इंदौर ‘हनीमून मर्डर’: दुर्गा उत्सव पर शूर्पणखा के रूप में जलाई जाएगी सोनम की प्रतिमा

इंदौर ‘हनीमून मर्डर’: दुर्गा उत्सव पर शूर्पणखा के रूप में जलाई जाएगी सोनम की प्रतिमा

प्रेषित समय :21:21:23 PM / Sat, Sep 20th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

इंदौर. चर्चित राजा रघुवंशी हत्याकांड अब एक नए विवाद का कारण बन गया है. इंदौर की एक पुरुष अधिकार संगठन ‘पौरुष संस्था’ ने दशहरे पर मुख्य आरोपी सोनम रघुवंशी का पुतला जलाने की घोषणा की है. यह पुतला रामायण की पात्रा शूर्पणखा के रूप में तैयार किया जाएगा और कार्यक्रम को नाम दिया गया है – ‘शूर्पणखा दहन’.

यह आयोजन महालक्ष्मी नगर मेला ग्राउंड में होगा. संस्था ने बताया कि ग्राउंड से बॉम्बे हॉस्पिटल स्क्वायर तक जुलूस निकाला जाएगा और वापसी पर पुतले का दहन किया जाएगा. संस्था के अध्यक्ष अशोक दाशोरा ने पुष्टि की कि इस प्रतीकात्मक विरोध में राजा रघुवंशी के परिवारजन भी शामिल होंगे. इसके साथ ही, ऐसी ही घटनाओं में आरोपी दस अन्य महिलाओं के पुतले भी दहन किए जाएंगे.

देश को हिला देने वाला ‘हनीमून मर्डर’

यह मामला 29 वर्षीय राजा रघुवंशी की हत्या से जुड़ा है, जिनकी मौत उनकी पत्नी सोनम के साथ हनीमून के दौरान मेघालय में हुई थी. दोनों का विवाह 11 मई 2025 को हुआ था और 23 मई को यह जोड़ा लापता हो गया.

बाद में 2 जून को राजा का सड़ा-गला शव सोहरा (चेरापूंजी) के वेई साडोंग फॉल्स के पास गहरी खाई में मिला.

विशेष जांच दल (SIT) ने खुलासा किया कि यह सोची-समझी साजिश थी. मेघालय पुलिस ने 5 सितम्बर 2025 को दाखिल 790 पन्नों की चार्जशीट में सोनम और उसके कथित प्रेमी राज कुशवाहा को मास्टरमाइंड बताया. तीन सुपारी किलरों सहित कुल आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि सबूत नष्ट करने में शामिल तीन आरोपी जमानत पर बाहर हैं.

विवाद और विरोध

पौरुष संस्था के अध्यक्ष अशोक दाशोरा ने कहा कि शूर्पणखा छल और कपट का प्रतीक है और यह कार्यक्रम ऐसे अपराधों के खिलाफ समाज को चेताने का प्रयास है.

हालांकि, इस निर्णय का कड़ा विरोध भी शुरू हो गया है. कई महिला संगठनों ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि यह पूरे महिला समाज को कलंकित करने जैसा है, जबकि अपराध एक व्यक्ति ने किया है.

दाशोरा ने दावा किया कि उन्हें कई राज्यों से धमकी भरे फोन कॉल्स मिल रहे हैं, लेकिन संस्था अपने निर्णय पर अडिग है.

जनता की राय बंटी हुई

इंदौर में इस आयोजन को लेकर जनमत बंटा हुआ है.

  • कुछ लोग इसे ऐसे अपराधों के खिलाफ कड़ा संदेश मानते हैं.

  • वहीं दूसरी ओर आलोचकों का कहना है कि यह कदम स्त्री विरोधी (मिसोजिनिस्टिक) है, क्योंकि महिलाओं पर होने वाले अपराधों के आरोपी पुरुषों के पुतले कभी नहीं जलाए जाते.

यह विवाद इस त्रासदपूर्ण मामले से जुड़े गहरे सामाजिक मतभेदों को उजागर करता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-