भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले एशिया कप 2025 के मुकाबले को लेकर पूरे देश में बहस तेज़ हो गई है. सोशल मीडिया पर #BoycottINDvPAK और #BoycottAsiaCup जैसे हैशटैग जमकर ट्रेंड कर रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग कह रहे हैं कि इस मैच का आयोजन हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश की भावनाओं से खिलवाड़ है. जनता का गुस्सा केवल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड और प्रसारण संस्थाओं पर भी फूट रहा है, जिन पर आरोप है कि वे दर्शकों की संवेदनाओं की अनदेखी कर केवल व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ा रहे हैं.
पिछले सप्ताह पहलगाम में हुए आतंकी हमले में कई निर्दोष लोगों की जान गई थी. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया और स्वाभाविक तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश उभरा. ऐसे माहौल में भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच कराने का निर्णय लोगों को नागवार गुजर रहा है. ट्विटर और फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम और यूट्यूब तक हर जगह इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं. लोगों का कहना है कि जब देश शोक और गुस्से में है, तब क्रिकेट जैसे आयोजन से रिश्तों को सामान्य बताने की कोशिश करना सही संदेश नहीं देता.
दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने पोस्ट किया कि “पहलगाम में जो हुआ, उसके बाद हम सामान्य खेल प्रतियोगिता नहीं देख सकते. यह मैच नहीं बल्कि शहीदों के बलिदान का अपमान है.” वहीं एक पूर्व सैनिक ने लिखा कि “जब सीमा पर खून बह रहा है तब मैदान पर खेल का दिखावा करने की क्या ज़रूरत है? सरकार को दखल देकर इस मैच को रोकना चाहिए.”
विरोध की लहर इतनी प्रबल है कि कई दिनों से ट्विटर पर #BoycottINDvPAK टॉप ट्रेंड में बना हुआ है. लाखों ट्वीट्स और शेयरों के साथ यह ट्रेंड अब अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में भी आ चुका है. कुछ विदेशी पत्रकारों ने लिखा कि भारत में क्रिकेट और राजनीति के बीच भावनाओं का टकराव फिर से दिखने लगा है.
हालाँकि इस बहस में कुछ आवाजें ऐसी भी हैं जो कह रही हैं कि खेल और राजनीति को अलग रखना चाहिए. मुंबई के एक क्रिकेट प्रेमी ने ट्वीट किया कि “क्रिकेट के मैदान पर हार या जीत से आतंकवाद पर कोई असर नहीं पड़ेगा. अगर हम खेल से दूरी बना लेंगे तो पाकिस्तान को और ज़्यादा बढ़ावा मिलेगा. खेल कूटनीति का हिस्सा है और इसे रद्द करना हल नहीं है.” इस तरह सोशल मीडिया पर दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन बहुमत फिलहाल बहिष्कार की मांग कर रहा है.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई पर भी सवाल उठ रहे हैं. आलोचकों का आरोप है कि बोर्ड जानता है कि इस मैच से भारी भरकम विज्ञापन और प्रसारण राजस्व मिलेगा, इसलिए वह जनता की भावनाओं की अनदेखी कर रहा है. प्रसारकों और स्पॉन्सर्स पर भी उंगलियाँ उठ रही हैं कि वे महज मुनाफे के लिए देश के गुस्से को दरकिनार कर रहे हैं.
कई लोगों ने बीसीसीआई अध्यक्ष को टैग कर पूछा है कि क्या पैसा ही सब कुछ है और क्या शहीदों के परिवारों की पीड़ा का कोई मूल्य नहीं. सोशल मीडिया पर ऐसे सैकड़ों वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें लोग यह कहते दिख रहे हैं कि अगर मैच हुआ तो वे टीवी पर इसे नहीं देखेंगे और न ही संबंधित कंपनियों के उत्पाद खरीदेंगे. कई संगठनों ने भी सामूहिक बहिष्कार की चेतावनी दी है.
दूसरी ओर, टीम इंडिया के खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ पर भी लोगों की निगाहें हैं. टीम के असिस्टेंट कोच रायन टेन डोशाटे ने कहा है कि खिलाड़ी जनता की भावनाओं से अच्छी तरह परिचित हैं लेकिन मैदान पर वे अपने पेशेवर रवैये को बनाए रखेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि गौतम गंभीर सहित टीम प्रबंधन ने खिलाड़ियों को स्पष्ट संदेश दिया है कि भावनाओं को खेल से अलग रखना ज़रूरी है. इस बयान ने विवाद को और हवा दी क्योंकि विरोध करने वाले इसे खिलाड़ियों की संवेदनहीनता बता रहे हैं.
युवाओं के बीच भी गुस्सा साफ झलक रहा है. कॉलेज और यूनिवर्सिटी कैंपसों में छात्र समूह पोस्टर लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. कई जगहों पर क्रिकेट स्टेडियमों के बाहर भी नारेबाज़ी देखी गई है. जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों ने तो साफ कहा है कि जब तक आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाए जाते, तब तक किसी भी तरह के खेल संपर्क का कोई मतलब नहीं.
यह विरोध केवल ऑनलाइन तक सीमित नहीं रहा. कई शहरों में सड़क पर उतरकर प्रदर्शन हुए और लोगों ने प्रतीकात्मक रूप से टीवी तोड़कर बहिष्कार की घोषणा की. इसने यह साफ कर दिया कि यह सिर्फ सोशल मीडिया का आक्रोश नहीं बल्कि ज़मीनी स्तर तक पहुंचा हुआ असंतोष है.
सोशल मीडिया विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह के ट्रेंड भारत में सिर्फ भावनात्मक लहर का परिणाम नहीं बल्कि डिजिटल युग में जनमत का शक्तिशाली प्रदर्शन भी है. पहले जहां विरोध प्रदर्शन सड़कों तक सीमित रहते थे, अब ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर वे अंतरराष्ट्रीय असर पैदा करते हैं. यही वजह है कि बीसीसीआई और सरकार दोनों पर दबाव बढ़ रहा है कि वे जनता की भावनाओं पर विचार करें.
हालांकि अब तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे पर मतभेद दिखने लगे हैं. कुछ नेताओं ने साफ कहा है कि ऐसे समय में पाकिस्तान से किसी भी तरह का खेल संपर्क बंद होना चाहिए. वहीं कुछ का मानना है कि क्रिकेट को रद्द करना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की खेल कूटनीति के लिए सही नहीं होगा.
कुल मिलाकर, एशिया कप 2025 का भारत-पाकिस्तान मुकाबला अब सिर्फ खेल तक सीमित नहीं रहा. यह राष्ट्रीय भावनाओं, शहीदों के सम्मान और राजनीतिक-सामाजिक विमर्श का मुद्दा बन चुका है. सोशल मीडिया पर उठे #BoycottINDvPAK और #BoycottAsiaCup जैसे नारे आने वाले दिनों में और तेज़ हो सकते हैं. अब देखना होगा कि बीसीसीआई और सरकार किस तरह से इस बढ़ते दबाव का सामना करते हैं और क्या सचमुच यह मैच होता है या फिर जनता की आवाज़ के आगे झुककर कोई बड़ा फैसला लिया जाता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

