सिलीगुड़ी की ऋचा घोष विश्व कप में जीत के लिए एक रन से भी देती हैं अपना सर्वस्व

सिलीगुड़ी की ऋचा घोष विश्व कप में जीत के लिए एक रन से भी देती हैं अपना सर्वस्व

प्रेषित समय :22:33:13 PM / Mon, Oct 6th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली। भारत की महिला क्रिकेट टीम की युवा विकेटकीपर-बैटर ऋचा घोष विश्व कप में चमकने और अपने सबसे बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए तैयार हैं। 22 वर्षीय ऋचा का मानना है कि टीम के लिए जीत और खेल का आनंद ही उनकी प्राथमिकता है। चाहे किसी भी पोजीशन पर बल्लेबाजी करनी हो, उनका लक्ष्य हमेशा टीम की जीत सुनिश्चित करना है।

सिलीगुड़ी की रहने वाली ऋचा ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत बहुत छोटी उम्र में ही की। उनके पिता मनबेंद्र घोष, जो खुद स्थानीय स्तर के क्रिकेटर थे, ने ऋचा को शुरुआती प्रशिक्षण और फिटनेस पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया। चार-पाँच साल की उम्र में ही ऋचा ने बल्ले को थामना शुरू किया और मैचों को ध्यान से देखना शुरू किया। पिता की मार्गदर्शना और परिवार के सहयोग से उन्होंने मैदान में अपनी काबिलियत को तराशा।

सिलीगुड़ी का क्रिकेट ढांचा सीमित होने के बावजूद ऋचा ने कठिन परिश्रम से अपने खेल को आगे बढ़ाया। उन्होंने स्थानीय जिला टीम से लेकर बंगाल की सीनियर महिला टीम तक का सफर तय किया। मात्र 14 साल की उम्र में जनवरी 2017 में उन्होंने बंगाल सीनियर महिला टीम में टी20 मैच खेला। प्रारंभ में वह मध्य क्रम की बल्लेबाज और कभी-कभार मीडियम पेस गेंदबाज के रूप में खेलती थीं। लगातार अभ्यास, नेट्स में समय बिताना और फील्डिंग में सक्रिय रहना उनकी सफलता का मुख्य कारण रहा।

ऋचा की ताकत उनके आक्रामक और सटीक स्ट्रोकप्ले में निहित है। 43 ODI मैचों में उन्होंने 24 छक्के जड़े हैं, जबकि T20I में 67 मैचों में 36 छक्के लगाए हैं। उनके प्रदर्शन ने चयनकर्ताओं और टीममेट्स का विश्वास जीत लिया है। जनवरी 2024 में BCCI ने एक वीडियो जारी किया जिसमें ऋचा के शानदार छक्कों को दिखाया गया। उनके लिए एक छक्का केवल रन नहीं बल्कि भावना और जोश का प्रतीक है।

ऋचा ने बताया कि उनका लक्ष्य व्यक्तिगत रिकॉर्ड नहीं बल्कि टीम की जीत है। “अगर जीत के लिए केवल एक रन चाहिए, तो मैं सौ रन बनाने के बजाय वह एक रन चुनूंगी। टीम के लिए जीत और खेल का आनंद ही मेरा मूल मंत्र है,” उन्होंने कहा।

ऋचा के करियर में कई बड़े नामों का योगदान रहा। बंगाल की पूर्व कोच शिब शंकर पॉल ने उनके खेल को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि ऋचा के पास छक्के मारने की स्वाभाविक क्षमता है और फिटनेस के साथ विकेटकीपिंग में निरंतरता उनकी विशेषता है। ऋचा ने अपने आदर्शों में सिलीगुड़ी के पूर्व विकेटकीपर-बैटर Wriddhiman Saha और एम.एस. धोनी को रखा।

ऋचा की अंतरराष्ट्रीय टीम में शामिल होने की यात्रा भी प्रेरणादायक रही। मात्र 16 वर्ष की आयु में 2020 T20 विश्व कप के लिए उन्हें भारतीय टीम में चुना गया। हालांकि उस टूर्नामेंट में खेल नहीं पाईं, लेकिन फरवरी 2020 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में उनके प्रदर्शन ने उन्हें ध्यान केंद्रित कर दिया। इसके बाद उन्होंने अंडर-19 विश्व कप में भी टीम की जीत में योगदान दिया।

ऋचा के पिता बताते हैं कि उनकी बेटी के लिए विश्व कप का ट्रॉफी जीतना सर्वोच्च लक्ष्य है। उनके अनुसार, यह न केवल ऋचा की मेहनत और प्रतिभा का प्रमाण होगा, बल्कि सिलीगुड़ी जैसे छोटे शहर की बेटी की सफलता की कहानी भी बन जाएगी।

ऋचा की कहानी केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। उनके आक्रामक खेल, शांत आत्मविश्वास और टीम के प्रति समर्पण ने उन्हें न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई है।

वर्तमान में, ऋचा के लिए घरेलू ओडीआई विश्व कप एक बड़ा अवसर है। भारत को पहली बार महिला विश्व कप का खिताब जीतने का मौका है और ऋचा इस लक्ष्य को साकार करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। उनका लक्ष्य टीम को सफलता दिलाना और खेल का आनंद लेना है, और इसके लिए वह किसी भी स्थिति में बल्लेबाजी करने को तैयार हैं।सिलीगुड़ी से निकलकर राष्ट्रीय टीम तक का यह सफर कठिनाई और संघर्ष से भरा रहा है। लेकिन ऋचा घोष ने अपनी मेहनत, प्रतिभा और परिवार के सहयोग से यह साबित किया कि अगर सही दिशा, सही मार्गदर्शन और सही अवसर मिले तो कोई भी सपना सच हो सकता है। उनके साहस, आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत ने उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट की उभरती हुई स्टार बना दिया है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-