इस साल 18 अक्टूबर 2025, शनिवार को मनाया जाने वाला धनतेरस वैदिक ज्योतिष के लिहाज से अत्यंत शुभ संयोग लेकर आ रहा है। इस बार की त्रयोदशी तिथि पर जब ग्रहों की स्थिति देखी जाती है तो साफ झलकता है कि आकाश में शुभ योगों का ऐसा संगम वर्षों बाद बन रहा है। बृहस्पति का उच्च राशि कर्क में गोचर, सूर्य-बुध की युति से बना बुधादित्य राजयोग और सूर्य के नीच भंग से बना नीच भंग राजयोग – ये तीनों एक साथ धन, बुद्धि और समृद्धि के संकेत दे रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस दिन की गई पूजा, निवेश और खरीदारी लंबे समय तक फल देने वाली होगी।
ग्रहों की गणना के अनुसार 18 अक्टूबर की सुबह से ही त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर होगा, जबकि पूजा के लिए सर्वोत्तम प्रदोष काल शाम 7 बजकर 16 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र (दोपहर 3:41 तक) और ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है, जो दिन की शुभता को और बढ़ा रहा है। इसी समय भगवान धन्वंतरि, माँ लक्ष्मी, कुबेर और यमराज की आराधना का विधान है।
धनतेरस के दिन गुरु यानी बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में विराजमान रहेंगे। गुरु का उच्च में होना न केवल ज्ञान और बुद्धि को बल देता है, बल्कि भाग्य, परिवार और आर्थिक समृद्धि में वृद्धि करता है। इस स्थिति से “हंस महापुरुष योग” का निर्माण हो रहा है। यह योग जब किसी की कुंडली के केंद्र भावों में होता है तो व्यक्ति को सम्मान, धन और सुख की ऊँचाइयों तक पहुंचाता है। वहीं, सूर्य और बुध की युति तुला राशि में हो रही है, जिससे “बुधादित्य योग” बन रहा है। यह योग व्यापार, वाणी, तर्क और निर्णय क्षमता को सशक्त बनाता है। खास बात यह भी है कि सूर्य तुला में नीच राशि में रहते हुए भी बुध की उपस्थिति से “नीच भंग राजयोग” दे रहे हैं, जिससे प्रतिकूल स्थितियां भी लाभकारी बन सकती हैं।
पंचांग के अनुसार इस बार शनिवार का दिन और त्रयोदशी का संयोग “प्रदोष काल” में पड़ रहा है, जो यम दीपदान के लिए सर्वोत्तम समय है। इस समय दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। वहीं, धन्वंतरि जयंती होने से आरोग्य और स्वास्थ्य की कामना के लिए भगवान धन्वंतरि की आराधना अनिवार्य मानी जाती है।
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस वर्ष का धनतेरस केवल खरीदारी का नहीं, बल्कि राशि-अनुसार लक्ष्मी-कुबेर पूजन का विशेष दिन है। हंस योग और बुधादित्य योग का लाभ अलग-अलग राशियों को विशेष रूप से मिलेगा —
मिथुन राशि वालों के लिए यह दिन अचानक धन लाभ, निवेश में सफलता और पारिवारिक संपत्ति से जुड़ी खुशखबरी लेकर आ सकता है। राजयोग दूसरे भाव में बन रहा है, जिससे आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता बढ़ेगी। इस दिन कांस्य या पीतल के बर्तन खरीदना शुभ रहेगा और कुबेर पूजा पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
कर्क राशि के जातकों के लिए यह वर्ष विशेष है क्योंकि गुरु स्वयं उनकी राशि में उच्च होकर बैठे हैं। यह स्थिति वाहन, प्रॉपर्टी और नई नौकरी से जुड़ी इच्छाओं की पूर्ति का मार्ग खोलती है। भगवान धन्वंतरि की पूजा करें, सोना या चांदी खरीदना उत्तम रहेगा।
कन्या राशि के लिए बुधादित्य योग सीधे उनकी राशि में बन रहा है। सूर्य-बुध की युति व्यापार और करियर में अप्रत्याशित उन्नति दे सकती है। आर्थिक रूप से यह समय नई शुरुआत का है। माँ लक्ष्मी की पूजा करें और पीतल की वस्तुएं या झाड़ू खरीदें, जिससे दरिद्रता का नाश माना जाता है।
तुला राशि के लिए यह दिन बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि सूर्य और बुध दोनों आपकी राशि में मौजूद हैं। इससे आत्मबल और संवाद कौशल बढ़ेगा। गुरु की दृष्टि से आर्थिक लाभ और नए व्यापार के अवसर मिल सकते हैं। कुबेर मंत्र का जाप करें और चांदी के सिक्के या व्यापार उपकरण खरीदें।
सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति की दृष्टि आठवें भाव पर पड़ रही है, जिससे साढ़ेसाती का दबाव कम हो सकता है। रियल एस्टेट, वाहन और पारिवारिक निवेश में लाभ के योग हैं। पूजा में गुलाब के फूल और लाल वस्त्र का प्रयोग करना शुभ रहेगा।
पंडितों का कहना है कि प्रदोष काल में स्थिर लग्न में भगवान धन्वंतरि, माँ लक्ष्मी, कुबेर और गणेश की पूजा करने से आय के स्रोत बढ़ते हैं और घर-परिवार में सुख-शांति आती है। इस दिन दीपदान यमराज को समर्पित कर अकाल मृत्यु से रक्षा की कामना की जाती है।
धनतेरस का महत्व केवल बाजार की रौनक तक सीमित नहीं है। यह वह दिन है जब व्यक्ति अपनी मेहनत और ईमानदारी से अर्जित धन के प्रति कृतज्ञ होता है। इस बार का संयोग विशेष इसलिए भी है क्योंकि गुरु, सूर्य और बुध तीनों ऐसे योग बना रहे हैं जो जीवन में समृद्धि और संतुलन लाने वाले हैं। आर्थिक दृष्टि से यह दिन उन लोगों के लिए और भी शुभ है जो व्यापार, निवेश या नई जिम्मेदारी की शुरुआत करना चाहते हैं।
अंततः 18 अक्टूबर 2025 की धनतेरस वैदिक गणनाओं के अनुसार आकाश में शुभता, संयम और सकारात्मकता का संकेत दे रही है। गुरु का उच्च में होना, सूर्य-बुध की युति और ब्रह्म योग का साथ — ये सब मिलकर बता रहे हैं कि यह धनतेरस केवल सोना-चांदी का नहीं, बल्कि आत्मबल, ज्ञान और सौभाग्य का उत्सव बनने जा रही है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

