ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के दोषों से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति प्राप्त करने के सरल उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के दोषों से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति प्राप्त करने के सरल उपाय

प्रेषित समय :20:49:20 PM / Tue, Oct 14th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारतीय ज्योतिष शास्त्र केवल ग्रहों-नक्षत्रों का अध्ययन नहीं, बल्कि मानव जीवन का दिशा-सूचक विज्ञान है. यह बताता है कि जन्म के समय ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के स्वभाव, भाग्य, स्वास्थ्य, और जीवन की दिशा पर कितना गहरा प्रभाव डालती है. जब ग्रह अपनी प्रतिकूल स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति के जीवन में अनेक बाधाएँ, रोग, मानसिक अशांति और आर्थिक कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं. ऐसी दशाओं को अशुभ योग कहा जाता है. परंतु ज्योतिष शास्त्र इन योगों की शांति (निवारण) के उपाय भी बताता है, जिससे जीवन में संतुलन और सुख-शांति बनी रहती है.

आइए जानते हैं कि कौन-कौन से अशुभ योग जीवन में परेशानी लाते हैं और उनकी शांति कैसे की जा सकती है —

1. चांडाल योग

जब गुरु के साथ राहु या केतु की युति होती है, तो व्यक्ति चांडाल योग से ग्रसित होता है. ऐसे जातक गुरुजनों का अनादर करते हैं, अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं और जिद्दी स्वभाव के होते हैं. यह योग पेट या श्वास के रोग भी देता है.
उपाय: गुरु का आदर करें, पीले वस्त्र धारण करें, और गुरुवार को गरीबों को भोजन कराएँ.

2. सूर्य ग्रहण योग

सूर्य के साथ राहु या केतु होने पर यह योग बनता है. इससे जातक को हड्डियों की कमजोरी, नेत्र या हृदय रोग हो सकते हैं और पिता के सुख में कमी आती है.
उपाय: रविवार को सूर्य को अर्घ्य दें, लाल वस्त्र पहनें, और "आदित्य हृदय स्तोत्र" का पाठ करें.

3. चंद्र ग्रहण योग

चंद्रमा के साथ राहु या केतु होने से यह योग बनता है. इससे मानसिक तनाव, चिंता, और माता को कष्ट हो सकता है.
उपाय: सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाएँ और "महामृत्युंजय मंत्र" का जाप करें.

4. श्रापित योग

जब शनि के साथ राहु होता है, तो व्यक्ति दरिद्रता या श्रापित योग से पीड़ित होता है.
उपाय: सवा लाख बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और शनि दोष निवारण हवन करवाएँ.

5. पितृ दोष

यदि 2, 5 या 9वें भाव में राहु, केतु या शनि हो, तो जातक पितृ दोष से पीड़ित होता है. इससे वंश में रुकावट, संतान कष्ट और आर्थिक अस्थिरता आती है.
उपाय: अमावस्या या पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएँ.

6. नागदोष

5वें भाव में राहु होने पर नागदोष बनता है. यह संतान सुख में बाधा देता है.
उपाय: नाग पंचमी या श्रावण मास में नागदेव की पूजा करें.

7. ज्वलन या अंगारक योग

सूर्य के साथ मंगल या मंगल के साथ राहु/केतु होने पर यह योग बनता है. इससे क्रोध, दुर्घटना और शारीरिक कष्ट होते हैं.
उपाय: मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें और लाल चंदन का दान करें.

8. विष योग (शनि + चंद्र)

यह योग मानसिक तनाव और अवसाद देता है.
उपाय: सोमवार और शनिवार को "महामृत्युंजय मंत्र" का जाप करें.

 9. प्रेत एवं पिशाच योग

शनि-बुध से प्रेत दोष और शनि-केतु से पिशाच योग बनता है. इससे भय, अवसाद और असामान्य व्यवहार देखने को मिलता है.
उपाय: हनुमान चालीसा का पाठ करें, और शनि मंदिर में तेल का दीपक जलाएँ.

10. केमद्रुम योग

यदि चंद्रमा अकेला हो, और उसके आगे-पीछे कोई ग्रह न हो, तो यह योग बनता है. ऐसे व्यक्ति को जीवन में अधिक संघर्ष करना पड़ता है.
उपाय: चंद्रमा को जल चढ़ाएँ, चाँदी की वस्तु दान करें, और "श्रीसूक्त" का पाठ करें.

 11. अन्य विशेष योगों की शांति

  • अमावस्या जन्म: अमावस्या या उससे सटे दिन जन्म लेने पर अमावस्या शांति करें.

  • कुम्भ विवाह / अर्क विवाह: विवाह में बाधा या वैधव्य योग हो तो इनकी शांति आवश्यक है.

  • यमल जनन शांति: जुड़वाँ संतान के जन्म पर पारिवारिक संतुलन हेतु.

  • त्रिक प्रसव शांति: तीन लड़कियों के बाद लड़का या तीन लड़कों के बाद लड़की हो तो यह अनिवार्य मानी गई है.

 अशुभ योग एवं नक्षत्र

पंचांग के अनुसार, कुछ योग और करण अशुभ माने जाते हैं जैसे —
अशुभ योग: विष्कुंभ, अतिगंड, शूल, गंड, व्याघात, वज्र, व्यतीपात, परिघ, वैधृती.
अशुभ करण: विष्टी, किंस्तुघ्न, नाग, चतुष्पाद, शकुनी.

इन्हीं के साथ कुछ नक्षत्रों के चरण भी अशुभ माने गए हैं, जैसे —
अश्विनी का 1वां चरणभरणी का 3राआर्द्रा का 4थामूल के सभी चरण, आदि.
इनकी शांति कराना आवश्यक है ताकि ग्रहों का दुष्प्रभाव कम हो सके.

ज्योतिष शास्त्र मानव जीवन का गहरा मार्गदर्शक है. यह हमें केवल भविष्य नहीं बताता, बल्कि जीवन को संतुलित, स्वस्थ और सुखी बनाने का उपाय भी देता है. यदि किसी व्यक्ति की कुण्डली में अशुभ योग हैं, तो निराश न हों — क्योंकि हर दोष का निवारण संभव है.
सच्ची श्रद्धा, दान, जप, और कर्म की पवित्रता से हर अशुभ ग्रह को शांत किया जा सकता है.

 “ग्रह दोष जीवन का अंत नहीं, बल्कि सुधार का अवसर है.” 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-