बांके बिहारी मंदिर का खजाना 54 साल बाद खुला, पुजारी बोले- "मालूम छिपाया जा रहा"

बांके बिहारी मंदिर का खजाना 54 साल बाद खुला, पुजारी बोले- "मालूम छिपाया जा रहा"

प्रेषित समय :19:41:16 PM / Sun, Oct 19th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

वृंदावन. वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर का खजाना (स्ट्रॉन्ग रूम), जो 54 साल से बंद था, शनिवार को खोले जाने के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है. सरकारी अधिकारियों का दावा है कि स्ट्रॉन्ग रूम में केवल सामान्य वस्तुएं मिली हैं, जबकि मंदिर के पुजारी यह आरोप लगा रहे हैं कि मूल्यवान खजाना छिपाया जा रहा है और उन्होंने पारदर्शिता के लिए लाइव स्ट्रीमिंग या सार्वजनिक प्रदर्शन की मांग की है.

अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, बंद कमरे से "एक लकड़ी का बक्सा, टूटे हुए लोहे के टुकड़े, तीन बड़े तांबे के घड़े, एक बड़ी तांबे की प्लेट, चार बड़े गोल आकार के पत्थर, एक लकड़ी का पलंग, दो छोटे लकड़ी के बक्से, एक चांदी का छाता और 1970 के दशक के दस्तावेज" ही मिले हैं. एक सूत्र ने दावा किया, "वहां कुछ भी असाधारण नहीं था."

हालांकि, कुछ पुजारियों ने अधिकारियों के इस दावे को उत्तर प्रदेश सरकार के इशारे पर झूठ बताया है. पुजारी आशीष गोस्वामी ने कहा, "हमें विश्वास नहीं हो रहा कि स्ट्रॉन्ग रूम में कुछ भी मूल्यवान नहीं है. अगर सरकार ईमानदार होती तो उसे स्ट्रांग रूम के खुलने की लाइव स्ट्रीमिंग करनी चाहिए थी."

पुजारियों ने पहले स्ट्रॉन्ग रूम को खोले जाने से रोकने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को मंदिर के बारे में प्रमुख निर्णय लेने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था, जिसमें इस खजाने को खोलना भी शामिल था. स्ट्रांग रूम खोलने वाली समिति में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एक सिविल जज, दो पुलिस अधिकारी और चार पुजारी शामिल थे.

इस बीच, कई पुजारी मंदिर के बाहर जमा हो गए और समिति तथा सरकार के खिलाफ नारे लगाए. पुजारी रमेश गोस्वामी ने कहा, "हम चाहते थे कि सरकार खजाने के कमरे की हर गतिविधि को सार्वजनिक करे, लेकिन उन्होंने हमारी मांग ठुकरा दी."

मथुरा के जिलाधिकारी सी.पी. सिंह ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा है, "स्ट्रॉन्ग रूम की पूरी वीडियोग्राफी की गई है. समिति इसे फिर से देखेगी और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी."

मंदिर के एक पूर्व सदस्य और स्थानीय इतिहासकार प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी ने बताया कि यह स्ट्रॉन्ग रूम 1864 में बनाया गया था. इसे पिछली बार 1971 में खोला गया था, लेकिन इसके अंदर की सामग्री को सार्वजनिक नहीं किया गया था. "उन्हें एक बक्से में रखकर शहर के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की भूतेश्वर शाखा में जमा करा दिया गया था." उन्होंने बताया कि गर्भगृह के नीचे स्थित इस कमरे में पहले मंदिर के सदस्य प्रवेश करते थे और मूल्यवान चढ़ावे को यहां रखते थे, लेकिन 1916 और 1926 में हुई दो चोरी की घटनाओं के बाद यह प्रथा बंद कर दी गई थी.

पुजारियों के कवर-अप और पारदर्शिता की मांग के कारण, बांके बिहारी मंदिर के इस 54 साल पुराने रहस्य के खुलासे के बाद भी विवाद थमा नहीं है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-