पेड, राजनीतिक अभियान: गडकरी ने सोशल मीडिया विरोध पर पलटवार करते हुए E20 पेट्रोल को बताया भविष्य की नीति

पेड, राजनीतिक अभियान: गडकरी ने सोशल मीडिया विरोध पर पलटवार करते हुए E20 पेट्रोल को बताया भविष्य की नीति

प्रेषित समय :22:05:30 PM / Fri, Sep 12th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. Society of Automobile Manufacturers (SIAM) की वार्षिक बैठक में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने E20 पेट्रोल को लेकर उठ रही आपत्तियों को “पेड, राजनीतिक अभियान” करार दिया. उन्होंने कहा कि ई20 पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिलाकर पारंपरिक पेट्रोल के साथ उपयोग की नीति पूरी तरह तकनीकी परीक्षणों पर आधारित है, और इंजन को होने वाले कथित नुकसान और माइलेज घटने की बातों में कोई ठोस साक्ष्य नहीं हैं.

गडकरी का कहना है कि ई20 नीति “आयात विकल्प, सस्ते, प्रदूषण-मुक्त, और स्वदेशी” है, और आलोचनाएँ उद्योगों व ऊर्जा लॉबियों द्वारा संचालित मानसिक अभियान का हिस्सा हैं, जिन्होंने ईंधन नीति को बाधित करने की कोशिश की है. E20 पेट्रोल की नीति भारत की ऊर्जा सुरक्षा, स्वदेशी किसानों की आय और पर्यावरण बचाव की दिशा में कदम है. हालांकि तकनीकी चुनौतियाँ और उपभोक्ता फीडबैक बढ़ता जा रहा है, लेकिन सरकार और उद्योग इस बदलाव की मजबूती के साथ पैरवी कर रहे हैं.

वास्तव में, इस विवाद की केंद्रीय धार यह है कि नीति लागू कैसे हो रही है — सिर्फ घोषणा ही नहीं, बल्कि व्यवहार में कितनी पारदर्शिता, तकनीकी तैयारी और उपभोक्ता हित की रक्षा हो रही है.

हालांकि सरकार और मंत्री गडकरी आलोचनाओं को खारिज कर चुके हैं, ऑटोमोबाइल उद्योग के कुछ भागों ने E20 के उपयोग से होती कुछ परेशानियों की बात स्वीकार की है:

महिंद्रा एंड महिंद्रा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि E20 ईंधन सुरक्षित है लेकिन पुराने एवं ई20-उन्मुख न हुए वाहनों में माइलेज और त्वरण (acceleration) में कमी हो सकती है. 

महिंद्रा की ओर से यह भी कहा गया है कि वे एक गाइडलाइन या सलाह जारी करेंगे ताकि वाहन मालिक जान सकें कि उनके वाहन में कौन-सी समस्याएँ हो सकती हैं, विशेषकर पुराने मॉडल्स में जो ई20 के अनुरूप नहीं बनाए गए हैं. 

SIAM ने कहा है कि अब तक किसी वाहन के इंजन फेल होने या बड़ी तकनीकी खराबी की विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं मिली है, जो सिद्ध करे कि E20 पूरी तरह से नुकसानदायक है. 

सरकार, पेट्रोलियम मंत्रालय और संबद्ध विभागों ने कई बिंदुओं पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है जिसमें शामिल हैं:

माइलेज और इंजन जीवन पर प्रभाव
मंत्रालय ने कहा है कि आधुनिक वाहनों में सिर्फ मामूली गिरावट हो सकती है, जो अधिकांश उपयोगकर्ताओं के लिए स्वीकार्य है. पुराने वाहनों में जहाँ भागों (जैसे रबर सील्स, गैस्केट्स, फ्यूल लाइन्स) ई20 के साथ अधिक उपयोग होने से थोड़ी अधिक रख-रखाव लागत हो सकती है. 

पर्यावरण और आयात खर्च में बचत
इथेनॉल मिश्रण से कार्बन उत्सर्जन कम होता है, ईंधन आयात पर निर्भरता घटती है, और किसानों को इथेनॉल के लिए फीडस्टॉक की मांग से आर्थिक लाभ होता है. पेट्रोलियम मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार E20 पॉलिसी से पिछले कुछ वर्षों में विदेशी मुद्रा में बड़ी बचत हुई है और CO₂ उत्सर्जन में संवेदनशील कमी देखी गई है. 

