भारत पाकिस्तान एशिया कप मैच पर सोशल मीडिया में उठा बहिष्कार का तूफान #BoycottINDvPAK ट्रेंड

भारत पाकिस्तान एशिया कप मैच पर सोशल मीडिया में उठा बहिष्कार का तूफान #BoycottINDvPAK ट्रेंड

प्रेषित समय :21:19:12 PM / Sun, Sep 14th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. एशिया कप का भारत बनाम पाकिस्तान मुकाबला शुरू होने से पहले ही विवादों में घिर गया है. सोशल मीडिया पर #BoycottINDvPAK जमकर ट्रेंड कर रहा है और हजारों लोग इस मैच का विरोध कर रहे हैं. वजह है हाल ही में पहलगाम में हुआ आतंकी हमला, जिसमें हमारे जवानों ने अपनी शहादत दी. लोगों का कहना है कि ऐसे माहौल में भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट खेलना संवेदनहीनता है और यह शहीदों के बलिदान का अपमान है. यही नहीं, विपक्ष के कुछ दल भी इस मैच को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और सरकार पर दबाव डाल रहे हैं कि देशहित और जनभावनाओं को देखते हुए इस मुकाबले को रोक दिया जाए.

सोशल मीडिया पर जब से यह हैशटैग शुरू हुआ है, तब से लगातार लाखों ट्वीट्स और पोस्ट सामने आ रहे हैं. ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लोग लिख रहे हैं कि एक तरफ हमारे सैनिक आतंकवाद से लड़ते हुए शहीद हो रहे हैं और दूसरी तरफ हम पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलकर क्या संदेश देना चाहते हैं. कई लोगों का तर्क है कि पाकिस्तान को लगातार दुनिया भर में अलग-थलग करने की जरूरत है और ऐसे में क्रिकेट जैसे बड़े मंच पर उसके साथ मैत्रीपूर्ण संबंध दिखाना सही नहीं है. विरोध करने वालों का कहना है कि यह मैच खेलना केवल खेल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कूटनीतिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से भी बेहद गलत संदेश देगा.

पहलगाम हमले के बाद से ही देशभर में गुस्से का माहौल है. शहीद हुए जवानों के परिवारों की तस्वीरें और उनकी कहानियां सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. लोग कह रहे हैं कि जब हमारे देश के बेटे अपनी जान गंवा रहे हैं तो उस देश के साथ क्रिकेट खेलना, जहां से आतंक की जड़ें पोषित होती हैं, यह बेहद दुखद और शर्मनाक है. कई यूजर्स ने यहां तक लिखा कि अगर यह मैच होता है तो वह इसे बिल्कुल नहीं देखेंगे और टीवी बंद रखेंगे. यही कारण है कि #BoycottINDvPAK इतनी तेजी से ट्रेंड करने लगा और अब यह पूरे देश की चर्चा का बड़ा मुद्दा बन गया है.

राजनीतिक हलकों में भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है. विपक्षी दलों के कुछ नेताओं ने खुलकर कहा है कि सरकार को इस मैच की अनुमति नहीं देनी चाहिए. उनका कहना है कि खेल और राजनीति को अलग रखना एक बात है, लेकिन जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और शहीदों की भावनाओं से जुड़ा हो तो हमें सख्त कदम उठाने चाहिए. विपक्ष का आरोप है कि सरकार एक तरफ शहीदों को श्रद्धांजलि देती है और दूसरी तरफ पाकिस्तान से क्रिकेट खेलकर दोहरा रवैया अपनाती है. उन्होंने मांग की है कि भारत को पाकिस्तान से हर स्तर पर संबंध तोड़ने चाहिए, चाहे वह खेल हो या सांस्कृतिक कार्यक्रम.

