अंतरराष्ट्रीय यात्रा का परिदृश्य बदल रहा है और इस बदलाव की धुरी पर आज की नई पीढ़ी—जेनरेशन जेड खड़ी है. यह पीढ़ी अब केवल डिजिटल दुनिया या शहरी कैफ़े कल्चर तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसका रुझान दुनिया की सरहदें पार करने की ओर भी तेजी से बढ़ रहा है. हालिया आंकड़े बताते हैं कि शरदकाल या कहें फॉल शोल्डर सीजन में जेनरेशन जेड की अंतरराष्ट्रीय यात्रा की मांग 26 प्रतिशत तक बढ़ गई है. यह वृद्धि केवल संयोग नहीं है, बल्कि बदलती जीवनशैली, सामाजिक आदतों और आर्थिक निर्णयों का सम्मिलित परिणाम है.
फॉल शोल्डर सीजन पर्यटन के लिहाज से खास माना जाता है. गर्मियों और सर्दियों के बीच का यह समय अपेक्षाकृत शांत और कम भीड़भाड़ वाला होता है. परंपरागत रूप से इसे यात्रियों का ऑफ-सीजन माना जाता था, लेकिन अब स्थिति बदल रही है. जेनरेशन जेड ने इस समय को अपनी छुट्टियों के लिए चुना है क्योंकि यहां उन्हें न सिर्फ खर्च के लिहाज से सस्ता विकल्प मिलता है बल्कि लोकप्रिय डेस्टिनेशंस पर भीड़ कम रहती है. यही कारण है कि एयरलाइंस, ट्रैवल एजेंसियां और होटल उद्योग इस रुझान को गंभीरता से ले रहे हैं.
युवा यात्रियों में पासपोर्ट की मांग तेजी से बढ़ रही है. बहुत से देशों की ओर से ई-वीज़ा या ऑन-अराइवल वीज़ा जैसी सुविधाओं ने भी इस ट्रेंड को बल दिया है. भारत में ही हाल के महीनों में पासपोर्ट आवेदन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें सबसे अधिक हिस्सा 18 से 28 वर्ष आयु वर्ग का है. यह संकेत है कि नई पीढ़ी सीमाओं के परे जाकर खुद को अनुभवों से जोड़ना चाहती है.
जेनरेशन जेड की यात्रा की प्राथमिकताएँ भी पारंपरिक पर्यटकों से अलग हैं. वे केवल प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारकों या समुद्र तटों की सैर से संतुष्ट नहीं होते. उनकी रुचि अनुभव आधारित यात्राओं में है—जैसे स्थानीय खानपान को समझना, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेना, एडवेंचर खेलों का आनंद लेना या पर्यावरण-हितैषी टूरिज़्म का हिस्सा बनना. यही कारण है कि यूरोप, जापान, दक्षिण कोरिया और यहां तक कि लैटिन अमेरिका के देश भी उनके पसंदीदा डेस्टिनेशन की सूची में आ गए हैं.
सस्ते हवाई किराए और बजट फ्रेंडली होटलों ने भी इस प्रवृत्ति को पंख दिए हैं. लो-कॉस्ट एयरलाइंस कंपनियाँ अब न सिर्फ घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी किफायती उड़ानों की पेशकश कर रही हैं. छात्र वर्ग और नए प्रोफेशनल्स, जिनके पास समय लचीला है, वे इन विकल्पों का अधिक लाभ उठा रहे हैं. वहीं एयरबीएनबी और होमस्टे जैसे विकल्प भी उन्हें अपनी पसंद का वातावरण और बजट में ठहराव उपलब्ध करा रहे हैं.
इस यात्रा प्रवृत्ति का एक और अहम पहलू है डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का प्रभाव. सोशल मीडिया पर यात्रा व्लॉग्स, इंस्टाग्राम रील्स और टिकटॉक क्लिप्स ने युवाओं को नई जगहों के प्रति उत्सुक बना दिया है. अक्सर देखा जाता है कि कोई अनजाना स्थान केवल एक वायरल वीडियो के कारण अचानक लोकप्रिय हो जाता है. जेनरेशन जेड इन डिजिटल कहानियों को केवल देखती नहीं, बल्कि उन्हें अपने जीवन में अनुभव के रूप में बदलने की चाह रखती है. यही कारण है कि वे नई जगहों पर जाने और कम चर्चित डेस्टिनेशंस की खोज करने में भी पीछे नहीं रहते.
कोविड-19 महामारी के बाद यात्रा के तौर-तरीके भी बदले हैं. स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर सजग इस पीढ़ी ने यात्रा बीमा, हेल्थ कवर और वैक्सीन सर्टिफिकेट जैसे पहलुओं को भी अपनी योजना का हिस्सा बनाया है. परंपरागत पीढ़ियों की तुलना में जेनरेशन जेड अधिक संगठित और जानकारी-आधारित यात्रा करती है.
