सरकार ने किया अलर्ट: जानलेवा बन रहा ब्रेन ईटिंग अमीबा, 7 लोगों की मौत से हड़कंप

सरकार ने किया अलर्ट: जानलेवा बन रहा ब्रेन ईटिंग अमीबा, 7 लोगों की मौत से हड़कंप

प्रेषित समय :18:36:36 PM / Sat, Sep 6th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

कोच्चि. केरल में एक दुर्लभ और जानलेवा बीमारी ब्रेन ईटिंग अमीबा ने दहशत मचा दी है. इस घातक संक्रमण ने अब तक 7 लोगों की जान ले ली है, जिनमें बच्चे और युवा शामिल हैं. स्वास्थ्य विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी जारी की है.

ब्रेन ईटिंग अमीबा, जिसे वैज्ञानिक रूप से नेगलेरिया फाउलेरी कहा जाता है, यह एक कोशिकीय जीव है जो गर्म और दूषित मीठे पानी जैसे तालाब, झील, नदी, कुएं और कम क्लोरीन वाले स्विमिंग पूल में पनपता है. यह अमीबा नाक के रास्ते मानव शरीर में प्रवेश करता है और मस्तिष्क तक पहुंचकर प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस नामक घातक संक्रमण का कारण बनता है. यह बीमारी दिमाग के टिश्यू को नष्ट कर देती है, जिससे मृत्यु दर 95-98 प्रतिशत तक होती है.
पिछले कुछ महीनों में केरल में इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़े हैं. कोझिकोड, मलप्पुरम, कन्नूर और तिरुवनंतपुरम जैसे जिलों से मामले सामने आए हैं.

कोझिकोड: एक 9 वर्षीय बच्ची की मौत इस संक्रमण से हुई. उसे तेज बुखार के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.
तिरुवनंतपुरम: दो युवतियों में इस बीमारी की पुष्टि हुई, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया.
मलप्पुरम: एक 3 महीने के शिशु सहित दो लोगों की मौत हाल ही में हुई.
2024 में केरल में इस बीमारी के 36 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 9 लोगों की मौत हुई थी. इस साल अब तक 42 मामले सामने आ चुके हैं.

क्या है लक्षण?

इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर पानी के संपर्क में आने के 1 से 12 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं. शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं- तेज सिरदर्द, बुखार, उल्टी, गर्दन में अकडऩ. बाद के चरणों में मरीज को भ्रम, दौरे, मतिभ्रम और कोमा जैसे गंभीर लक्षण हो सकते हैं. यह बीमारी तेजी से बढ़ती है और ज्यादातर मामलों में 5 दिनों के भीतर मृत्यु हो जाती है.

कैसे करें बचाव?

ठहरे हुए पानी से बचें: तालाब, झील, नदी या कुएं में नहाने या तैरने से बचें.
नाक की सुरक्षा: स्विमिंग के दौरान नोज क्लिप या प्लग का उपयोग करें ताकि पानी नाक में न जाए.
पानी की सफाई: स्विमिंग पूल में नियमित क्लोरीनेशन सुनिश्चित करें और कुओं की सफाई स्वास्थ्यकर्मियों की देखरेख में करें.
उबला पानी: नल का पानी पीने से पहले उबाल लें.
तुरंत चिकित्सा सहायता: सिरदर्द, बुखार या उल्टी जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

सरकार ने बचाव के किये ये प्रयास

केरल सरकार ने पानी ही जीवन है अभियान शुरू किया है, जिसके तहत जलाशयों की सफाई और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने गंदे जलाशयों में नहाने से बचने और जल स्रोतों को साफ रखने की सलाह दी है. स्वास्थ्य विभाग ने विशेष रूप से बच्चों और युवाओं को सतर्क रहने को कहा है, क्योंकि वे इस बीमारी से अधिक प्रभावित हो रहे हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-