मुंबई। जब दुनिया जलवायु परिवर्तन और उसके बढ़ते आर्थिक बोझ से जूझ रही है, तब Systemiq और 20 अग्रणी अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा जारी एक नई और व्यापक रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि जलवायु और प्रकृति-आधारित रेज़िलिएंस (लचीलेपन) में किया गया निवेश मात्र जीवन बचाने का सवाल नहीं है, बल्कि यह एक अभूतपूर्व आर्थिक अवसर भी पैदा करता है। यह रिपोर्ट एक नई दिशा दिखाती है कि कैसे पर्यावरणीय आपदाओं के खिलाफ सुरक्षा कवच तैयार करने से वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक मजबूत संबल मिल सकता है।
'Returns on Resilience' शीर्षक वाली यह निर्णायक रिपोर्ट हाल ही में World Bank और IMF की वार्षिक बैठकों के दौरान जारी की गई, और इसे ब्राजील में होने वाली COP30 जलवायु वार्ता से पहले की सबसे व्यापक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट माना जा रहा है। इस अध्ययन में चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं: यदि विकासशील देशों में लक्षित और प्रभावी रेज़िलिएंस निवेश किए जाते हैं, तो वर्ष 2035 तक 280 मिलियन (28 करोड़) अतिरिक्त नौकरियाँ पैदा हो सकती हैं, और साथ ही 1.3 ट्रिलियन डॉलर सालाना का विशाल बाज़ार अवसर खुल सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, रेज़िलिएंस निवेश अर्थव्यवस्था पर बोझ नहीं, बल्कि उसे संबल देने का माध्यम है। डेटा दिखाता है कि लचीलेपन से जुड़े हर $1 के निवेश पर कम से कम चार गुना आर्थिक लाभ मिलता है, जिसकी औसतन वार्षिक रिटर्न दर 25% है। यदि इन निवेशों को वैश्विक स्तर पर विस्तार दिया जाए, तो 2050 तक कुछ देशों का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 15% तक बढ़ सकता है, जिससे उनकी सॉवरेन डेट (संप्रभु ऋण) जोखिम भी घटेगा। इन आर्थिक लाभों से भी अधिक महत्वपूर्ण है कि ये अनुकूलन उपाय उन 1–2 मिलियन अतिरिक्त मौतों को भी रोक सकते हैं, जो बिना जलवायु अनुकूलन के हर साल 2050 तक होने की आशंका है। यह व्यापक अध्ययन World Resources Institute और London School of Economics जैसे 120 संगठनों और 70 प्रमुख प्रकाशनों की जानकारियों पर आधारित है, जो इसकी विश्वसनीयता को स्थापित करता है।
हालांकि, रिपोर्ट एक गंभीर चेतावनी भी देती है: बिना कार्रवाई के जलवायु बदलाव की आर्थिक कीमत कहीं अधिक होगी। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो दशकों में तापमान और वर्षा में बदलाव ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं की कुल वृद्धि से चौंका देने वाले $525 बिलियन की कटौती कर दी है। अगर यही खतरनाक रुझान जारी रहता है, तो वर्ष 2050 तक दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों को सालाना $1.2 ट्रिलियन का नुकसान झेलना पड़ सकता है, जबकि वैश्विक जीडीपी में 18 से 23% तक की गिरावट आ सकती है। इसके बावजूद, एक खतरनाक विरोधाभास मौजूद है: हर $1 जो रेज़िलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किया जाता है, उसके मुकाबले $87 अब भी ऐसे प्रोजेक्ट्स पर लग रहे हैं जिनमें लचीलेपन को शामिल नहीं किया गया है, जैसे कि बाढ़ संभावित क्षेत्रों में भवन निर्माण या समुद्र-स्तर बढ़ने से असुरक्षित बंदरगाहों का विकास।
Systemiq के नेतृत्व में तैयार इस रिपोर्ट में एक समाधान-केंद्रित प्रस्ताव भी पेश किया गया है। इसमें 15 ऐसी प्राथमिक निवेश श्रेणियाँ चिन्हित की गई हैं, जिन्हें “Adaptation and Resilience Best Buys” कहा गया है। ये श्रेणियाँ छह महत्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करती हैं, जिनमें खाद्य, जल, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, सामुदायिक और व्यावसायिक रेज़िलिएंस, और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं। इन "बेस्ट बाय" समाधानों में क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर, मैंग्रोव रिस्टोरेशन, और अर्ली वार्निंग सिस्टम्स जैसे उपाय शामिल हैं, जो एक साथ रोज़गार सृजन, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार, और खाद्य सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं।
यह रिपोर्ट ब्राज़ील में होने वाली आगामी COP30 जलवायु वार्ता को एक "निर्णायक क्षण" बताती है। इस बार सम्मेलन में 'adaptation' (अनुकूलन) और 'resilience' को 'mitigation' (शमन) के बराबर प्राथमिकता दी जा रही है। रिपोर्ट के लेखक और सहयोगी संगठनों ने वैश्विक नेताओं से आह्वान किया है कि अब समय "आपदा प्रतिक्रिया" से आगे बढ़कर "रेज़िलिएंस निर्माण" पर ध्यान केंद्रित करने का है, ताकि लोगों के जीवन, उनकी नौकरियों और संपूर्ण अर्थव्यवस्था को भविष्य के जलवायु झटकों से सुरक्षित किया जा सके।
इस रिपोर्ट पर वैश्विक नेताओं की प्रतिक्रियाएँ भी उत्साहजनक हैं। संयुक्त राष्ट्र के आठवें महासचिव बान की-मून ने स्पष्ट कहा कि "रेज़िलिएंस में निवेश सिर्फ़ सुरक्षा का नहीं, बल्कि आर्थिक विवेक का प्रश्न है। यह विकास की नींव को मज़बूत करता है ताकि झटके उसे मिटा न सकें।” Bridgetown Initiative की डायरेक्टर डॉ. पेप बार्डुइल ने इस बात पर जोर दिया कि "रेज़िलिएंस अब भी दुनिया की सबसे कम आँकी गई निवेश श्रेणी है," और COP30 को इसे वैश्विक वित्तीय ढाँचे का केंद्र बनाना चाहिए। वैश्विक व्यवसाय नेता पॉल पोलमैन ने टिप्पणी की कि रेज़िलिएंस को लागत नहीं, बल्कि रणनीतिक निवेश के रूप में देखना चाहिए क्योंकि यह लोगों, ग्रह और व्यापार तीनों के लिए सुरक्षा कवच है।
निष्कर्ष यह है कि 'Returns on Resilience' रिपोर्ट एक सशक्त संदेश देती है कि जलवायु अनुकूलन में निवेश एक "खर्च" नहीं है, बल्कि यह "भविष्य की स्थिरता" का बीमा है। रिपोर्ट की गणनाएं यह दिखाती हैं कि रेज़िलिएंस में लगाया गया हर डॉलर का निवेश न केवल अनमोल जीवन बचा सकता है, बल्कि यह करोड़ों नौकरियाँ, आर्थिक वृद्धि और राष्ट्रों के लिए आत्मनिर्भरता का एक नया ढाँचा भी गढ़ सकता है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

