श्रेयस अय्यर को आखिरकार न्याय मिला बीसीसीआई ने लिया महत्वपूर्ण और निर्णायक बड़ा फैसला

श्रेयस अय्यर को आखिरकार न्याय मिला बीसीसीआई ने लिया महत्वपूर्ण और निर्णायक बड़ा फैसला

प्रेषित समय :20:00:40 PM / Sat, Sep 6th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारतीय क्रिकेट में पिछले कुछ महीनों से चल रहे विवाद और चर्चाओं के बीच आखिरकार श्रेयस अय्यर को न्याय मिल गया है. बीसीसीआई ने एशिया कप 2025 से पहले जिस तरह उन्हें टीम से बाहर रखा था, उस निर्णय की व्यापक आलोचना हुई थी. क्रिकेट विशेषज्ञों से लेकर प्रशंसकों तक ने इसे एक बड़ी चूक करार दिया था और सोशल मीडिया पर लगातार यह मांग उठ रही थी कि अय्यर जैसे प्रतिभाशाली बल्लेबाज को नज़रअंदाज़ करना भारतीय टीम के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. अब बोर्ड ने अपनी गलती सुधारी है और अय्यर को टीम में शामिल कर एक बड़ा संदेश दिया है कि प्रदर्शन और निरंतरता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

श्रेयस अय्यर भारतीय क्रिकेट में लंबे समय से भरोसेमंद बल्लेबाज के रूप में देखे जाते हैं. नंबर चार पर उनकी बल्लेबाजी ने कई बार टीम को संकट से उबारा है. पिछले एक वर्ष में उन्होंने जिस तरह का प्रदर्शन किया, उसमें कई अहम पारियां शामिल रहीं. खासकर ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए मुकाबलों में उनकी ठोस तकनीक और संयम ने टीम को मजबूती दी. ऐसे में जब एशिया कप के लिए शुरुआती सूची में उनका नाम नहीं आया तो क्रिकेट जगत हैरान रह गया. आलोचकों ने इसे चयनकर्ताओं की जल्दबाज़ी और गैर-जिम्मेदाराना फैसला बताया.

सोशल मीडिया पर अय्यर के समर्थन में हैशटैग ट्रेंड करने लगे. पूर्व क्रिकेटरों ने भी खुलकर कहा कि ऐसे खिलाड़ी को बाहर करना न्यायोचित नहीं है. कई विशेषज्ञों ने याद दिलाया कि अय्यर ने हाल ही में घरेलू टूर्नामेंटों में भी शानदार प्रदर्शन किया था और उनकी फिटनेस पर भी कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता. यही दबाव अंततः बोर्ड पर पड़ा और बीसीसीआई ने समीक्षा करते हुए फैसला बदला.

बीसीसीआई के इस कदम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बोर्ड भी जनभावनाओं और खेल की ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता. क्रिकेट महज़ आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि यह भरोसे और लय का खेल भी है. श्रेयस अय्यर को टीम में वापस बुलाना केवल उनकी प्रतिभा की मान्यता नहीं है, बल्कि यह भारतीय क्रिकेट व्यवस्था की साख बचाने का प्रयास भी है.

इस पूरे प्रकरण ने चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं. क्या चयनकर्ताओं ने खिलाड़ियों के हालिया प्रदर्शन का ठीक से मूल्यांकन किया था, या फिर कुछ और कारणों से निर्णय प्रभावित हुआ था? यह सवाल अब भी बरकरार है. क्रिकेट प्रेमी और विशेषज्ञ दोनों ही चाहते हैं कि टीम चयन पारदर्शी हो और ऐसे फैसले दोबारा न लिए जाएं जो खिलाड़ियों के मनोबल और टीम की साख दोनों को नुकसान पहुंचाएं.

श्रेयस अय्यर की वापसी टीम इंडिया के लिए भी राहत का विषय है. एशिया कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में जहां पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसी टीमें चुनौती देने को तैयार हैं, वहां मध्यक्रम में अय्यर की मौजूदगी टीम को संतुलन प्रदान करेगी. कप्तान और कोच दोनों ही उनकी तकनीकी मजबूती और मैच फिनिश करने की क्षमता पर भरोसा जताते रहे हैं. यह वही भूमिका है जो लंबे समय से भारतीय टीम को स्थायित्व देने में मददगार रही है.

