भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई विवाद ऐसे रहे हैं जो समय के साथ धुंधले पड़ जाते हैं, लेकिन अचानक किसी वजह से फिर सुर्खियों में आ जाते हैं. ऐसा ही हुआ 2008 के आईपीएल के पहले सीज़न में घटे कुख्यात ‘स्लैपगेट’ विवाद के साथ. यह वह घटना थी जिसने भारतीय क्रिकेट के तमाम प्रशंसकों को झकझोर दिया था और लंबे समय तक क्रिकेट की साख पर सवाल खड़े किए थे. उस समय मुंबई इंडियंस के लिए खेल रहे हरभजन सिंह ने पंजाब किंग्स इलेवन के गेंदबाज श्रीसंत को मैच के बाद थप्पड़ जड़ दिया था. अब इस घटना का पुराना वीडियो एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है और इसके चलते पूरे खेल जगत में हलचल मच गई है.
सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आते ही पुराने जख्म फिर हरे हो गए. क्रिकेट प्रेमियों ने इस घटना को याद करते हुए तीखी प्रतिक्रियाएँ दीं. कई लोगों का मानना है कि 17 साल पुरानी इस घटना को दोबारा उभारने की कोई ज़रूरत नहीं थी, वहीं एक बड़ा वर्ग यह सवाल उठा रहा है कि उस वक्त जो सच्चाई सामने नहीं आ सकी थी, क्या अब समय आ गया है कि खिलाड़ी खुलकर अपनी बातें रखें. हरभजन सिंह ने इस बार चुप्पी तोड़ते हुए घटना को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया और कहा कि उन्होंने उस समय भी गलती स्वीकार की थी और अब भी मानते हैं कि यह नहीं होना चाहिए था. उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि उस पल का गुस्सा और भावनाओं पर काबू न रख पाने के कारण यह घटना घटी, लेकिन वे जीवन भर इसके लिए खेद जताते रहेंगे.
दिलचस्प यह है कि घटना को लेकर अब साथी खिलाड़ी भी खुलकर बोल रहे हैं. पूर्व भारतीय क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर दोबारा प्रसारित करने वालों को "संवेदनहीन" करार दिया. उनका कहना है कि खिलाड़ियों की ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन पुरानी गलतियों को बार-बार कुरेदना किसी भी तरह से खेल और खिलाड़ियों के लिए अच्छा नहीं है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या खेल जगत में पुराने विवादों को उखाड़कर पेश करने से नए खिलाड़ियों को कुछ प्रेरणा मिलती है, या यह केवल सनसनीखेज बनाने का एक माध्यम है.
घटना के समय भी क्रिकेट जगत बुरी तरह बंट गया था. एक ओर लोग श्रीसंत की मासूमियत और उनके आंसुओं को याद करते हैं, वहीं दूसरी ओर कई प्रशंसकों का मानना है कि मैदान पर गुस्से का प्रदर्शन करना खिलाड़ियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी है और हरभजन जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी को इस तरह का व्यवहार कतई शोभा नहीं देता. उस दौर में हरभजन पर जुर्माना और मैच बैन जैसी सज़ाएँ भी लगाई गई थीं. यह घटना आईपीएल के शुरुआती वर्षों में एक काले धब्बे की तरह दर्ज हो गई.
अब जब वीडियो फिर वायरल हुआ है तो इसे लेकर पीढ़ियों के बीच संवाद भी देखने को मिल रहा है. युवा क्रिकेट प्रशंसक जो 2008 में छोटे रहे होंगे, अब सोशल मीडिया पर इस घटना को देखकर अपनी राय दे रहे हैं. उनके लिए यह केवल एक विवादित वीडियो नहीं, बल्कि उस दौर के खिलाड़ियों के व्यक्तित्व को परखने का एक मौका है. वहीं, पुराने प्रशंसक इसे क्रिकेट की भावनात्मक यादों में से एक मानते हैं, जो दिखाता है कि कैसे कभी-कभी भावनाएँ खिलाड़ियों पर हावी हो जाती हैं.
