जाकिर नाइक की तबीयत बिगड़ी, मलेशिया में भर्ती अफवाहों और राजनीति के घेरे में एक विवादित नाम

जाकिर नाइक की तबीयत बिगड़ी, मलेशिया में भर्ती अफवाहों और राजनीति के घेरे में एक विवादित नाम

प्रेषित समय :21:57:24 PM / Sat, Sep 13th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

कुआलालंपुर और नई दिल्ली के बीच शनिवार को अचानक हलचल बढ़ गई जब यह खबर आई कि इस्लामी प्रचारक डॉ. ज़ाकिर नाइक को मलेशिया के सनवे मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया है. यह वही नाम है जो भारत में आतंकवाद के वित्तपोषण और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने के आरोपों में वांछित है, और जिसने 2016 से मलेशिया को स्थायी ठिकाना बना लिया है. अस्पताल सूत्रों ने उनकी स्थिति को “गंभीर” बताया, लेकिन किसी ने भी बीमारी की प्रकृति को साझा करने से साफ़ इनकार कर दिया.

मामले के सार्वजनिक होते ही सोशल मीडिया—ख़ासकर X (ट्विटर) और व्हाट्सऐप—पर यह अफ़वाह तेजी से फैली कि 59 वर्षीय नाइक एड्स जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. हालांकि उनके वकील अकबर्दीन अब्दुल कादिर ने इसे “पूरी तरह से झूठ और बेबुनियाद” बताते हुए सख़्त खंडन किया. उन्होंने कहा कि “नाइक की सेहत को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है, और यह दुष्प्रचार फैलाने वालों के खिलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है.”

चिकित्सा गोपनीयता और राजनीतिक पृष्ठभूमि
मलेशिया का सनवे मेडिकल सेंटर देश का सबसे आधुनिक और उच्च स्तरीय अस्पताल माना जाता है. यहां कार्डियोलॉजी, संक्रामक रोग और मेटाबॉलिक केयर में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुविधाएँ मौजूद हैं. वीआईपी मरीजों के लिए अलग से आइसोलेशन विंग्स बनाए गए हैं और इसी कारण ज़ाकिर नाइक की भर्ती को लेकर गोपनीयता और सख़्ती और भी बढ़ गई है.

इस गोपनीयता का राजनीतिक आयाम भी है. नाइक को 2016 से मलेशिया में स्थायी निवासी का दर्जा प्राप्त है और भारत की बार-बार की गई प्रत्यर्पण मांगों के बावजूद कुआलालंपुर सरकार उन्हें सौंपने से बचती रही है. ऐसे में यदि उनकी बीमारी या गंभीर स्थिति की आधिकारिक पुष्टि होती है तो यह भारत और मलेशिया दोनों में राजनीतिक बहस को फिर भड़का सकती है.

भारत में कानूनी उलझनें
भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने नाइक पर 193 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है. इसके अलावा, उन पर दिए गए कई भाषणों के जरिए युवाओं को कट्टरपंथ की ओर उकसाने और कुछ मामलों में हिंसक गतिविधियों से जोड़ने का आरोप है.

भारत सरकार ने उनके पीस टीवी नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाया, यह कहते हुए कि इसके जरिए आतंकवादी मानसिकता को वैचारिक खाद-पानी दिया जा रहा था. नाइक इन आरोपों को सिरे से खारिज करते रहे हैं और खुद को “धर्म का सच्चा प्रचारक” बताते रहे हैं.

मलेशिया में विवाद और बैकलैश
मलेशिया में भी नाइक विवादों से अछूते नहीं रहे. 2019 में उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान स्थानीय चीनी और भारतीय समुदायों को “मेहमान” कह दिया था. इस टिप्पणी ने मलेशियाई समाज को हिला दिया और उनके खिलाफ़ 115 पुलिस रिपोर्टें दर्ज हुईं. इसके बाद मलेशिया के 13 में से 7 राज्यों ने उन पर सार्वजनिक भाषण देने पर प्रतिबंध लगा दिया.

राजनीतिक दलों के बीच भी नाइक का मुद्दा संवेदनशील बना रहा. सरकार में शामिल कुछ समूह उन्हें “इस्लामी आवाज़” कहकर समर्थन देते रहे, जबकि विरोधी दलों ने उन्हें “राष्ट्र की एकता के लिए ख़तरा” करार दिया.

