अमेरिका ने एच-1बी वीजा शुल्क से दी छूट, भारतीय टेक प्रोफेशनल्स और छात्रों को बड़ी राहत

अमेरिका ने एच-1बी वीजा शुल्क से दी छूट, भारतीय टेक प्रोफेशनल्स और छात्रों को बड़ी राहत

प्रेषित समय :15:15:49 PM / Tue, Oct 21st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

वाशिंगटन. अमेरिका से भारतीय टेक प्रोफेशनल्स और छात्रों के लिए राहत की बड़ी खबर आई है. ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मौजूदा एच-1बी वीजा धारकों और हाल ही में प्रायोजित अंतरराष्ट्रीय स्नातकों को अब 1,00,000 डॉलर (करीब 90 लाख) का अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा. यह वही शुल्क था जिसने पिछले महीने से भारतीय कामगारों और अमेरिकी कंपनियों के बीच खलबली मचा दी थी.

यह स्पष्टीकरण उन लाखों भारतीयों के लिए राहत लेकर आया है जो अमेरिका में एच-1बी वीज़ा के माध्यम से काम कर रहे हैं. अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा ने साफ किया कि यह शुल्क किसी भी मौजूदा वीज़ा धारक, एफ-1 छात्र वीजा या एल-1 इंट्रा-कंपनी ट्रांसफरी पर लागू नहीं होगा. इससे न केवल भारतीय पेशेवरों को राहत मिली है, बल्कि उन अमेरिकी कंपनियों को भी जो इन पर निर्भर हैं.

नियमों में बदलाव

यह स्पष्टीकरण ट्रंप की उस घोषणा के बाद हफ़्तों तक चले असमंजस के बाद आया है जिसमें तकनीकी रूप से कुशल विदेशी कर्मचारियों को प्रायोजित करने वाले नियोक्ताओं के लिए लगभग 90 लाख रुपये के बराबर का भारी वार्षिक शुल्क अनिवार्य कर दिया गया था. यह शुल्क 21 सितंबर को पूर्वी समयानुसार रात 12:01 बजे से लागू होना था, जिससे भारतीय कामगारों, अमेरिकी नियोक्ताओं और आव्रजन वकीलों में खलबली मच गई थी.

मौजूदा वीजा धारकों के लिए राहत

अपने नवीनतम मार्गदर्शन में, अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने कहा कि 100,000 डॉलर का शुल्क किसी भी ऐसे व्यक्ति पर लागू नहीं होगा जो पहले से ही वैध वीजा पर संयुक्त राज्य अमेरिका में रह रहा है, जिसमें एफ-1 छात्र वीजा धारक, एल-1 इंट्रा-कंपनी ट्रांसफरी और नवीनीकरण या विस्तार चाहने वाले वर्तमान एच-1बी वीजा धारक शामिल हैं.
एजेंसी ने स्पष्ट किया कि यह घोषणा किसी भी पूर्व जारी और वर्तमान में मान्य एच-1बी वीज़ा, या 21 सितंबर, 2025 को पूर्वी समयानुसार रात 12:01 बजे से पहले प्रस्तुत की गई किसी भी याचिका पर लागू नहीं होती है. इसमें यह भी कहा गया है कि एच-1बी धारक बिना किसी प्रतिबंध के अमेरिका में आना-जाना जारी रख सकते हैं, जो शुल्क की घोषणा के बाद उठी सबसे बड़ी चिंताओं में से एक का समाधान है. यूएससीआईएस ने आगे पुष्टि की कि मौजूदा विदेशी नागरिक जो अपनी स्थिति में परिवर्तन के लिए आवेदन कर रहे हैं - जैसे कि एफ-1 वीजा पर एच-1बी नौकरियों में जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्र को नया शुल्क नहीं देना होगा.

भारतीय सबसे अधिक प्रभावित क्यों हुए? 

यह घोषणा भारतीय तकनीकी पेशेवरों के लिए बड़ी राहत है, जो एच-1बी वीजा कार्यक्रम की रीढ़ हैं. वर्तमान में अमेरिका में एच-1बी वीजा पर लगभग 300,000 भारतीय कामगार हैं, जिनमें से अधिकांश प्रौद्योगिकी और सेवा उद्योगों में कार्यरत हैं.  अमेरिकी प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, सभी नए एच-1बी वीजा आवंटनों में भारतीयों की हिस्सेदारी लगभग 70 प्रतिशत है, इसके बाद 11-12% के साथ चीनी नागरिकों का स्थान है. एच-1बी वीजा उच्च कुशल श्रमिकों को एक बार में तीन साल तक अमेरिका में रहने और काम करने की अनुमति देता है, जिसे तीन साल और बढ़ाया जा सकता है. हर साल, लॉटरी प्रणाली के माध्यम से 85,000 नए वीज़ा जारी किए जाते हैं.
इससे पहले, वीज़ा आवेदन की लागत कंपनी के आकार और श्रेणी के आधार पर 215 डॉलर से 5,000 डॉलर के बीच होती थी. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो नया 100,000 डॉलर का शुल्क 20 से 100 गुना अधिक होगा, जो कई नए एच-1बी कर्मचारियों के औसत वार्षिक वेतन से भी अधिक होगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-