दूसरी तरफ, इस पूरे विवाद के बीच कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि खेल को राजनीति से अलग रखना चाहिए. उनका तर्क है कि क्रिकेट एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट का हिस्सा है और इसमें भारत की भागीदारी पूरी तरह से टूर्नामेंट के नियमों के तहत है. लेकिन सोशल मीडिया पर इन आवाजों की गूंज काफी कम है. ज़्यादातर जनता इस समय बेहद आक्रोशित दिखाई दे रही है और उनका गुस्सा सीधे-सीधे पाकिस्तान के खिलाफ है. यही कारण है कि बहिष्कार की आवाज लगातार तेज़ होती जा रही है.

पाकिस्तान के खिलाफ मैच को लेकर यह पहली बार नहीं है जब बहिष्कार की मांग उठी हो. पहले भी कई बार आतंकवादी घटनाओं के बाद इस तरह की स्थिति बनी है. 2019 पुलवामा हमले के बाद भी भारत में यह मांग उठी थी कि पाकिस्तान के खिलाफ क्रिकेट बिल्कुल नहीं खेला जाना चाहिए. हालांकि तब भी आईसीसी टूर्नामेंट के नियमों का हवाला देकर भारत ने मजबूरी जताई थी. इस बार भी सरकार और क्रिकेट बोर्ड के सामने यही दुविधा है. एक तरफ जनता की भावनाएं हैं और दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के नियम और दायित्व.

यहां सबसे अहम सवाल यह उठ रहा है कि क्या खेल को सचमुच पूरी तरह राजनीति से अलग रखा जा सकता है. जब किसी देश के खिलाफ आतंकवाद का इतना बड़ा गुस्सा हो, तब वहां के साथ खेल संबंध बनाए रखना क्या सही कदम है. विरोध करने वालों का कहना है कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना उसकी वैश्विक छवि को मजबूत करता है और उसे एक सामान्य देश की तरह पेश करता है, जबकि सच्चाई यह है कि वह आतंक का गढ़ है. ऐसे में भारत को कोई भी कदम उठाने से पहले यह सोचना होगा कि दुनिया को हम क्या संदेश देना चाहते हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि क्रिकेट बोर्ड और सरकार इस विवाद पर नजर बनाए हुए हैं. अभी तक आधिकारिक तौर पर मैच रद्द करने की कोई घोषणा नहीं हुई है, लेकिन लगातार बढ़ते दबाव और सोशल मीडिया की तीव्र प्रतिक्रिया ने अधिकारियों को असहज स्थिति में डाल दिया है. खासकर तब जब विपक्ष भी इसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना रहा है. अगर सरकार ने इस बहिष्कार की मांग को अनदेखा किया तो उसे जनता के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है.

इस पूरे विवाद का असर केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह आने वाले चुनावों और राजनीतिक समीकरणों पर भी दिखाई दे सकता है. विपक्ष इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाएगा और यह कहने से नहीं चूकेगा कि सरकार जनता की भावनाओं की अनदेखी कर रही है. वहीं सरकार के लिए यह चुनौती है कि वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिबद्धताओं को निभाते हुए जनता के आक्रोश को कैसे शांत करे.

फिलहाल इतना तय है कि एशिया कप के भारत-पाकिस्तान मैच से पहले ही माहौल बेहद गर्म हो चुका है. #BoycottINDvPAK का ट्रेंड केवल सोशल मीडिया की हलचल नहीं है, बल्कि यह लोगों के गहरे आक्रोश और देशभक्ति की भावना का प्रतीक बन चुका है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और क्रिकेट बोर्ड इस बहिष्कार की मांग पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या सचमुच यह मैच रद्द होता है या फिर तमाम विरोधों के बावजूद मैदान पर खेला जाता है. लेकिन एक बात स्पष्ट है कि इस समय देश की जनता की नज़रें सिर्फ इस मुद्दे पर टिकी हुई हैं और वह चाहती है कि देश की गरिमा और शहीदों की शहादत के सम्मान में पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का खेल या सहयोग बिल्कुल न किया जाए.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-