दीपावली के बाद भी प्रदूषण का घातक हमला, कृत्रिम बारिश का दिल्ली प्लान बादलों के इंतज़ार में फंसा, विशेषज्ञों ने मौसम की अनिश्चितता पर सवाल उठाए

दीपावली के बाद भी प्रदूषण का घातक हमला, कृत्रिम बारिश का दिल्ली प्लान बादलों के इंतज़ार में फंसा, विशेषज्ञों ने मौसम की अनिश्चितता पर सवाल उठाए

प्रेषित समय :21:32:09 PM / Wed, Oct 22nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली, जो हर साल दिवाली के बाद गंभीर वायु प्रदूषण की मार झेलती है, वहाँ प्रदूषण से निपटने के लिए बहुप्रचारित कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) की योजना एक बार फिर अनिश्चितकाल के लिए टाल दी गई है. तमाम प्रशासनिक और तकनीकी तैयारियों, और प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक पहुँचने के बावजूद, दिल्ली सरकार का यह महत्वाकांक्षी प्रयोग शुरू नहीं हो पाया है. इसकी मुख्य वजह भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा उपयुक्त बादलों का बिल्कुल अभाव बताया गया है. यह दिखाता है कि विज्ञान और तकनीक भी प्रकृति की अनुकूलता के बिना प्रभावी नहीं हो सकते, जिससे सरकार के प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों की सीमाएं उजागर हो गई हैं.

दिल्ली सरकार ने जुलाई में कृत्रिम बारिश के प्रयोग का प्रस्ताव रखा था. पहले ऐसी खबरें थीं कि यह ट्रायल दिवाली के तुरंत बाद किसी भी दिन हो सकता है, खासकर पटाखों के कारण हवा की गुणवत्ता (AQI) में आए खतरनाक उछाल को देखते हुए. हालांकि, पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने आज स्पष्ट किया कि आईएमडी के अनुसार ट्रायल के लिए अनुकूल सघन बादल मौजूद नहीं हैं, और 25 अक्टूबर तक कोई अनुकूल मौसम विंडो मिलने की उम्मीद नहीं है.

मंत्री ने कहा, "जिस दिन हमें उपयुक्त बादल मिलेंगे, हम तुरंत ट्रायल करेंगे, क्योंकि सभी तैयारियाँ—अनुमतियों से लेकर विमान व्यवस्था तक—पूरी हैं." उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि योजना पर प्रशासनिक स्तर पर कोई रोक नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह से प्राकृतिक मौसम तत्वों की उपलब्धता पर निर्भर है.

कई बार टलने के पीछे मौसम की मनमानी

बीजेपी-नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की यह क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) परियोजना, जो प्रदूषण से जंग में एक बड़ा दाँव मानी जा रही थी, विभिन्न कारणों से कई बार टाली जा चुकी है. इसे मूल रूप से जुलाई में शुरू करने की योजना थी, लेकिन मानसून और बदलते मौसम के कारण इसमें लगातार विलंब हुआ. अब, दिवाली के बाद जब प्रदूषण अपने चरम पर है, तो कृत्रिम बारिश के लिए आवश्यक बादल आवरण (Cloud Cover) की कमी इसका सबसे बड़ा कारण बन गई है.

कृत्रिम बारिश का यह वैज्ञानिक प्रयोग आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) के विशेषज्ञ दल की गहन निगरानी में किया जाना है. आईआईटी कानपुर के साथ पाँच क्लाउड सीडिंग ट्रायल के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसे उत्तर-पश्चिम दिल्ली में आयोजित करने की योजना है. इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए विशेष क्लाउड-सीडिंग उपकरण से लैस एक सेस्ना 206-एच विमान को मेरठ में तैनात किया गया है.

इस परियोजना को नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) सहित 23 विभिन्न सरकारी और नियामक विभागों से मंजूरी मिल चुकी है. डीजीसीए के आदेश के अनुसार, आईआईटी कानपुर को अक्टूबर 1 से 30 नवंबर के बीच यह गतिविधि करने की अनुमति दी गई है.

इस पूरे घटनाक्रम ने यह सिद्ध कर दिया है कि प्रदूषण जैसी जटिल समस्या से निपटने के लिए केवल तकनीकी तत्परता ही पर्याप्त नहीं है. मौसम की मनमानी और अनिश्चितता ने सरकार के हाथ बाँध दिए हैं. दिल्लीवासी, जो प्रदूषण से जूझ रहे हैं, उन्हें अब न केवल हवा साफ होने का, बल्कि उपयुक्त बादलों के प्रकट होने का भी इंतज़ार करना होगा, ताकि कृत्रिम बारिश का यह बहुप्रतीक्षित प्रयोग सफल हो सके और उन्हें कुछ राहत मिल सके. यह घटनाक्रम सरकार की पर्यावरण नीतियों और उनके क्रियान्वयन पर लगातार प्रश्नचिह्न लगा रहा है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-