लोकप्रिय गंतव्य पेरिस और सस्ता लक्ज़री
यात्रा के शीर्ष स्थलों की सूची में पेरिस सबसे ऊपर है, जहाँ जेन जेड यात्रियों को अपेक्षाकृत कम कीमत में “लक्ज़री अनुभव” प्राप्त होते हैं. इसके अलावा, ओसाका, दुबई, मियामी, पोर्टो, कार्टाजेना, लंदन, म्यूनिख, मेक्सिको सिटी और सैंटियागो भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. वहीं, प्राकृतिक सुंदरता वाले स्थल—विशेषकर वर्मोंट—फॉल फॉलीज की वजह से “leaf-peeping” के लिए जेन जेड द्वारा पसंद किए जा रहे हैं.
जेन Z बना रहे ट्रैवल संभव
रिपोर्ट्स बताती हैं कि जेन Z पारंपरिक बचत के बजाय "soft saving" अपनाकर यात्रा और दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा दोनों को संतुलित कर रहे हैं. अधिकांश युवा जो $50,000 से कम सालाना कमाते हैं, वे साल में तीन यात्राएँ करने की योजना बनाते हैं. तकनीकी और डिजिटल वित्तीय योजना की मदद से वे स्मार्ट खर्च करते हैं और टू-डे-ट्रिप्स से लेकर वैश्विक मंजिलों तक की यात्रा संभव बनाते हैं—सभी कुछ कर्ज़ में गए बिना.
45 बिलियन डॉलर की उड़ान
भारत में अनुभव आधारित पर्यटन बाजार 2027 तक 45 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है—जिसकी मुख्य चालकों में से एक हैं Gen Z यात्री. युवा वर्ग सिंगल ट्रिप्स, सांस्कृतिक यात्राएं, और क्यूरेटेड अनुभवों को ज्यादा प्राथमिकता दे रहा है. इसके साथ ही, 18 से 45 वर्ष की आयु वर्ग के यात्रियों में यह पीढ़ी सबसे सक्रिय है और वे अपने निर्णय स्वतंत्रता के साथ लेते हैं.
ट्रेंडिंग प्राथमिकताएँ साहसिक स्वायत्त और डिजिटल फोकस्ड यात्रा
2025 की रिपोर्ट्स के अनुसार, 68% Gen Z यात्राएँ adventure-heavy होती हैं जैसे कि हाइकिंग, scuba diving या cultural immersion. साथ में, 84% डिजिटल यात्रियों ने यात्रा प्रेरणा के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है और 80% ने मोबाइल ऐप्स व डिजिटल वॉलेट का उपयोग किया है.
यात्रा की नई कहानी
आज का Gen Z दर्शाता है कि यात्रा सिर्फ दूर जाना नहीं, बल्कि सही समय, सही बजट और सही अनुभव को चुनना है. फॉल सीज़न ने उनकी योजना को सार्थक रूप दिया है. बजट से समझौता नहीं, पर सही मूल्य में विशेषता और स्थिरता—यही है उनकी शैली. इससे पर्यटन उद्योग को नए अवसर मिल रहे हैं, और हमें उन्हें राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर रणनीतिक रूप से अपनाना चाहिए.
विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में जेनरेशन जेड पर्यटन उद्योग की रीढ़ साबित होगी. उनकी संख्या और आर्थिक शक्ति दोनों बढ़ रही है. वे खर्च करने से नहीं हिचकते, बशर्ते उसमें उन्हें अनुभव और आत्मसंतोष मिले. यही कारण है कि बड़ी ट्रैवल कंपनियाँ अब अपने पैकेज और सेवाओं को इस नई पीढ़ी की ज़रूरतों के अनुसार ढाल रही हैं.
भारत जैसे देश के लिए यह रुझान खास मायने रखता है. एक ओर भारतीय युवा विदेश यात्राओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय पर्यटक भी भारत को अपने गंतव्य के रूप में देख रहे हैं. यह दोतरफा प्रवाह न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाएगा बल्कि आर्थिक स्तर पर भी नए अवसर खोलेगा.
शरदकालीन यात्रा सीजन का यह बढ़ता आकर्षण इस बात का प्रमाण है कि अब पर्यटन का स्वरूप केवल छुट्टी बिताने का साधन नहीं रहा, बल्कि आत्म-खोज, सामाजिक जुड़ाव और सांस्कृतिक संवाद का माध्यम बन गया है. जेनरेशन जेड इस परिवर्तन की अगुआई कर रही है और उनकी उड़ानें केवल आकाश में ही नहीं, बल्कि सामाजिक मान्यताओं और आर्थिक संरचनाओं में भी नए आयाम गढ़ रही हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