न्यायालय की स्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें यह मांग थी कि ई20 पेट्रोल के विकल्प के तौर पर इथेनॉल-रहित पेट्रोल (E0) हर जगह उपलब्ध हो. अदालत ने सरकार के तर्कों को स्वीकार करते हुए कहा कि नीति स्पष्ट है और सार्वजनिक हित में है. 

आगे की योजना और समय-सीमा
सरकार ने रोडमैप निर्धारित किया है कि E20 प्रति 31 अक्टूबर 2026 तक मानक नीति के अनुरूप जारी रहेगा, और इसके बाद आगे क्या बढ़ेगा, इसपर औद्योगिक हितधारकों, तकनीकी समीक्षाओं और इंटर-मंत्रालयी समिति की सिफारिशों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा. 

कुछ वाहन मालिक और उपयोगकर्ता वे कामों से प्रभावित दिख रहे हैं:

माइलेज कम होने की शिकायतें — कुछ यात्रियों ने अनुभव किया है कि E20 उपयोग करने पर प्रत्यक्ष माइलेज में 2-5 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है, विशेषकर पुराने या ई20 के अनुरूप न किए गए वाहनों में.

त्वरण और इंजन प्रतिक्रिया में बदलाव — त्वरण (acceleration) में थोड़ा मंदापन और इंजन की शुरुआत/प्रतिक्रिया में मामूली देरी महसूस की जा रही है. 

रखरखाव लागत एवं छोटे पार्ट्स की जीवन अवधि — रबर तथा प्लास्टिक के घटकों (rubber seals, fuel lines, गास्केट्स आदि) पर प्रभाव की आशंका जताई गई है. 

सरकार द्वारा जारी PIB (Press Information Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार, 2014-15 से 2024-25 तक सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम ने लगभग ₹1,44,087 करोड़ की विदेशी मुद्रा बचत की है. 

इसी अवधि में अनुमान है कि लगभग 245 लाख मीट्रिक टन बेस तेल एवं पेट्रोल आयात कम हुआ है, और CO₂ उत्सर्जन में लगभग 736 लाख मीट्रिक टन की कमी आई है, जो लगभग 30 करोड़ पेड़ों लगाने के बराबर समझा जाता है. 

सरकार अनुसार इस वर्ष ही किसानों को ई20 blending से लगभग ₹40,000 करोड़ की देय राशि होगी और विदेशी मुद्रा बचत ₹43,000 करोड़ के आस-पास रहने की उम्मीद है. 

सरकार-उद्योग-उपभोक्ता के बीच टकराव
E20 पेट्रोल की नीति को लेकर ताज़ा स्थिति इस तरह उभर रही है कि:

सरकार और मंत्री गडकरी दृढ़ता से नीति के समर्थन में हैं और इसे स्वदेशी, पर्यावरण-अनुकूल व आर्थिक दृष्टि से लाभकारी बताते हैं.

उद्योग के बड़े खिलाड़ियों ने स्वीकार किया है कि पुराने मॉडल्स पर प्रभाव हो सकता है, लेकिन उन्होंने इसे खतरा नहीं बताया, बल्कि “प्रोपर उपयोग और रख-रखाव” पर जोर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने नीति को वैधानिक और सार्वजनिक हित में करार दिया है, और किसी भी तरह की तकनीकी या सुरक्षा समस्या की गंभीर रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है.

आम उपयोगकर्ताओं में चिंता बनी हुई है, खासकर उन लोगों की जिनके वाहन पुराने हैं, या जिन्हें ईंधन प्रणाली के किसी पार्ट की प्रतिस्थापना की ज़रूरत पड़ सकती है.

आगे निम्नलिखित कदम अपेक्षित हैं:

ऑटोमोबाइल कंपनियों द्वारा विस्तृत ग्राहक एडवाइजरी जारी करना, विशेष रूप से पुराने मॉडल्स के लिए, कि किन हिस्सों की देख-रेख ज़्यादा जरूरी होगी.

नियमित निगरानी और अध्ययन कि E20 उपयोग से इंजन, माइलेज और रख-रखाव पर लंबे समय में क्या प्रभाव पड़ रहा है.

उपभोक्ता जागरूकता अभियान, ईंधन पंपों पर स्पष्ट लेबलिंग और विज्ञापन में पारदर्शिता कि ई20 किस वाहन मॉडल के लिए सुरक्षित है.

तकनीकी सुधार और मानक अद्यतन — इंजन डिज़ाइन, गास्केट्स और रबर भागों में आवश्यक सुधार करना ताकि भविष्य में समस्याएँ कम हों.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-