जबलपुर. मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की एक डिवीजन बेंच ने सोमवार को इंडिगो एयरलाइन की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड को स्पष्ट निर्देश दिया कि वह राज्य और केंद्र सरकार को सुझाव दे कि मध्यप्रदेश के विभिन्न हवाई अड्डोंए विशेष रूप से जबलपुर डुमना एयरपोर्ट से उड़ानों की संख्या कैसे बढ़ाई जा सकती है. अदालत ने कंपनी को इस कार्य के लिए 15 दिन का समय दिया है और अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को तय की है. अदालत ने साफ शब्दों में टिप्पणी की कि यदि एयरलाइंस यात्रियों की सुविधा और क्षेत्रीय विकास की उपेक्षा करती रहीं तो उन्हें व्यावसायिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.
यह मामला वर्ष 2024 में एनजीओ नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच द्वारा दायर जनहित याचिका से जुड़ा है. बाद में कानून के छात्र पार्थ श्रीवास्तव भी इसमें इंटरवेनर के रूप में जुड़े. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य सांघी और अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा. उन्होंने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि डुमना एयरपोर्ट की क्षमता बढ़ाए जाने के बावजूद यहां उड़ानों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत कम है. जबकि भोपाल का राजा भोज एयरपोर्टए जो आकार में डुमना से छोटा हैए प्रतिदिन लगभग 40 उड़ानें संचालित करता हैए वहीं डुमना एयरपोर्ट से महज 9 उड़ानें ही उपलब्ध हैं.
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उड़ानों की इस कमी का असर सीधे तौर पर जबलपुर और आसपास के क्षेत्रों के आर्थिकए शैक्षणिक और स्वास्थ्य ढांचे पर पड़ रहा है. कभी डुमना एयरपोर्ट से मुंबईए पुणेए कोलकाता और बेंगलुरु के लिए सीधी उड़ानें संचालित होती थींए लेकिन धीरे.धीरे कई रूट बंद हो गए. अब भोपाल और इंदौर के लिए भी सीधी उड़ानें नहीं बची हैं. इस स्थिति से न केवल व्यापारियोंए छात्रों और पर्यटकों को नुकसान हो रहा हैए बल्कि गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों और उनके परिजनों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है. अदालत में सुनवाई के दौरान इंडिगो की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा पेश हुए और उन्होंने राज्य के विभिन्न हवाई अड्डों पर संचालित उड़ानोंए यात्रियों की संख्या और हॉल्ट की जानकारी अदालत को दी. उन्होंने एयरलाइन की तरफ से तर्क दिया कि यात्रियों की मांग और व्यावसायिक संतुलन के आधार पर उड़ानों का संचालन किया जाता है.
इस पर न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि केवल व्यावसायिक कारणों का हवाला देकर एयरलाइन अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती. अदालत ने सुझाव दिया कि एयरलाइंस को उड़ानों के समयए रूट और अन्य व्यवस्थाओं में बदलाव जैसे विकल्पों पर विचार करना चाहिएए जिससे अधिक से अधिक यात्रियों को आकर्षित किया जा सके. वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य सांघी ने अदालत को याद दिलाया कि वर्ष 2011 में डुमना एयरपोर्ट के विस्तार और नाइट लैंडिंग सुविधा की घोषणा की गई थी. चार साल पहले इसका विस्तार भी पूरा हुआ लेकिन एयरपोर्ट का दर्जा ग्रीनफील्ड से ब्राउनफील्ड हो जाने के बाद टिकटों की दरें अचानक बढ़ गईं. नतीजतन यात्रियों ने इंदौर और नागपुर जैसे हवाई अड्डों से उड़ानें पकडऩा शुरू कर दिया. सांघी ने यह भी कहा कि ब्राउनफील्ड एयरपोर्ट्स पर सामान्यत 15 से 20 दैनिक उड़ानें संचालित होती हैं. लेकिन डुमना एयरपोर्ट इस मानक से काफी पीछे है.
अदालत ने इस मामले को महज व्यावसायिक नहीं, बल्कि जनहित से जुड़ा विषय मानते हुए कहा कि जबलपुर मध्यप्रदेश का एक महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां उच्च न्यायालय, सेना की छावनी, प्रमुख विश्वविद्यालय, औद्योगिक इकाइया और धार्मिक स्थल मौजूद हैं. इसके अलावा यह शहर कान्हा-किसली राष्ट्रीय उद्यान, भेड़ाघाट और धुआंधार जलप्रपात जैसे पर्यटन स्थलों का गेटवे भी है. उड़ानों की कमी से न केवल यहां के नागरिक प्रभावित हो रहे हैं बल्कि पर्यटनए शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है. कई यूजर्स ने लिखा कि जबलपुर जैसे शहर की उपेक्षा केवल विमानन नहीं बल्कि क्षेत्रीय असमानता का मामला है. लोग यह भी कह रहे हैं कि एयरलाइंस केवल मुनाफा देख रही हैं, जबकि यात्रियों की तकलीफें बढ़ती जा रही हैं.
व्यापारिक संगठनों और स्थानीय उद्योगपतियों का कहना है कि हवाई कनेक्टिविटी की कमी से निवेश प्रभावित हो रहा है. कारोबारी समय पर मीटिंग और सौदों के लिए बाहर नहीं जा पा रहे हैं. जिससे अवसर हाथ से निकल रहे हैं. वहीं छात्र और शोधार्थी भी समय पर उड़ानें न मिलने के कारण शैक्षणिक कार्यक्रमों और इंटरव्यू से चूक रहे हैं. स्वास्थ्य क्षेत्र पर तो इसका सीधा असर पड़ा है. क्योंकि गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को अब नागपुर या इंदौर होकर ही दिल्ली और मुंबई जाना पड़ रहा है. राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों ने भी इस मुद्दे पर सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है. उनका कहना है कि जबलपुर को लंबे समय से विमानन मानचित्र पर नजरअंदाज किया जा रहा है.
जबकि यह शहर मध्यप्रदेश के पूर्वी हिस्से का प्रमुख केंद्र है. अदालत ने अंत में यह स्पष्ट कर दिया कि यह मुद्दा केवल एयरलाइन और सरकार के बीच का नहीं है बल्कि यह जनता के अधिकारों और क्षेत्रीय विकास से जुड़ा है. अदालत ने इंडिगो को कड़े शब्दों में कहा कि यदि उसने यात्रियों की आवश्यकताओं और क्षेत्रीय संतुलन की अनदेखी की तो उसे व्यावसायिक नुकसान उठाना पड़ेगा. अब सबकी निगाहें 9 अक्टूबर की अगली सुनवाई पर टिकी हैं. यात्रियों और शहरवासियों को उम्मीद है कि अदालत के हस्तक्षेप से डुमना एयरपोर्ट की उड़ानों की संख्या में जल्द ही बढ़ोतरी होगी और जबलपुर एक बार फिर से मध्यभारत का सशक्त हवाई केंद्र बन सकेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

