नई दिल्ली. भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मुकाबले लंबे समय से केवल खेल तक सीमित नहीं रहते, बल्कि उनमें राजनीति और कूटनीति का रंग भी दिखाई देता है. एशिया कप में पुरुष टीम द्वारा अपनाए गए रुख को जारी रखते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने अब महिला टीम को भी स्पष्ट निर्देश दिया है कि आगामी आईसीसी महिला विश्व कप में पाकिस्तान की खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाना है. यह संदेश टीम को श्रीलंका रवाना होने से ठीक पहले दिया गया. बीसीसीआई सूत्रों का कहना है कि महिला खिलाड़ियों को साफ बता दिया गया है कि टॉस के समय या मैच के बाद किसी भी तरह का हैंडशेक नहीं होगा. भारतीय बोर्ड इस मुद्दे पर अपनी खिलाड़ियों के साथ मजबूती से खड़ा है.
भारतीय पुरुष टीम ने हाल ही में यूएई में आयोजित एशिया कप में पाकिस्तान से तीन मुकाबले खेले थे और फाइनल में जीत दर्ज कर खिताब अपने नाम किया था. इन मैचों के दौरान भी खिलाड़ियों ने पाकिस्तान से हाथ मिलाने से परहेज किया था. अब महिला खिलाड़ियों के लिए भी वही नीति अपनाई जा रही है. श्रीलंका में खेले जाने वाले विश्व कप में भारत का पाकिस्तान से मुकाबला रविवार को होगा. यह लीग चरण का दूसरा मैच होगा. भारत अपने पहले मैच में गुवाहाटी में श्रीलंका को हराकर अभियान की शानदार शुरुआत कर चुका है.
इस बार की विशेष बात यह भी है कि भारत और पाकिस्तान की टीमें तटस्थ स्थान पर भिड़ेंगी. बीसीसीआई और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के बीच पहले ही यह समझौता हो चुका है कि दोनों देश अब केवल न्यूट्रल वेन्यू पर ही आपस में क्रिकेट खेलेंगे. इस लिहाज से कोलंबो में होने वाला मुकाबला खास राजनीतिक पृष्ठभूमि में खेला जाएगा. दिलचस्प है कि यह लगातार चौथा रविवार होगा जब भारत और पाकिस्तान की टीमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आमने-सामने होंगी.
हाल ही में एशिया कप के दौरान भारत-पाकिस्तान मैचों में मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह तनाव का माहौल दिखा. इन मैचों के बीच अक्सर पहलगाम आतंकी हमले और भारत की ओर से पीओके में आतंकी ठिकानों पर की गई ऑपरेशन सिंदूर की चर्चाएं गूंजती रहीं. भारत में इन घटनाओं को लेकर गहरी संवेदनशीलता है और इसी का असर खिलाड़ियों के आचरण में भी झलकता है.
एशिया कप के फाइनल में जब भारत ने पाकिस्तान को पांच विकेट से हराया था तो भारतीय टीम ने एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के अध्यक्ष मोहसिन नकवी से ट्रॉफी लेने से भी इनकार कर दिया था. नकवी न केवल पाकिस्तान के गृह मंत्री हैं बल्कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं. भारतीय बोर्ड ने आरोप लगाया था कि नकवी ने ट्रॉफी और पदक देने में जानबूझकर देरी की और बाद में इसे अपने पास रख लिया. इसके चलते भारत की ओर से नाराजगी जाहिर की गई.
इस पूरे विवाद के बाद मंगलवार को हुई एसीसी की ऑनलाइन बैठक में भी माहौल तनावपूर्ण रहा. बीसीसीआई अधिकारियों ने नकवी से यह स्पष्ट करने को कहा कि ट्रॉफी और पदक कब और कैसे भारतीय खिलाड़ियों तक पहुंचाए जाएंगे. लेकिन नकवी की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं मिला. इसके चलते भारतीय प्रतिनिधियों ने बैठक बीच में ही छोड़ दी.
बुधवार को नकवी ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी और भारतीय मीडिया में आई खबरों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने बीसीसीआई से न तो कोई माफी मांगी है और न ही कभी ऐसा करेंगे. नकवी ने दावा किया कि वह उसी दिन खिलाड़ियों को ट्रॉफी देने के लिए तैयार थे और आज भी तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अगर बीसीसीआई को वाकई ट्रॉफी चाहिए तो वे एसीसी दफ्तर आकर इसे ले सकते हैं. नकवी की यह टिप्पणी पाकिस्तान के अखबार डॉन ने प्रकाशित की, हालांकि भारत में उनके ट्वीट्स ब्लॉक कर दिए गए हैं.
इस पूरे घटनाक्रम ने भारत-पाकिस्तान क्रिकेट संबंधों में तनाव और गहरा दिया है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज 2012 से बंद है और तब से केवल बहुपक्षीय टूर्नामेंटों में ही मुकाबले होते हैं. इन टूर्नामेंटों में भी राजनीतिक परिस्थितियों के चलते माहौल सामान्य नहीं रह पाता. खिलाड़ियों के बीच शिष्टाचार और खेल भावना का प्रदर्शन भी अक्सर राजनीतिक निर्णयों की भेंट चढ़ जाता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि खिलाड़ियों को मैदान पर केवल खेल पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन वास्तविकता यह है कि जब दो देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर संबंध तनावपूर्ण हों तो खेल भी उससे अछूता नहीं रह सकता. भारत की महिला टीम के लिए पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबला केवल क्रिकेट नहीं बल्कि राष्ट्रीय भावना और राजनीतिक संदेश का हिस्सा भी बन गया है.
बीसीसीआई के निर्देश से साफ है कि भारतीय क्रिकेट अब पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की दोस्ताना छवि दिखाने के लिए तैयार नहीं है. चाहे वह हैंडशेक जैसा औपचारिक कदम हो या ट्रॉफी समारोह में भाग लेना, भारतीय पक्ष अपने रुख पर अडिग है. यह निर्णय राजनीतिक नेतृत्व की नीतियों से भी मेल खाता है.
कोलंबो में होने वाला मुकाबला खेल के लिहाज से भी अहम होगा. भारतीय महिला टीम बेहतरीन फॉर्म में है और उसने श्रीलंका को हराकर अपने अभियान की शुरुआत की है. वहीं पाकिस्तान की टीम को पहले मैच में हार झेलनी पड़ी है. ऐसे में यह मुकाबला सिर्फ राजनीति के कारण ही नहीं बल्कि अंक तालिका के लिहाज से भी महत्वपूर्ण होगा. लेकिन मैच से जुड़ी चर्चाओं में फिलहाल सबसे ज्यादा ध्यान खिलाड़ियों के बीच शारीरिक भाषा और औपचारिकता पर है. क्या खिलाड़ी केवल सिर हिलाकर औपचारिकता निभाएंगे या पूरी तरह दूरी बनाए रखेंगे, यह देखने वाली बात होगी.
कुल मिलाकर, एशिया कप से शुरू हुआ यह सिलसिला अब महिला विश्व कप तक पहुंच चुका है. भारतीय क्रिकेट ने यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान से खेला जाएगा तो केवल मैदान पर, लेकिन उससे आगे किसी तरह की दोस्ती या औपचारिकता की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. आने वाले समय में यह रुख और भी कठोर हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) और एसीसी जैसे निकाय इस स्थिति को लेकर चिंता जता सकते हैं, लेकिन भारतीय बोर्ड का संदेश स्पष्ट है—राष्ट्रीय सुरक्षा और जनभावनाओं से समझौता नहीं होगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

