सैन फ्रांसिस्को: अल्फाबेट इंक की कंपनी गूगल ने अपने "विलो" (Willow) क्वांटम कंप्यूटिंग चिप पर "क्वांटम इकोज" (Quantum Echoes) नामक एक एल्गोरिथम विकसित करने का दावा किया है, जिसने पारंपरिक सुपर कंप्यूटरों के प्रदर्शन को 13,000 गुना पीछे छोड़ दिया है. गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने इसे "सत्यापन योग्य" (verifiable) सफलता बताते हुए इसकी सराहना की है.
इस सफलता का विवरण बुधवार को प्रतिष्ठित जर्नल नेचर में प्रकाशित एक शोध पत्र में दिया गया. गूगल ने कहा कि यह नई तकनीक दवा की खोज और सामग्री विज्ञान (Materials Science) जैसे क्षेत्रों में उपयोगी अनुप्रयोगों के लिए एक रास्ता खोलती है, और उम्मीद है कि अगले पांच वर्षों के भीतर क्वांटम टेक्नोलॉजी वास्तविक उपयोग में आ जाएगी.
सुंदर पिचाई ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस उपलब्धि के बारे में लिखा, "हमारे विलो चिप ने पहली बार सत्यापन योग्य क्वांटम लाभ हासिल किया है. विलो ने क्वांटम इकोज एल्गोरिथम को दुनिया के सबसे तेज़ सुपर कंप्यूटरों में से एक पर चलने वाले सर्वश्रेष्ठ क्लासिकल एल्गोरिथम की तुलना में 13,000 गुना तेज़ी से चलाया. यह नया एल्गोरिथम परमाणु चुंबकीय अनुनाद (nuclear magnetic resonance) का उपयोग करके एक अणु में परमाणुओं के बीच की बातचीत की व्याख्या कर सकता है."
पिचाई ने यह भी जोर दिया कि यह परिणाम सत्यापन योग्य है, जिसका अर्थ है कि इसके परिणाम को अन्य क्वांटम कंप्यूटरों द्वारा दोहराया जा सकता है या प्रयोगों द्वारा पुष्टि की जा सकती है. उन्होंने कहा, "यह सफलता क्वांटम कंप्यूटिंग के पहले वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है."
गूगल क्वांटम एआई के एक स्टाफ रिसर्च वैज्ञानिक, टॉम ओ'ब्रायन, जिन्होंने इस काम की निगरानी की, ने कहा कि सत्यापनशीलता (verifiability) की कुंजी "वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोग की दिशा में एक बड़ा कदम है. इस परिणाम को प्राप्त करने में हम वास्तव में हमें मुख्यधारा के उपयोग की ओर धकेल रहे हैं."
क्लासिक कंप्यूटरों के विपरीत, क्वांटम कंप्यूटर tiny circuits का उपयोग करके गणना करते हैं, लेकिन वे क्रमबद्ध रूप से (sequentially) के बजाय समानांतर (parallel) में ऐसा करते हैं, जिससे वे असाधारण रूप से तेज हो जाते हैं.
इस सफलता ने गूगल को क्वांटम कंप्यूटिंग द्वारा वादा की गई असीम प्रोसेसिंग शक्ति के करीब ला दिया है. माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प, आईबीएम कॉर्प और कई स्टार्टअप जैसी प्रतिस्पर्धी कंपनियां भी इस लक्ष्य का पीछा कर रही हैं. यह पिछले साल दिसंबर में गूगल के उस दावे के बाद आया है, जब उसने कहा था कि उसके विलो चिप ने एक समस्या को पांच मिनट में हल कर दिया था, जिसे सुपर कंप्यूटर को हल करने में 10 सेप्टिलियन वर्ष लगते.
इस महत्वपूर्ण तकनीकी सफलता की खबर के बीच, बुधवार को न्यूयॉर्क ट्रेडिंग में अल्फाबेट के शेयरों में 2.4% तक की वृद्धि दर्ज की गई.