अय्यर खुद भी इस मौके के लिए लंबे समय से इंतज़ार कर रहे थे. बीसीसीआई के निर्णय के बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि वे हमेशा कड़ी मेहनत और धैर्य में विश्वास रखते हैं. उनका मानना है कि क्रिकेट में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन आत्मविश्वास और खेल के प्रति समर्पण ही खिलाड़ी की सबसे बड़ी पूंजी है. उन्होंने अपने समर्थकों और प्रशंसकों का धन्यवाद किया जिन्होंने कठिन समय में उनका साथ नहीं छोड़ा.

इस घटनाक्रम ने भारतीय क्रिकेट के भविष्य को भी एक संकेत दिया है. यह संदेश स्पष्ट है कि खिलाड़ियों की उपेक्षा करना बोर्ड के लिए आसान नहीं होगा. क्रिकेट अब केवल मैदान का खेल नहीं रहा, बल्कि यह जनता की भावनाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है. जब प्रशंसक और पूर्व क्रिकेटर मिलकर आवाज़ उठाते हैं तो उसका असर निर्णय प्रक्रिया पर पड़ता ही है.

टीम इंडिया अब एशिया कप की तैयारियों में जुट चुकी है. दुबई में हो रहे नेट सत्र में अय्यर की मौजूदगी ने टीम के माहौल को और भी उत्साहपूर्ण बना दिया है. खिलाड़ियों ने उन्हें गर्मजोशी से स्वागत किया और कोचिंग स्टाफ ने साफ कहा कि अय्यर की वापसी से मध्यक्रम को स्थिरता मिलेगी. जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पंड्या जैसे सितारे गेंदबाज़ी में धार ला रहे हैं, वहीं बल्लेबाज़ी में अय्यर जैसे अनुभवी खिलाड़ी की मौजूदगी टीम को मानसिक मजबूती प्रदान करेगी.

इस घटना ने यह भी दिखा दिया है कि भारतीय क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा कितनी तीव्र है. प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की लंबी कतार में कई बार कुछ नाम छूट भी जाते हैं. लेकिन बोर्ड के लिए ज़रूरी है कि वह चयन के दौरान केवल आंकड़ों से नहीं बल्कि टीम की वास्तविक ज़रूरत और संतुलन को ध्यान में रखे. श्रेयस अय्यर की वापसी इस बात का प्रमाण है कि देर से ही सही लेकिन सही निर्णय लिया गया.

भारतीय क्रिकेट इतिहास में यह पहला मौका नहीं है जब किसी खिलाड़ी को चयन से बाहर कर बाद में वापस बुलाया गया हो. इससे पहले भी अजय जडेजा, युवराज सिंह, गौतम गंभीर जैसे खिलाड़ियों के साथ ऐसे हालात बने थे. लेकिन फर्क यह है कि अब सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए खिलाड़ियों और प्रशंसकों की आवाज़ पहले से कहीं ज़्यादा ताकतवर हो चुकी है. यही वजह है कि बीसीसीआई को अपना निर्णय बदलना पड़ा.

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अय्यर इस मौके को किस तरह भुनाते हैं. अगर वे एशिया कप में अपने बल्ले से धमाल मचाते हैं तो यह न सिर्फ उनके करियर को नई उड़ान देगा बल्कि चयनकर्ताओं को भी यह याद दिलाएगा कि स्थिरता और भरोसा ही जीत की असली कुंजी है. अय्यर के सामने अब मौका है कि वे आलोचकों को जवाब दें और यह साबित करें कि उनकी वापसी सिर्फ बोर्ड का दबाव नहीं बल्कि खेल की ज़रूरत थी.

कुल मिलाकर, यह फैसला भारतीय क्रिकेट के लिए सकारात्मक है. इससे खिलाड़ियों को यह भरोसा मिला है कि उनके प्रदर्शन और जनता के समर्थन की आवाज़ कभी बेकार नहीं जाती. श्रेयस अय्यर की टीम में वापसी भारतीय क्रिकेट की न्यायप्रियता और जनता की शक्ति दोनों का प्रतीक है. अब निगाहें एशिया कप पर होंगी जहां अय्यर और पूरी टीम से शानदार प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-