हरभजन सिंह की माफी ने बहस को और गहरा कर दिया है. कुछ लोग मानते हैं कि उनकी सच्चाई स्वीकार करने की हिम्मत काबिले-तारीफ है और यह एक परिपक्व खिलाड़ी का गुण है. लेकिन दूसरी ओर आलोचक यह सवाल उठा रहे हैं कि इतने सालों बाद माफी मांगने का क्या मतलब है. क्या यह माफी उस समय नहीं आनी चाहिए थी जब घटना ताज़ा थी और श्रीसंत भावनात्मक रूप से आहत थे. हालाँकि, श्रीसंत और हरभजन दोनों ही अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं और अपने-अपने रास्ते पर आगे बढ़ चुके हैं.
सोशल मीडिया की ताकत इस मामले में साफ झलकती है. एक पुराना वीडियो, जो शायद किसी आर्काइव में दबा रह गया होता, अचानक से लाखों लोगों तक पहुँचता है और बहस को हवा दे देता है. ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #Slapgate फिर से ट्रेंड करने लगा. मीम्स, वीडियो क्लिप और बहसों ने यह साबित कर दिया कि क्रिकेट केवल खेल नहीं बल्कि भावनाओं और यादों का संगम है, जिसे लोग कभी भूलते नहीं.
खेल विशेषज्ञ इस पूरे घटनाक्रम को भारतीय क्रिकेट के लिए सबक मानते हैं. उनका कहना है कि खिलाड़ियों को मैदान पर अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना सीखना चाहिए. क्रिकेट सज्जनों का खेल कहलाता है, लेकिन इसमें भी भावनाओं का विस्फोट होना स्वाभाविक है. सवाल यह है कि क्या खिलाड़ी अपनी भावनाओं को इस तरह बाहर निकालें कि वह खेल की गरिमा को ठेस पहुँचा दे. हरभजन का यह प्रकरण आने वाली पीढ़ियों के लिए यह संदेश देता है कि खेल का असली सौंदर्य अनुशासन और धैर्य में है.
आर्थिक और व्यावसायिक दृष्टि से भी इस विवाद का असर रहा. उस समय आईपीएल अपने शुरुआती चरण में था और यह घटना लीग की छवि के लिए बड़ी चुनौती थी. ब्रॉडकास्टर्स और स्पॉन्सर्स को भी यह डर सता रहा था कि क्या आईपीएल इस तरह की घटनाओं से अपनी लोकप्रियता बनाए रख पाएगा. हालाँकि समय ने यह साबित किया कि आईपीएल का जादू कायम रहा, लेकिन ‘स्लैपगेट’ का धब्बा उसके इतिहास में हमेशा दर्ज रहेगा.
आज जब यह विवाद फिर से चर्चा में है, तो यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि खेल केवल जीत-हार तक सीमित नहीं है. यह खिलाड़ियों के व्यवहार, उनकी मानसिक मजबूती और उनके द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली छवि पर भी निर्भर करता है. हरभजन और श्रीसंत दोनों ने अपने-अपने करियर में उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन यह घटना उनके नाम से हमेशा जुड़ी रहेगी.
अंततः यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘स्लैपगेट’ भारतीय क्रिकेट के इतिहास की एक ऐसी कहानी है जिसे चाहकर भी मिटाया नहीं जा सकता. हरभजन की माफी एक सकारात्मक पहल है, लेकिन सोशल मीडिया का गुस्सा यह दिखाता है कि दर्शक अब केवल क्रिकेट से मनोरंजन नहीं चाहते, बल्कि वे अपने नायकों से जिम्मेदारी और संवेदनशीलता की भी अपेक्षा करते हैं. यह घटना समय-समय पर हमें याद दिलाती रहेगी कि खेल में अनुशासन और आत्मसंयम ही असली जीत है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

