी जा रहा है. यह प्रवृत्ति आने वाले वर्षों में और तेज होने की संभावना है.

भारत सरकार भी डिक्सन जैसी कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनाने के लिए लगातार समर्थन कर रही है. यह समर्थन केवल प्रोत्साहन तक सीमित नहीं है, बल्कि ढाँचागत सुविधाओं, परिवहन और कौशल विकास में भी सुधार पर ध्यान दिया जा रहा है.

सोशल मीडिया पर चर्चा
डिक्सन की इस उपलब्धि ने सोशल मीडिया पर नई ऊर्जा भर दी है. ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ‘मेड इन इंडिया’ और ‘डिक्सन टेक्नोलॉजीज’ खूब चर्चा में रहे. लोगों ने इसे भारतीय उद्योग की जीत के रूप में देखा. युवाओं और तकनीकी जानकारों का मानना है कि डिक्सन की यह छलांग भारत को चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में मदद करेगी.

कई उपयोगकर्ताओं ने लिखा कि अब भारत सिर्फ उपभोक्ता नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर मोबाइल निर्माण केंद्र बन रहा है. वहीं कुछ विशेषज्ञों ने यह भी संकेत दिया कि डिक्सन की यह उपलब्धि भारत को ‘इलेक्ट्रॉनिक निर्यात शक्ति’ बनाने में मील का पत्थर साबित होगी.

डिक्सन की चुनौतियाँ
हालाँकि डिक्सन की उपलब्धि बड़ी है, लेकिन इसके सामने चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं. सबसे बड़ी चुनौती है गुणवत्ता को वैश्विक मानकों पर बनाए रखना. एप्पल और सैमसंग जैसे ब्रांड डिक्सन पर तभी भरोसा जारी रखेंगे, जब यह उत्पादन की शुद्धता और तकनीकी मानकों पर खरा उतरेगा.

दूसरी चुनौती है चीन और वियतनाम से प्रतिस्पर्धा. वैश्विक मोबाइल आपूर्ति श्रृंखला में इन देशों की पकड़ अभी भी मजबूत है. डिक्सन को लागत कम रखते हुए तेजी से उत्पादन करना होगा, तभी यह लंबी दौड़ में टिक पाएगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-