नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी ने गुजरात के वन्य जीव और पुनर्वास केंद्र वंतारा को बड़ी राहत देते हुए उन्हें क्लीन चिट दी है. अधिकारियों ने वंतारा में नियमों के पालन और नियामक उपायों पर संतोष जताया.
एसआईटी ने शुक्रवार को ही अपनी रिपोर्ट अदालत में जमा कर दी थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार यानी आज इस रिपोर्ट का अवलोकन किया. जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पीबी वार्ले ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड्स में शामिल करते हुए बताया कि जांच टीम ने वंतारा को क्लीन चिट दे दी है.
न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति पी.बी. वराले की पीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि प्राधिकारियों ने वंतारा में अनुपालन और नियामक उपायों के मुद्दे पर संतुष्टि व्यक्त की है. दरअसल, वनतारा के मामलों की जांच कर रही एसआईटी ने शुक्रवार को एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी. वहीं एसआईटी के वकील द्वारा रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद इसे रिकॉर्ड में ले लिया. पीठ ने कहा, इस अदालत द्वारा गठित एसआईटी ने एक सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट और एक पेन ड्राइव जमा कर दी है, जिसमें रिपोर्ट और उसके अनुलग्नक भी शामिल हैं. इसे स्वीकार किया जाता है और इसे रिकॉर्ड में शामिल करने का निर्देश दिया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया और सोशल मीडिया में आई खबरों तथा गैर सरकारी संगठनों और वन्यजीव संगठनों की विभिन्न शिकायतों के आधार पर वनतारा के खिलाफ अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में चार सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था. व्यापक आरोपों को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निजी प्रतिवादी या किसी अन्य पक्ष से जवाब आमंत्रित करने से कोई खास फायदा नहीं होगा. कोर्ट ने कहा था कि सामान्यत: ऐसे निराधार आरोपों पर आधारित याचिका कानूनी तौर पर विचार के योग्य नहीं होती, बल्कि उसे समय रहते खारिज कर दिया जाना चाहिए. आदेश में कहा गया है कि यह न तो याचिकाओं में लगाए गए आरोपों पर कोई राय व्यक्त करता है और न ही इसे किसी भी वैधानिक प्राधिकरण या वनतारा की कार्यप्रणाली पर कोई संदेह पैदा करने वाला माना जा सकता है.
जांच का दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को भारत और विदेश से पशुओं, विशेष रूप से हाथियों को लाने, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम और उसके तहत चिडिय़ाघरों के लिए बनाए गए नियमों के अनुपालन, वनस्पतियों और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार पर अंतरराष्ट्रीय समझौता, आयात-निर्यात कानूनों और जीवित पशुओं के आयात और निर्यात से संबंधित अन्य वैधानिक आवश्यकताओं की जांच करने और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. एसआईटी को पशुपालन, पशु चिकित्सा देखभाल, पशु कल्याण के मानकों, मृत्यु दर और उसके कारणों, जलवायु परिस्थितियों के संबंध में शिकायतों और औद्योगिक क्षेत्र के निकट स्थान से संबंधित आरोपों, वैनिटी या निजी संग्रह के निर्माण, प्रजनन, संरक्षण कार्यक्रमों और जैव विविधता संसाधनों के उपयोग के संबंध में शिकायतों के अनुपालन की जांच करने का आदेश दिया गया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-