इंटरपोल में भारत को झटका
भारत ने 2021 में नाइक के खिलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की मांग की थी, लेकिन इंटरपोल ने यह कहते हुए इसे ठुकरा दिया कि सबूत “अपर्याप्त” हैं. यह झटका भारत की प्रत्यर्पण कोशिशों को कमजोर करने वाला साबित हुआ.

इसके बाद से भारत ने मलेशिया पर राजनयिक दबाव बनाए रखा है, लेकिन कुआलालंपुर की सरकार यह कहकर पीछे हटती रही है कि नाइक को उचित क़ानूनी प्रक्रिया का सामना करना चाहिए और जब तक अंतरराष्ट्रीय निकाय से ठोस आधार नहीं मिलता, उन्हें सौंपना संभव नहीं.

सोशल मीडिया अफ़वाहें और रणनीतिक चुप्पी
नाइक के अस्पताल में भर्ती होते ही अफ़वाहों का सैलाब उमड़ पड़ा. खासतौर पर उनकी कथित बीमारी एड्स से जोड़कर कई पोस्ट्स वायरल हुए. वकील ने इसे पूरी तरह से खारिज किया, लेकिन मलेशिया सरकार और अस्पताल प्रशासन ने आधिकारिक बयान देने से परहेज़ किया.

इस रणनीतिक चुप्पी ने अफ़वाहों को और हवा दी. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि स्वास्थ्य अपडेट दिया जाता तो अटकलों का अंत हो सकता था, लेकिन इससे मलेशिया सरकार को भारत की ओर से फिर कड़ी प्रतिक्रिया झेलनी पड़ सकती थी.

भारत-मलेशिया रिश्तों पर असर
भारत लंबे समय से नाइक को “आतंकवाद के वैचारिक प्रेरक” के रूप में पेश करता रहा है. कई भारतीय राजनेता खुले तौर पर मलेशिया पर दबाव डालने की बात कह चुके हैं.

अगर नाइक की बीमारी गंभीर साबित होती है और वे लंबे समय तक अस्पताल में रहते हैं, तो भारत इस मुद्दे को नए सिरे से उठा सकता है. दूसरी ओर, मलेशिया की सरकार के सामने घरेलू राजनीतिक दबाव भी बढ़ेगा, क्योंकि वहां की विपक्षी पार्टियाँ पहले ही नाइक को “बाहरी बोझ” मानती रही हैं.

क्या होगा आगे?
फिलहाल स्थिति धुंधली है. नाइक के परिवार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. न ही मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने उनकी बीमारी की प्रकृति या गंभीरता पर कोई जानकारी साझा की है.

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि नाइक की सेहत बिगड़ने की स्थिति में भारत के लिए उनकी प्रत्यर्पण कोशिशें और कठिन हो सकती हैं, क्योंकि मानवीय आधार पर मलेशिया सरकार और भी सतर्क रुख अपना सकती है. वहीं, यदि उनकी बीमारी से जुड़ी अफ़वाहें सच साबित होती हैं, तो यह नाइक की सार्वजनिक छवि को गहरा धक्का पहुंचाएगा और उनके समर्थकों के लिए भी असहज स्थिति बनेगी.

ज़ाकिर नाइक का अस्पताल में भर्ती होना केवल स्वास्थ्य संबंधी खबर नहीं है. यह मामला मलेशिया की राजनीतिक संवेदनशीलता, भारत की सुरक्षा चिंताओं और अंतरराष्ट्रीय कानून की जटिलताओं का संगम है.

उनकी वास्तविक बीमारी चाहे जो भी हो, फिलहाल अफ़वाहों और आधिकारिक चुप्पी के बीच यह साफ है कि ज़ाकिर नाइक का नाम विवादों से पीछा नहीं छोड़ने वाला. आने वाले दिनों में उनके स्वास्थ्य अपडेट और भारत-मलेशिया कूटनीति की दिशा ही तय करेंगे कि यह कहानी किस ओर बढ़ेगी—मानवीय सहानुभूति की तरफ़ या राजनीतिक टकराव की ओर.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-