कमिटमेंट से दूर भाग रही Gen Z, 'नाटो' डेटिंग ट्रेंड में बिना बंधन के रिश्ते तलाश रही युवा पीढ़ी

कमिटमेंट से दूर भाग रही Gen Z,

प्रेषित समय :00:16:39 AM / Mon, Oct 20th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारतीय और वैश्विक युवा पीढ़ी, जिसे जनरेशन ज़ी (Gen Z) के नाम से जाना जाता है, अब रिश्तों के पारंपरिक स्वरूप को तेजी से बदल रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 19 अक्टूबर 2025 को सबसे ज्यादा चर्चित विषयों में से एक रहा 'नाटो डेटिंग' (NATO Dating) ट्रेंड, जो कमिटमेंट, भावनात्मक ड्रामा और दीर्घकालिक जिम्मेदारियों से बचने का एक नया तरीका बन गया है। यह ट्रेंड बताता है कि आज की पीढ़ी रिश्तों में 'गो विद द फ्लो' (Go with the Flow) की नीति अपना रही है, जहाँ व्यक्तिगत स्वतंत्रता और करियर प्राथमिकताएँ भावनात्मक जुड़ाव से ऊपर हैं।

'NATO' का मतलब: नो अटैचमेंट, नो टर्म्स, नो ऑब्लिगेशन्स

इस ट्रेंड का नाम NATO (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) के नाम से लिया गया है, लेकिन डेटिंग के संदर्भ में इसका मतलब है: नो अटैचमेंट्स, नो टर्म्स और नो ऑब्लिगेशन्स (No Attachments, Terms, or Obligations)—यानी कोई भावनात्मक बंधन नहीं, कोई नियम या शर्तें नहीं, और कोई जिम्मेदारी नहीं।

यह वह रिश्ता है जिसमें दो लोग एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं, शारीरिक और भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं, लेकिन यह संबंध भविष्य के किसी वादे या अपेक्षा से पूरी तरह मुक्त होता है। सरल शब्दों में, यह एक कमिटमेंट-फ्री रिलेशनशिप है, जहाँ दोनों साथी इस बात पर सहमत होते हैं कि वे एक-दूसरे के जीवन को जटिल बनाए बिना केवल वर्तमान पलों को जिएँगे।

पारंपरिक प्रेम कहानियों से क्यों दूर हो रहे युवा?

मनोवैज्ञानिकों और सामाजिक टिप्पणीकारों के अनुसार, Gen Z का 'नाटो डेटिंग' की ओर झुकाव कई सामाजिक और आर्थिक कारणों से हो रहा है:

  1. करियर प्राथमिकता: आज के युवा अत्यधिक प्रतिस्पर्धी माहौल में पले-बढ़े हैं। वे अपने करियर और व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता देते हैं। 'नाटो' रिश्ते उन्हें बिना किसी भावनात्मक बाधा के खुद पर पूरा ध्यान केंद्रित करने की आजादी देते हैं।

  2. मानसिक स्वास्थ्य और ड्रामा: पिछली पीढ़ियों के रिश्तों में देखे गए टूटे हुए वादों और भावनात्मक ड्रामा से बचने की यह एक सचेत कोशिश है। Gen Z भावनात्मक उलझनों और रिश्तों में आने वाले तनाव को अपनी मानसिक शांति के लिए खतरा मानती है।

  3. डिजिटल नेटिविटी: Gen Z के लिए हर चीज तुरंत उपलब्ध है। रिश्ते भी इससे अलग नहीं हैं। डेटिंग ऐप्स की बढ़ती संख्या ने विकल्प इतने बढ़ा दिए हैं कि वे किसी एक व्यक्ति या 'लाइफटाइम कनेक्शन' के विचार को अनावश्यक दबाव मानते हैं।

  4. स्व-खोज और स्वतंत्रता: यह पीढ़ी अत्यधिक व्यक्तिवादी है। वे रिश्ते को अपनी पहचान का हिस्सा बनाने के बजाय, इसे आत्म-खोज (Self-Discovery) और नए अनुभवों को आज़माने के एक तरीके के रूप में देखते हैं।

बाज़ार और रिश्तों पर प्रभाव:

यह ट्रेंड भारतीय बाज़ार में डेटिंग ऐप्स और सोशल प्लेटफॉर्म्स की कार्यप्रणाली को भी प्रभावित कर रहा है। ऐसे ऐप्स और फीचर्स की मांग बढ़ रही है जो कैजुअल कनेक्शन और स्पष्ट 'नो-कमिटमेंट' फिल्टर प्रदान करते हैं। दूसरी ओर, इस ट्रेंड के आलोचक यह भी मानते हैं कि दीर्घकालिक भावनात्मक जुड़ाव से बचने का यह तरीका अकेलेपन और भविष्य में गहरे रिश्तों के प्रति अविश्वास पैदा कर सकता है।

फिलहाल, 'नाटो डेटिंग' Gen Z की उस मानसिकता को दर्शाता है जो 'अभी खुशी चाहिए, भविष्य का पता नहीं' के सिद्धांत पर चलती है। सोशल मीडिया पर इस ट्रेंड के समर्थन और विरोध में जोरदार बहस जारी है, लेकिन इतना तय है कि यह पीढ़ी रिश्तों को उस तरह से परिभाषित नहीं करेगी जिस तरह से उनके माता-पिता या दादा-दादी ने किया था। Gen Z अपने नियमों पर खेल रही है—और अभी के लिए, वे नियम 'नो अटैचमेंट्स, नो टर्म्स और नो ऑब्लिगेशन्स' के हैं।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-